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नई दिल्ली: हम आपको देश में कोरोना संक्रमण से जुड़ी एक अच्छी और एक बुरी खबर के बारे में बताएंगे. अच्छी खबर ये है कि देश में पहली बार कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों की संख्या, एक्टिव मरीजों से ज्यादा हो गई है.
देश में कोरोना संक्रमण के मामले 2 लाख 77 हजार से ज्यादा हो चुके हैं. पिछले चौबीस घंटे में साढ़े नौ हजार से ज्यादा मामले आए और 270 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. अब तक भारत में 7 हजार 7 सौ 45 लोग इस संक्रमण से जान गंवा चुके हैं.
लेकिन राहत की बात ये है कि देश में कोरोना के 1 लाख 35 हजार से ज्यादा मरीज, पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं. जबकि एक्टिव मरीजों की संख्या 1 लाख 33 हजार से ज्यादा हैं. यानी जितने मरीज इस वक्त इलाज करवा रहे हैं, उससे ज्यादा मरीज ठीक होकर घर लौट गए हैं.
अब बुरी खबर ये है कि मुंबई में कोरोना को लेकर हालात अच्छे नहीं है. वहां अब संक्रमण के मामले चीन के उस वुहान शहर से ज्यादा हो चुके हैं, जहां से ये वायरस दुनिया भर में फैला था. मुंबई में कोरोना संक्रमण के 51 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. जबकि वुहान में संक्रमण के कुल 50 हजार 340 मामले थे.
मुंबई में 1 अप्रैल तक कोरोना के सिर्फ 198 केस थे, लेकिन 30 अप्रैल को ये संख्या 6 हजार 644 हो गई. इसके बाद 15 मई को ये मामले 16 हजार के पार हो गए. अगले 16 दिन में ये संख्या दोगुनी होकर करीब 37 हजार हो गई और 9 जून को मुंबई ने पचास हजार का आंकड़ा पार कर लिया. इससे आप समझ सकते हैं कि मुंबई में संक्रमण के मामले कितनी तेज रफ्तार से बढ़े हैं.
इस तरह मुंबई ने, वुहान को पीछे छोड़ दिया है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर मुंबई में, कोरोना संक्रमण के मामले, वुहान से ज्यादा कैसे हो गए? इसे समझने के लिए हमने मुंबई और वुहान की तुलना की है.
वुहान की आबादी करीब एक करोड़ दस लाख है जबकि मुंबई की आबादी दो करोड़ के आस-पास है. लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से वुहान, मुंबई से करीब 14 गुना बड़ा है. वुहान का क्षेत्रफल करीब साढ़े 8 हजार वर्ग किलोमीटर है. मुंबई का क्षेत्रफल करीब 603 वर्ग किलोमीटर है. वुहान में प्रति वर्ग किलोमीटर इलाके में औसतन 1152 लोग रहते हैं. जबकि मुंबई में ये संख्या 35 हजार के करीब है.
इस लिहाज से देखें तो वुहान के मुकाबले, मुंबई में कोरोना का असर, कई गुना ज्यादा होना चाहिए. लेकिन क्या वाकई ऐसा है, इसको समझने के लिए हमने वुहान और मुंबई में कोरोना संक्रमण की रफ्तार का भी एक तुलनात्मक अध्ययन किया है.
वुहान में कोरोना संक्रमण से मौतों की संख्या 3869 बताई गई थी, यानी वहां मरने वालों का प्रतिशत यानी Mortality Rate 7.77 प्रतिशत था. जिसके मुकाबले मुंबई में हालात बेहतर हैं जहां कोरोना से अबतक करीब 1760 लोगों की मौत हुई है और Mortality Rate करीब साढ़े तीन प्रतिशत है यानी राष्ट्रीय औसत के लगभग बराबर.
8 दिसंबर को पहला केस आने के बाद वुहान को पचास हजार का आंकड़ा पार करने में तकरीबन 125 दिन लगे थे, वहीं मुंबई में पहला केस 11 मार्च को सामने आया था और सिर्फ 88 दिनों में पचास हजार से ज्यादा मामले हो चुके हैं.
वुहान ने पहला केस आने के करीब तीन हफ्ते बाद 1 जनवरी से लॉकडाउन लगाया गया, तो मुंबई में पहला केस आने के तीन दिन बाद ही 15 मार्च को आंशिक लॉकडाउन की शुरुआत हो गई थी. और 25 मार्च से लॉकडाउन को पूरी तरह लागू कर दिया गया था.
चीन का दावा है कि वुहान में कोरोना का आखिरी केस 27 अप्रैल को आया था यानी करीब तीन महीने में वुहान ने कोरोना पर काबू पा लिया लेकिन मुंबई में अभी कोरोना संक्रमण का पीक तक नहीं आया है.
और इस तरह मुंबई अब, भारत का वुहान बन चुकी है. हालांकि वुहान में कोरोना संक्रमण के सिर्फ 50 हजार 340 मामले थे, इसको लेकर भी शक है. क्योंकि चीन ने कोरोना वायरस के मामले में हमेशा झूठ बोला है और पूरी दुनिया को गुमराह किया है. उसने अपने यहां मरने वालों की संख्या हमेशा छिपाई है. इसलिए चीन के आंकड़ों पर पूरी तरह से यकीन नहीं किया जा सकता.
देखें DNA-
इस बीच मुंबई के लिए राहत भरी खबर उस जगह से है जो कुछ दिन पहले तक कोरोना का गढ़ बना हुआ था. एशिया के सबसे बड़े स्लम इलाकों में शामिल, धारावी में कोरोना संक्रमण के मामलों में बड़ा सुधार आया है.
जहां एक जून से लेकर अबतक कोरोना के नए मामलों में गिरावट आई है. खास बात ये है कि 30 मई के बाद से इस इलाके में कोरोना वायरस से एक भी मौत नहीं हुई है. धारावी में पहला केस 1 अप्रैल को आया था. वहां अबतक 1 हज़ार 932 लोगों के कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आए हैं जबकि 71 लोगों की मौत हुई है. धारावी में कोरोना संक्रमण पर काबू पाए जाने की खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि धारावी की बस्ती, लगभग ढाई वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है. जिसमें करीब 15 लाख लोग रहते हैं. जाहिर है, वहां सोशल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है. लेकिन प्रशासन ने इसे चुनौती के तौर पर लिया और धारावी में सिर्फ दो महीने के भीतर सात लाख लोगों के कोरोना टेस्ट किए गए.