नई दिल्‍ली:  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि गंदे शरीर और गंदे मन के साथ भगवान का आशीर्वाद प्राप्त नहीं किया जा सकता और एक साफ शरीर एक गंदे शहर में नहीं रह सकता. महात्मा गांधी ने ये बात लोगों को स्वच्छता की अहमियत बताते हुए कही थी. साफ सुथरी जगह पर रहना हम सभी को अच्छा लगता है. लेकिन हमें क्या लगता है और हम क्या करते हैं. उसमें बहुत बड़ा अंतर है. 


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 उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर के पास की दीवारों का जो हाल किया गया है, इसकी तस्‍वीरें देखकर आप ये बात समझ पाएंगे. इन दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स के ऊपर आपको सफेद पुताई नजर आएगी. आप सोच में पड़ जाएंगे कि ऐसा क्‍यों किया गया?



हालांकि पिछले वर्ष अगस्त के महीने में इन्हीं दीवारों की तस्वीर ऐसी नहीं थी.



गाजियाबाद नगर निगम ने पिछले वर्ष अगस्त में इन दीवारों पर चित्रकारी करवाई थी. निगम की सोच थी कि दीवारों पर देवी देवताओं को देखकर लोग धार्मिक भावनाओं का सम्मान करेंगे और आसपास गंदगी नहीं करेंगे,  लेकिन ऐसा हुआ नहीं. 6 महीने भी नहीं बीते थे कि नगर निगम को लाखों रुपए खर्च करके बनाई गई चित्रकारी पर चूना लगाना पड़ा क्योंकि, लोग गंदगी फैलाने की आदतों से बाज नहीं आए. धार्मिक आस्था भी लोगों की फितरत नहीं बदल पाई. ऐसे कुछ वीडियो सामने आने के बाद लोगों ने पुलिस से शिकायत की और इन दीवारों को अब ऐसा कर दिया गया है. 


दीवार को साफ रखने के लिए धार्मिक तस्वीरों का इस्‍तेमाल क्‍यों?


किसी दीवार को साफ रखने के लिए वहां धार्मिक तस्वीरें या देवी देवताओं की पेंटिंग बना देना एक आसान तरीका हो सकता है, लेकिन ये कोई समाधान नहीं है.  इसीलिए इस तरीके पर लोग भी सवाल उठा रहे हैं.  किसी जगह को साफ रखने के लिए वहां देवी देवताओं की मूर्ति रख देना या वहां कोई धार्मिक प्रतीक लगा देना, ऐसे प्रयोग कई जगहों पर किए जाते हैं. लेकिन आपने देखा होगा कि अक्सर ऐसी तस्वीरें एक धर्म की ही होती हैं.  धर्मनिरपेक्ष देश भारत में ये खतरा केवल हिंदू धर्म के साथ ही मोल लिया जाता है.  ये सामाजिक प्रयोग करने के लिए हिंदू धर्म के ही प्रतीक चिन्ह या तस्वीरें ही लगाई जाती हैं. 


यहां हम ये नहीं कहना चाहते कि ये प्रयोग दूसरे धर्मों के साथ करके देखा जाए. सही तरीका तो ये है कि सफाई करने वाली एजेंसियां और कर्मचारी अपने कर्तव्य का निर्वाह करें. गंदगी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. अगर हम गाजियाबाद को ही उदाहरण मान लें तो वहां की जनसंख्या 50 लाख के करीब है. इस जिले में साफ सफाई के काम में लगे कर्मचारियों की संख्या साढ़े तीन हजार है. अगर ये सभी अपना काम सही तरीके से करें तो प्रशासन को भगवान भरोसे रहने की नौबत ही नहीं आएगी. 


सफाई को लेकर अपनी आदतों में लाएं बदलाव 


सबसे अच्छा तो ये होगा कि सफाई को लेकर लोग अपनी आदतों में बदलाव लाएं.  भारत में वर्ष 2014 से स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है. इस अभियान के तहत शहरों को स्वच्छता के आधार पर रैंकिंग दी जाती है. भारत सरकार के स्वच्छता APP पर हर महीने औसतन ढाई लाख शिकायतें पोस्ट की जाती हैं. लेकिन सफाई शिकायतों से नहीं सुधारों से आ सकती है और सफाई वाली आदतों में सुधार की अभी भी बहुत गुंजाइश बाकी है.


प्रशासन सुधारना चाहता है छवि और रैंकिंग


उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद समेत कई शहरों में स्वच्छता का अभियान जोरों पर है. दीवारों, फ्लाईओवर, पार्क सब जगहों को चमकाया जा रहा है.  लाखों करोड़ों के खर्च के साथ प्रशासन स्वच्छ भारत अभियान में अपनी छवि और रैंकिंग दोनों सुधारना चाहता है. लेकिन इस अभियान पर पानी फेरने वाले कहां मानते हैं. साफ दीवार और मन मुताबिक जगह दिखी नहीं कि काम शुरू.


लोगों ने ऐसे फेरा स्‍वच्‍छता अभियान पर पानी 


गाजियाबाद प्रशासन ने ऐसे नागरिकों से पार पाने का एक रास्ता खोजा लेकिन वो भी उल्टा पड़ गया. गाजियाबाद में 500 वर्ष पुराने दूधेश्वरनाथ मंदिर के पास की दीवार है. पिछले वर्ष अगस्त में कांवड़ यात्रा के दौरान यहां की दीवार पर कई देवी देवताओं की तस्वीरें बनाई गई थीं. 


धार्मिक आस्था भी बनी रहे और दीवार भी साफ रहे. इस लक्ष्य के साथ ये काम किया गया. इसके लिए नगर निगम ने बाकायदा एक लाख रुपये खर्च किए थे. लेकिन 6 महीने के अंदर ही गाजियाबाद प्रशासन को दोबारा मेहनत और खर्च करना पड़ गया. हाल ही में इन दीवारों को सफेद करवाना पड़ा. 



ये तस्वीरें क्यों बदल गईं इसके पीछे की वजह एक वीडियो है.  गाजियाबाद में लोगों ने इन दीवारों को भी नहीं छोड़ा.  ऐसी हरकतों के बाद आसपास के लोगों ने हंगामा कर दिया, मामला पुलिस तक पहुंच गया. पुलिस ने मामला सुलझाने के लिए प्रशासन से बात की. जिसके बाद इस दीवार पर नगर निगम ने यहां पुताई करवा दी. 


सवाल इस बात पर भी उठे कि दीवारों को गंदगी से बचाने के लिए किसी धर्म विशेष के देवी देवताओं की तस्वीरों का और प्रतीक चिन्हों का प्रयोग क्यों किया जा रहा है. दीवारें साफ रहें, गलियों और चौराहों पर गंदगी न हो इसके लिए धार्मिक तस्वीरों और प्रतीक चिन्हों का प्रयोग करना पड़ा. लेकिन लोगों ने आस्था का सम्मान भी नहीं किया और आज दीवारों की हालत ऐसी हो गई है.


स्वच्छता सर्वे 2020 की सूची में गाजियाबाद का 19वां नंबर


देश में स्वच्छता सर्वे 2020 की सूची देखें तो गाजियाबाद का नंबर 19वां है.  इस स्थान पर आने के लिए भी काफी मेहनत की गई है. लेकिन बदले में अपने हम शहर को क्या दे रहे हैं?


आप अपने शहर को साफ रखने में कई तरह से योगदान दे सकते हैं.  हमारे देश में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास स्मार्टफोन हैं. आप चाहें तो अपने मोबाइल फोन से ऐसी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट कर सकते हैं, जिससे गंदगी फैलाने वालों को ही शर्म आ जाए.


गंदगी फैलाने पर इन देशों में भारी जुर्माना 


आज आप ये भी समझिए कि किन देशों में पहली बार गंदगी फैलाते हुए पकड़े जाने पर कितना जुर्माना लग सकता है. 


-भारतीय रुपये के हिसाब से ब्रिटेन में गंदगी फैलाने पर 15 हजार,  हॉन्‍ग कॉन्‍ग में 14 हजार और सिंगापुर में 16 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है. 


-इसके अलावा कई देशों में कड़ी सजा का प्रावधान भी है. 


-भारत में भी अलग-अलग राज्य और शहरों में गंदगी  फैलाने पर 200 रुपये से लेकर 10 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. 


हम चाहेंगे कि अब आप अपने स्तर पर "आदत सुधारो अभियान" चलाएं क्योंकि, सुपर पावर बनने की इच्छा रखने वाले भारत को ऐसे ही सत्याग्रह की जरूरत है.