DNA ANALYSIS: Hyderabad का निज़ाम संस्कृति से मुक्त होना क्यों जरूरी है?
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DNA ANALYSIS: Hyderabad का निज़ाम संस्कृति से मुक्त होना क्यों जरूरी है?

निज़ाम संस्कृति (Nizam Culture)  का आरोप सिर्फ़ ओवैसी की पार्टी (AIMIM) पर ही नहीं, बल्कि टीआरएस (TRS) पर भी है. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बारे में कहा जाता है कि वो किसी राजा महाराजा की तरह अपने फार्म हाउस (Farm House) से ही सरकार चलाते हैं और मुस्लिम तुष्टीकरण की भी पूरी कोशिश करते हैं. उनकी पार्टी में परिवारवाद का वर्चस्व है. 

DNA ANALYSIS: Hyderabad का निज़ाम संस्कृति से मुक्त होना क्यों जरूरी है?

नई दिल्लीः अब हम ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम यानी जीएचएमसी (GHMC) के चुनावी नतीजों का विश्लेषण करेंगे क्योंकि आज इन चुनावों की चर्चा पूरे देश में हो रही है. ये देश के एक आम से शहर में हुआ, आम सा नगर निगम चुनाव है. लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव भारत की राजनीति पर पड़ सकते हैं. आम तौर पर नगर निगम चुनाव सड़क, सीवर, नाली और पानी जैसे मुद्दों तक सीमित रहते हैं लेकिन हैदराबाद नगर निगम चुनाव के प्रचार में निज़ाम कल्चर, राष्ट्रवाद, रोहिंग्या मुसलमान, जिन्ना, सर्जिकल स्ट्राइक, परिवारवाद और हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किए जाने की बातें हुईं और इसीलिए आज हमने एक नगर निगम चुनाव का विश्लेषण करने का फैसला किया है.

चुनाव के नतीजों में टीआरएस (TRS) यानी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन बीजेपी (BJP) के अच्छे प्रदर्शन ने जीएचएमसी की सत्ता का समीकरण बदल दिया है. 4 से सीधे 46 सीटें जीतकर बीजेपी का ग्राफ काफी ऊपर चला गया है, जबकि पिछले चुनाव में 99 सीटें जीतने वाली टीआरएस का प्रदर्शन इस बार काफ़ी ख़राब रहा है. टीआरएस की सीटों की संख्या घटकर 56 पर पहुंच गई है. असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम (AIMIM) के प्रदर्शन में कोई अधिक बदलाव नहीं हुआ है. 

इस चुनाव में बीजेपी भले ही हैदराबाद में अपना मेयर नहीं बना पाएगी लेकिन वर्ष 2023 के तेलंगाना विधान सभा चुनाव के लिए ये प्रदर्शन बीजेपी को नई ऊर्जा देगा.

चुनाव प्रचार के दौरान सामने आए ये मुद्दे 
चुनाव के प्रचार के दौरान जो मुद्दे और शब्द सामने आए उनमें सबसे पहले बात चारमीनार और भाग्य लक्ष्मी मंदिर की करते हैं. ये मंदिर हैदराबाद की मशहूर चारमीनार के पास है. गृह मंत्री अमित शाह जब चुनाव प्रचार करने पहुंचे, तब सबसे पहले वो भाग्य लक्ष्मी मंदिर गए. ऐसी मान्यता है कि इसी मंदिर के नाम पर ही हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर था.

चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किए जाने की बात कही. योगी के इस बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने ये धमकी दी कि ऐसा करने वालों की नस्लें ख़त्म कर दी जाएंगी.

वर्ष 2013 में असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने भी धमकी देकर कहा था कि अगर 15 मिनट के लिए पुलिस को हटा लिया जाए तो वो सबको देख लेंगे.

'मिनी इंडिया' बनाने की बात
प्रचार के दौरान बीजेपी ने निज़ाम संस्कृति ख़त्म कर हैदराबाद को 'मिनी इंडिया' बनाने की बात कही. जिसका मतलब है कि हैदराबाद को एक ऐसे शहर में बदलना जो सभी का हो. किसी एक संस्कृति या धर्म के लोग शहर को अपनी प्राइवेट प्राॅपर्टी न समझें. जिस तरह दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों का विकास हुआ है, उसी तरह के विकास का सपना हैदराबाद को दिखाया गया है.

निज़ाम संस्कृति का आरोप सिर्फ़ ओवैसी की पार्टी पर नहीं बल्कि टीआरएस पर भी है. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बारे में कहा जाता है कि वो किसी राजा महाराजा की तरह अपने फार्म हाउस से ही सरकार चलाते हैं और मुस्लिम तुष्टीकरण की भी पूरी कोशिश करते हैं. उनकी पार्टी में परिवारवाद का वर्चस्व है. लेकिन इन नतीजों ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री को ख़तरे का एहसास करा दिया है, जबकि बीजेपी के लिए ये सफलता हैदराबाद में 1948 में चलाए गए ऑपरेशन पोलो के दौरान मिली जीत जैसी है. तब भारतीय सेना ने हैदराबाद को निज़ामशाही से आज़ाद कराया था.

बीजेपी के जिस चुनावी ऑपरेशन पोलो की बात हमने की उसे समझने के लिए आपको वर्ष 1947 में चलना होगा. वर्ष 1947 में जब ब्रिटिश भारत छोड़ रहे थे, तब यहां की तीन रियासतें कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद भारत में अपना विलय नहीं चाहती थीं.

उस समय आबादी और जीडीपी के हिसाब से हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी.

हैदराबाद की अस्सी प्रतिशत आबादी हिंदू थी. लेकिन अल्पसंख्यक मुसलमान वहां प्रशासन और सेना में महत्वपूर्ण पदों पर थे.

हैदराबाद के निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान सिद्दिकी के संरक्षण में रज़ाकार सेना का गठन किया गया था. रज़ाकार हैदराबाद के निज़ाम की प्राइवेट आर्मी थी जो ग़ैर मुस्लिमों पर लगातार हमला कर रही थी.

तब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इस मसले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहते थे. लेकिन गृह मंत्री सरदार पटेल का मानना था कि हैदराबाद भारत के पेट में कैंसर के समान है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था.

भारतीय सेना की कार्रवाई  Operation Polo
सरदार पटेल ने इस अराजकता पर रोक लगाने का फैसला किया और 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद का भारत में विलय करने के लिए  Operation Polo शुरू कर दिया गया.

सिर्फ़ 100 घंटों के सैन्य अभियान के बाद ही हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया.

भारतीय सेना की इस कार्रवाई को  Operation Polo का नाम दिया गया था क्योंकि उस समय हैदराबाद में पोलो सबसे मशहूर खेल था जो हॉकी की तरह एक खेल होता है जिसे हाथी या घोड़े की सवारी करते हुए खेला जाता था.

15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ था. तब भारत से जाते वक्त अंग्रेज़ों ने कहा था कि 15 वर्षों में भी कोई भारत की 565 रियासतों को जोड़ नहीं सकता. लेकिन सरदार पटेल ने सिर्फ़ 2 वर्षों के अंदर पूरे भारत को एक सूत्र में बांध दिया था.

लेकिन ये बिल्कुल भी आसान नहीं था. क्योंकि, आज़ादी से पहले भारत के एक बड़े हिस्से पर अंग्रेज़ों की सीधी हुक़ूमत थी और दूसरा हिस्सा वो था, जिस पर राजाओं और रजवाड़ों की हुक़ूमत थी. ये ऐसी रियासतें थीं, जो ब्रिटेन की महारानी की गुलामी स्वीकार कर चुकी थीं .

इनमें से कई राजाओं के पास अपनी सेनाएं और कुछ के पास तो लड़ाकू विमान भी थे. इन 565 रियासतों को भारत में जोड़ना आसान नहीं था.

कश्मीर और हैदराबाद का विलय सरदार पटेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी. लेकिन सरदार पटेल ने अपनी कूटनीति से हैदराबाद के नवाब को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था.

हैदराबाद के निज़ाम का खज़ाना पूरी दुनिया में मशहूर
आजादी से पहले हैदराबाद के निज़ाम का खज़ाना पूरी दुनिया में मशहूर था. वर्ष 1937 में अमेरिका की टाइम मैगज़ीन के कवर पेज पर निज़ाम की तस्वीर छापी गई थी और तब उन्हें दुनिया का सबसे अमीर इंसान बताया गया था. हैदराबाद के आख़िरी निज़ाम नवाब मीर उस्मान अली ख़ान के पास दुनिया का सातवां सबसे बड़ा हीरा जैकब डायमंड भी था.

184 कैरेट के इस हीरे की कीमत कई सौ करोड़ रुपये होने का दावा किया जाता है. लेकिन निज़ाम इस हीरे को पेपर वेट की तरह इस्तेमाल करते थे.

कहा जाता था कि निज़ाम के पास असली मोतियों का इतना बड़ा खज़ाना था  कि अगर उन्हें सड़क पर बिछा दें तो वो कई किलोमीटर के इलाके को घेर लेता. वर्ष 2008 में Forbes मैगजीन ने उन्हें दुनिया का सर्वकालिक पांचवां सबसे धनवान व्यक्ति बताया था.

Forbes ने निज़ाम की कुल संपत्ति 210 बिलियन डाॅलर यानी आज के हिसाब से साढ़े 15 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया था.

जबकि आज दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति Jeff Bezos की संपत्ति 14 लाख करोड़ रुपए है और हैदराबाद की आज की जीडीपी भी निज़ाम की कुल संपत्ति का सिर्फ़ तीसरा हिस्सा है.

निज़ाम संस्कृति विकास के लिए घातक
आज के हैदराबाद का निज़ाम संस्कृति से मुक्त होना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि, हैदराबाद एक तेज़ी से उभरता हुआ शहर है और निज़ामों के तौर तरीकों से इस शहर को चलाना इस शहर के विकास के लिए घातक है.

हैदराबाद वो शहर है जहां पर दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, अमेजन, और गूगल के ऑफिस हैं. इसीलिए इसे साइबर सिटी भी कहा जाता है.

हैदराबाद को भारत का फार्माश्यूटिकल कैपिटल भी कहा जाता है. उत्पादन के लिहाज़ से हैदराबाद में देश की एक तिहाई दवाईयां बनती हैं. हैदराबाद देश की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला शहर है. इसकी कुल जीडीपी करीब साढ़े 5 लाख करोड़ रुपए थी.

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