DNA Analysis: कर्नाटक पुलिस ने सभी सात आरोपियों को जमानत के नियमों का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार कर लिया लेकिन हमारी कोशिश यहीं खत्म नहीं हुई है. आज हम आपके सामने कर्नाटक में चल रहे उस खतरनाक ट्रेंड को एक्सपोज करने जा रहे हैं जिसकी बुनियाद में कट्टरपंथ है.
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DNA Analysis: DNA में कल हमने आपको कर्नाटक के हावेरी का एक वीडियो दिखाया था जिसमें गैंगरेप के सात आरोपी जमानत मिलने के बाद सड़क पर जुलूस निकालते नजर आए थे. इस वीडियो को दिखाने के साथ ही साथ हमने ये अपील भी की थी कि गैंगरेप के आरोपियों के ऐसे महिमामंडन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. हमारी मुहिम का असर हुआ है. कर्नाटक पुलिस ने सभी सात आरोपियों को जमानत के नियमों का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार कर लिया लेकिन हमारी कोशिश यहीं खत्म नहीं हुई है. आज हम आपके सामने कर्नाटक में चल रहे उस खतरनाक ट्रेंड को एक्सपोज करने जा रहे हैं जिसकी बुनियाद में कट्टरपंथ है और इन्हें हमने एक नाम दिया है जो है कट्टरपंथ के काले किरदार.
गैंगरेप के जिन आरोपियों ने जुलूस निकला था वो एक ऐसे गुट का हिस्सा थे जिनका मकसद उन मुस्लिम लड़कियों को टारगेट करना था जो गैर मुस्लिम या यूं कहें कि हिंदू पुरुषों के साथ नजर आती थीं. इस किस्म के कई गुट कर्नाटक में सक्रिय हैं जो बिना किसी अधिकार के MORAL POLICING करते हैं. यानी ये खुद को मजहब का ठेकेदार मानते हैं और इसी आधार पर निर्दोष मुस्लिम लड़कियों और गैर मुस्लिम नौजवानों को निशाना बनाते हैं. अगर तादाद में ज्यादा हुए तो ये मौके पर ही मारपीट करने या फिर गाली गलौच करने से बाज नहीं आते. कई बार ये गैर मुस्लिम पुरुषों के साथ घूम रही या बात कर रही मुस्लिम लड़कियों के वीडियो बनाकर और उन्हें व्हाट्सअप पर शेयर भी कर देते हैं.
अगर आप सोशल मीडिया पर हैं तो कुछ ही सेकेंड की सर्च के बाद आपको ऐसे वीडियोज़ नजर आ जाएंगे. जिसमें कट्टरपंथ के काले किरदार कहे जाने वाले ये लोग सड़कों पर मुस्लिम लड़कियों को परेशान करते हैं. उन्हें डराते धमकाते हैं. ताकि वो गैर मुस्लिम पुरुष के साथ घूमने फिरने ना जाएं. कर्नाटक में कट्टरपंथ के इस चैप्टर की जब ज़ी न्यूज़ ने पड़ताल की तो कुछ चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं ये जानकारी आपके लिए देखना बेहद जरूरी है.
हमें पता चला कि इस किस्म के कट्टरपंथी गुट राज्य के कुछ मदरसों में तैयार किए जा रहे हैं. ऐसे गुटों में पच्चीस साल या उससे कम उम्र के मुस्लिम नौजवान भर्ती किए जाते हैं. इन्हें हुक्म दिया जाता है..किसी भी कीमत पर मुस्लिम महिलाओं को गैर मुस्लिम पुरुषों से ना मिलने दिया जाए. मदरसे से निकलने के बाद ये कट्टरपंथी स्थानीय कॉलेज और स्कूलों में पढ़ रहे मुस्लिम लड़कों से संपर्क करते हैं. स्कूल और कॉलेज के लड़कों से उन मुस्लिम लड़कियों की जानकारी ली जाती है. जिनकी दोस्ती या उठना बैठना गैर मुस्लिमों के साथ होता है. जानकारी मिलने के बाद मदरसे से निकले मुस्लिम नौजवान ऐसी लड़कियों को डराते धमकाते हैं. या फिर उनकी पहचान सार्वजनिक कर देते हैं. ताकि लड़कियों के परिवार की समाज में बदनामी हो जाए.
भारत का संविधान हर नागरिक को ये स्वतंत्रता देता है कि वो कानून के दायरे में रहकर किसी से भी मिल सकता है किसी से भी बात कर सकता है लेकिन कट्टरपंथ के ये काले किरदार सड़कों पर गुंडागर्दी के जरिए मुस्लिम लड़कियों को रूढ़िवादी बंधनों में जकड़ना चाहते हैं. ज़ी न्यूज ने जब इस कथित MORAL POLICING की पड़ताल को आगे बढाया तो कुछ और तथ्य सामने आए. ये तथ्य आपको देखने चाहिए ताकि आपको पता चल सके कि कर्नाटक पर कट्टरपंथ का ये काला साया आखिर कैसे छाया.
ज़ी न्यूज के संवाददाताओं को पता चला कि समाज के लिए खतरनाक माने जा रहे इस ट्रेंड की शुरुआत हिजाब विवाद से हुई थी. साल 2022 में कुछ मुस्लिम लड़कियों की एक जूनियर कॉलेज में एंट्री रोक दी गई थी कॉलेज प्रशासन का कहना था कि लड़कियों ने हिजाब पहना है जो ड्रेस कोड का उल्लंघन है. इस फैसले के बाद कर्नाटक समेत देश के कई राज्यों में प्रदर्शन भी हुए थे हिजाब का विवाद तो सुलझ गया लेकिन इस मुद्दे को आधार बनाकर कुछ मदरसों में मुस्लिम नौजवानों का ब्रेनवॉश किया जाने लगा जो अब कट्टरपंथ के काले किरदारों में तब्दील हो गए हैं.
पिछले तीन सालों के अंदर मुस्लिम लड़कियों को परेशान करने की घटनाएं राज्य के कलबुर्गी, हुबली, बेंगलुरु, मंगलुरु और कर्नाटक के तटीय इलाकों से सामने आ चुकी हैं. कट्टरपंथ के इन काले किरदारों की कोई ठोस पहचान नहीं होती. ये आम आबादी का हिस्सा होते हैं. बदनामी के डर से पीड़ित लड़कियां और उनके परिवार भी पुलिस के पास नहीं जाते और पुलिस इन कट्टरपंथियों पर जरूरी कार्रवाई नहीं कर पाती लेकिन बीजेपी का दावा है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण नीति भी कट्टरपंथ के इन काले किरदारों को शह देती है.
महिला अधिकारों के लिए आतंक का सामना करने वाली मलाला यूसुफजई ने एक बार कहा था हमें अपनी आवाज की कीमत उस वक्त पता चलती है. जब आवाज को दबा दिया जाता है. इसी वजह से आज हमारे समाज को कट्टरपंथ के ऐसे काले किरदारों के खिलाफ आवाज उठानी होगी. ताकि ये हमारे देश की समावेशी पहचान और हमारी बेटियों की आजादी को ना दबा सकें.