DNA ANALYSIS: आप हर रोज हो रहे मिलावट का शिकार, जानिए कैसे मिलाया जा रहा खाने की चीजों में केमिकल
खाने- पीने की जिन चीजों में मिलावट होती है, उनमें सबसे ऊपर दूध का नंबर आता है. यानी जिस दूध का रंग सफेद होता है, उसी का कारोबार सबसे ज्यादा काला है. अधिकतर राज्यों में मिलावटी दूध और केमिकल वाली हरी सब्जियां लोगों को बेची जाती हैं.
नई दिल्ली: आज हम हरी सब्जियों के शौकीन लोगों के लिए सावधान करने वाली एक स्पेशल रिपोर्ट लेकर आए हैं, जिसमें आज आपको ये पता चलेगा कि आप जिन हरी हरी सब्जियों को बाजार से खरीद कर लाते हैं. वो सब्जियां हरी तो हैं, लेकिन खरी नहीं हैं. हम आपको ये बताएंगे कि मिलावट वाले दूध और हरी सब्जियों से आप कैसे बच सकते हैं?
खास केमिकल का इस्तेमाल
देश के कई शहरों की सब्जी मंडियों में दो तीन दिन पुरानी हरी सब्जियां बेचने के लिए एक खास केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है. इस केमिकल का नाम है, Plant Growth Regulator.
अगर ये केमिकल किसी दो तीन दिन पुरानी सब्जी या खराब हो चुकी सब्जी पर डाला जाए, तो वो हरी सब्जी ऐसी दिखने लगती है कि जैसे दुकानदार अभी खेतों से इन्हें लाया हो, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता.
पैकेट वाले दूध में मिलावट
हरी सब्जियों की तरह ही दूध की स्थिति भी काफी खराब है. महाराष्ट्र में Food and Drug Administration ने कई जगहों पर हुई छापेमारी में 2 हजार 318 लीटर मिलावटी दूध पकड़ा है. FDA के मुताबिक, ये लोग पैकेट वाले दूध में मिलावट करते थे, जिसको लेकर ये कहा जाता है कि इसमें तो मिलावट हो ही नहीं सकती.
अब पता चला है कि ये मिलावटखोर पहले दूध के पैकेट को एक जगह से फाड़ते थे और उसमें से आधा से ज्यादा दूध निकाल कर उसमें पानी मिला देते थे. इसके बाद जिस जगह से पैकेट फाड़ा जाता था, उसे मोमबत्ती से सील कर दिया जाता था.
खाने- पीने की जिन चीजों में मिलावट होती है, उनमें सबसे ऊपर दूध का नंबर आता है. यानी जिस दूध का रंग सफेद होता है, उसी का कारोबार सबसे ज्यादा काला है. ये खबर तो महाराष्ट्र से आई है, लेकिन सच्चाई ये है कि अधिकतर राज्यों में मिलावटी दूध और केमिकल वाली हरी सब्जियां लोगों को बेची जाती हैं.
आप अक्सर जब अपने बच्चों को डॉक्टर को दिखाने के लिए ले जाते हैं, तो डॉक्टर कहते हैं कि इन्हें दूध पिलाइये और हरी सब्जियां खिलाइए. लेकिन आज हम आपको उल्टी बात बताएंगे क्योंकि, अगर आपने दूध और सब्जियां अपने बच्चों को खिलाईं तो वो बीमार हो जाएंगे.
ये मिलावट सरकार नहीं करती...
बड़ी बात ये है कि ये मिलावट सरकार नहीं करती और न ही प्रशासन और सिस्टम मिलावट का ये गोरखधंधा करता है. ये तो वो लोग हैं, जो 24 घंटे आपके बीच रहते हैं. आम लोगों की तरह जीते हैं, आम लोगों की तरह इनका रहन-सहन होता है और हमें लगता है कि ये लोग हमारा क्या बिगाड़ेंगे? और यही धारणा हमें मिलावटी दूध और हरी सब्जियां खिलाकर कई बीमारियों का मरीज बना देती है.
कैसे काम करता है ये केमिकल
-Plant Growth Regulator या PGR केमिकल फसलों को तेजी से बढ़ाने के लिए छिड़का जाता है. एक लीटर पानी में सिर्फ आधा मिलीलीटर केमिकल मिलाकर इसे फसलों पर छिड़का जाता है. इससे रिएक्ट करके फसल तेजी से बड़ी होती है और सब्जियों का वजन बढ़ता है.
-सब्जियां ही नहीं, फलों के साथ भी ऐसा ही किया जाता है. PGR एक ऐसा केमिकल है जो आसानी से किसानों को उपलब्ध है. किसान भी अपनी फसलों की अधिकतम उपज के लिए इसका छिड़काव करते हैं, लेकिन ये इंसानों की सेहत के लिए काफी नुकसान दायक है.
-PGR के इस्तेमाल वाली सब्जियां खाने से लिवर और किडनी खराब हो सकती हैं. इसके ज्यादा इस्तेमाल से हार्मोन्स पर बुरा असर पड़ता है. ये केमिकल इंसान के नर्वस सिस्टम पर भी बुरा प्रभाव डालता है.
पकड़ा गया 10 हजार लीटर मिलावटी दूध
सब्जियों में केमिकल है, तो दूध में मिलावट. ये मुंबई का हाल है. खुला दूध तो मानकर चलिए की पानी मिलाकर ही मिलता है, लेकिन अगर आप पैकेट वाला ब्रांडेड दूध पीते हैं तो उसमें भी मिलावट होती है.
मुंबई के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मलाड़ में एक जगह छापेमारी की तो वहां से ब्रांडेड दूध में मिलावट करने वालों का पता चला.
मलाड़ ही नहीं, चेम्बूर इलाके से तकरीबन 10 हजार लीटर मिलावटी दूध पकड़ा गया. वहां भी यही खेल चल रहा था. मुंबई में रोजाना 80 लाख लीटर दूध की खपत होती है, जिसमें से तकरीबन 30 से 40 फीसदी दूध की आपूर्ति डेयरी से होती है और बाकी 60 से 70 फीसदी दूध की आपूर्ति पैकेट वाले दूध की होती है.
अब सोचिए कि खुले दूध में मिलावट को कोई नकारता नहीं है, लेकिन अब तो ब्रांडेड दूध के पैकेट में भी मिलावट होने लगी है.
क्या है कानून?
Food Safety and Standards Authority of India ने अपने एक सर्वे में पाया था कि भारत में बाजारों में बिकने वाला 70 प्रतिशत दूध तय मानकों पर खरा नहीं उतरता और लोगों को बीमार बना सकता है.
ये मुद्दा कितना बड़ा और गंभीर है, इसे आप इसी बात से समझ सकते हैं कि भारत में कई राज्य सरकारें इस अपराध को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में डालने पर विचार कर रही हैं. हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर Food Safety and Standards Act नाम से कानून है. इस कानून के तहत मिलावटी खाने-पीने का सामान बेचने पर अधिकतम 10 लाख रुपये का जुर्माना और जेल की सजा का भी प्रावधान है.
मिलावटी खाने-पीने का सामान बेचने पर आपके अधिकार
अब हम आपको बताते हैं कि अगर आपको कोई मिलावटी खाने-पीने का सामान बेचता तो आप क्या कर सकते हैं? आपके क्या अधिकार हैं?
-अगर आपको लगता है कि आपके दूध में या हरी सब्जियों में मिलावट है तो आप अपने शहर की Health Authority या अपने जिले के Food Safety Officer से इसकी शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा आप उपभोक्ता अदालत में भी जा सकते हैं.
-FSSAI ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसे Food Safety Voice नाम दिया गया है. आप इस पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं
-2006 के Food Safety and Standards Act में ये कहा गया है कि अगर मिलावटी खाने-पीने के सामान से आप बीमार हो जाते हैं, या किसी की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसे मामलों में पीड़ित को एक से पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
हालांकि हमारा मानना ये है कि जब जान ही नहीं रहेगी, तो इस मुआवजे से क्या होगा? इन मिलावटी दुकानों पर ताला लगाने के लिए जरूरी है, सबसे पहले इस ताले की चाबी ढूंढना और चाबी है, आपके अधिकार. आपका शिकायत का अधिकार ही मिलावट वाली इस मानसिकता को खत्म कर सकता है.