DNA Analysis: गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने भी हॉस्पिटल में जाकर डॉक्टर को दिखाया की उनके पास कितनी पावर है. निरीक्षण के दौरान ड्यूटी पर तैनात डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर पर मरीजों के साथ गलत व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए डॉक्टर के साथ बदतमीजी की. उन्होंने डॉक्टर को सस्पेंड भी कर दिया.
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DNA Analysis: स्पाइडर मैन फिल्म में एक मशहूर डायलॉग है With great power comes great responsibility. यानी बड़ी शक्तियों के साथ बहुत सारी जिम्मेदारियां भी आती हैं लेकिन हमारे देश में पावर के साथ जिम्मेदारी का भाव नहीं आता है बल्कि गुंडागर्दी करने का लाइसेंस मिल जाता है. हमारे देश में पावर मिलने पर सेवा की इच्छा नहीं होती है बल्कि बदतमीजी करने का सर्टिफिकेट मिल जाता है और हमारे देश में पावर मिलने पर भलाई नहीं की जाती है बल्कि आम लोगों को धमकाया जाता है. उनके साथ मारपीट की जाती है और फिर जब बदतमीजी का वीडियो वायरल होता है तो माफी मांग गलती पर परदा डाल दिया जाता है.
गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने भी हॉस्पिटल में जाकर डॉक्टर को दिखाया की उनके पास कितना पावर है हो सकता है. हम मंत्री-नेताओं में अहंकार वाली इस सोच का विश्लेषण करेंगे. गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में निरीक्षण के दौरान ड्यूटी पर तैनात डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर पर मरीजों के साथ गलत व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए डॉक्टर के साथ बदतमीजी की. उन्होंने डॉक्टर को सस्पेंड भी कर दिया, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
हालांकि जब विवाद बढ़ा तो गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने डॉक्टर का सस्पेंशन रद्द कर दिया और सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने सोशल मीडिया पोस्ट लिखकर माफी मांगी उन्होंने लिखा कि मैंने हीट ऑफ द मूमेंट. इस शब्द को ध्यान से सुनिए हीट ऑफ द मूमेंट में जिस तरह से स्थिति को हैंडल किया, उसका मुझे बहुत दुख है. मतलब आप गुस्से में थे इसीलिए आपने हालात को ठीक से नहीं संभाला. तो हमारा सवाल है जब आप लोगों से वोट मांगने जाते हैं और जनता आपकी नहीं सुनती है. आपसे बात नहीं करती है तब आपको हीट ऑफ द मूमेंट होता है. उस समय तो चुनाव जीतने का भी बहुत प्रेशर होता है. दिन-रात चुनाव प्रचार का भी प्रेशर होता है तब आपको गुस्सा क्यों नहीं आता है. वोट मांगते समय तो नेताजी हाथ जोड़कर लगातार मुस्कुराते रहते हैं तो ऐसा क्या हो जाता है कि सत्ता में आते ही इतना गुस्सा आने लगता है.
@RahulSinhaTV pic.twitter.com/mGhrv1NGRu
— Zee News (@ZeeNews) June 9, 2025
दरअसल ये मामला केवल सत्ता से नहीं जुड़ा है बल्कि सोच का है हमारे देश में पावर प्रदर्शन के इस खेल में नेता से लेकर अभिनेता तक नौकरशाह से लेकर पुलिसवाले तक और सरकारी कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक सभी शामिल है. जिसको जहां मौका मिलता है अपने पावर का प्रदर्शन करने से चूकता है. देश की 99 फीसदी जनता इस पावर प्रदर्शन से परेशान है क्योंकि देश में 1 फीसदी लोग ही पावर प्रदर्शन के इस खेल के खिलाड़ी है. एक रिपोर्ट में अलग-अलग पेशा और उसके जुड़े लोगों के अहंकार और पावर प्रदर्शन की ग्रेडिंग की गई है. सबसे ज्यादा जिन लोगों में अहंकार होता है उसको 5 स्टार रेटिंग दी गई है जबकि जिसमें सबसे कम अहंकार होता है उसको 1 स्टार की रेटिंग दी गई थी.
इस रिसर्च के मुताबिक मंत्री या राजनेता में सबसे ज्यादा अहंकार की भावना होती है इसके बाद डॉक्टर खासतौर पर सर्जन में अहंकार की भावना काफी ज्यादा होती है. डॉक्टर की तरह ही CEO और कार्पोरेट जगत के बड़े अधिकारी भी काफी अहंकारी प्रवृत्ति के होते हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि IAS या प्रशासनिक अधिकारियों में भी अहंकार की भावना होती है. अहंकार की रेटिंग में चौथे पायदान पर प्रोफेसर और शोधकर्ता आते हैं जबकि नर्स और शिक्षक में अहंकार की भावना सबसे कम होती है. अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में जनता द्वारा ही चुने गए प्रतिनिधि सबसे ज्यादा अपनी पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं.