बेहद साधारण परिवार से होने की वजह से प्रदीप की ये उपलब्धि असाधारण है, क्योंकि देश की सबसे कठिन परीक्षा में पहली रैंक हासिल करना आसान नहीं होता है. प्रदीप के लिए भी ये आसान नहीं था, क्योंकि पिछले वर्ष ही UPSC परीक्षा में उनकी रैंकिंग 260 थी.
Trending Photos
नई दिल्ली: भारत के हर मध्यमवर्गीय परिवार का ये सपना होता है कि उनका बच्चा IAS बने. इसके लिए लोग कड़ी मेहनत भी करते हैं. लेकिन क्या संसाधनों के अभाव में और संघर्षशील जीवन जीते हुए भी इस सपने को पूरा किया जा सकता है? इसका जवाब है हां ऐसा संभव है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है आज आए UPSC के नतीजे. भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC की सिविल सर्विस परीक्षा के परिणाम घोषित हो गए हैं. और इसमें हरियाणा के प्रदीप सिंह ने टॉप किया है.
प्रदीप सिंह हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं और उन्होंने UPSC की परीक्षा में पहली रैंक हासिल की है. लेकिन बेहद साधारण परिवार से होने की वजह से प्रदीप की ये उपलब्धि असाधारण है, क्योंकि देश की सबसे कठिन परीक्षा में पहली रैंक हासिल करना आसान नहीं होता है. प्रदीप के लिए भी ये आसान नहीं था, क्योंकि पिछले वर्ष ही UPSC परीक्षा में उनकी रैंकिंग 260 थी.
इसी तरह से दिल्ली के जतिन किशोर और उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर की प्रतिभा वर्मा ने इस परीक्षा में दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है. प्रतिभा वर्मा के माता-पिता शिक्षक हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इस परीक्षा के ज्यादातर टॉपर, ऐसी पृष्ठभूमि से आते हैं, जिन्होंने साधारण से परिवार से होकर सफलता के लिए लंबा संघर्ष किया है.
UPSC में सफलता हासिल करने वाले ये तमाम लोग ना तो किसी खास जाति से आते हैं ना ये किसी खास परिवार से आते हैं ना ही ये बड़े-बड़े स्कूलों में पढ़े हैं और ना ही इन्होंने मोटी फीस देकर कोचिंग की है. ये नए भारत का संदेश देने वाले युवा हैं, क्योंकि ये जाति और धर्म के सहारे आगे नहीं बढ़ते बल्कि पुरुषार्थ करते हैं, संघर्ष करते हैं. ये चुनौतियों का सामना करते हैं और इनका लक्ष्य सिर्फ सफलता होती है. इन्होंने अपने परिश्रम से उन सभी परिभाषाओं को बदल दिया, जो हमारे समाज में पहले से चली आ रही हैं.
UPSC परीक्षा में छठीं रैंक हासिल करने वाली विशाखा यादव के पिता दिल्ली पुलिस में एएसआई हैं.