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DNA: एक मछली बांग्लादेश के लिए कितनी कीमती...क्या यूनुस की इकॉनमी की रीढ़ है फिश?

DNA Analysis: अब हम दक्षिण एशिया में मछली पर महायुद्ध की तैयारियों का विश्लेषण करेंगे. आज आपको जानना चाहिए बांग्लादेश के लिए एक मछली इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई कि उसकी सुरक्षा के लिए बांग्लादेश ने आधुनिक हथियारों से लैस युद्धपोत और हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए हैं.

DNA: एक मछली बांग्लादेश के लिए कितनी कीमती...क्या यूनुस की इकॉनमी की रीढ़ है फिश?

DNA Analysis: अब हम दक्षिण एशिया में मछली पर महायुद्ध की तैयारियों का विश्लेषण करेंगे आज आपको जानना चाहिए बांग्लादेश के लिए एक मछली इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई कि उसकी सुरक्षा के लिए बांग्लादेश ने आधुनिक हथियारों से लैस युद्धपोत और हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए हैं.  आखिर क्यों बांग्लादेश की नेवी ने चेतावनी जारी की है वो हिल्सा मछली का शिकार करने वालों पर बहुत कठोर एक्शन लेगी आज आपको ये भी जानना चाहिए एक मछली के लिए बांग्लादेश की इस युद्ध जैसी तैयारियों का भारत से क्या कनेक्शन है?

सबसे पहले आप देखिए किस तरह बांग्लादेश की नेवी के युद्धपोत पेट्रोलिंग वेसल्स समंदर में 24 घंटे गश्त कर रहे हैं गश्त लगा रहे कुछ युद्धपोत भारी हथियारों से भी लैस हैं बांग्लादेश की नेवी ने ऐसे एक दो नहीं 17 जहाज हिल्सा मछली की सुरक्षा के लिए बंगाल की खाड़ी और उन इलाकों में उतार दिए हैं. जहां नदियां समंदर से मिल रही हैं ये जहाज़ लगभग 1 महीने तक इस पूरे इलाके में गश्त करेंगे सोचिए बांग्लादेश की नेवी में लगभग 80 शिप है जिसमें से 17 हिल्सा मछली की रखवाली कर रहे हैं. 

इन जहाजों के अलावा पिछले दो दिनों से हेलीकॉप्टर्स से भी हिल्सा मछली की सुरक्षा की जा रही है. बांग्लादेश नेवी के हेलीकॉप्टर आसमान से समंदर पर नजर बनाए हुए हैं. अगर मछुआरों की नाव या कोई मछली पकड़ने वाला ट्रॉलर आस पास दिखा तो उस पर आसमान से गोलियां भी बरस सकती हैं या फिर ये हेलीकॉप्टर युद्धपोतों और दूसरे जहाजों को सूचना देकर फौरन हिल्सा का शिकार करने आए लोगों पर एक्शन सुनिश्चित करवा सकते हैं. इसके लिए बाकायदा बांग्लादेश की नेवी ने एक चेतावनी भरा संदेश भी जारी किया है. आज आपको उस चेतावनी के बारे में भी जानना चाहिए ये संदेश बांग्ला भाषा में जारी किया गया है लेकिन आज हम आपको इसका हिंदी अनुवाद बताएंगे. जिससे आप समझ पाएं बांग्लादेश इस मछली की सुरक्षा को लेकर कितना संजीदा है.

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बांग्लादेश की नेवी के इस चेतावनी संदेश में सबसे ऊपर लिखा है मां हिल्सा संरक्षण अभियान 2025 हिल्सा मछली के शिकार पर प्रतिबंध. आप सोचिए बांग्लादेश की नेवी ने हिल्सा को मां कहकर संबोधित किया है हिल्सा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है और बांग्लादेश की नेवी उसकी सुरक्षा वैसे ही करने जा रही है जैसे कोई अपने मां की सुरक्षा करता है. इसके बाद इस संदेश में बताया गया है 4 अक्टूबर से 25 अक्टूबर 2025 तक यानि कुल 22 दिनों तक पूरे देश में हिल्सा मछली के शिकार, परिवहन, भंडारण, बिक्री, और आदान-प्रदान पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

इन दिनों में कोई भी मछली पकड़ने वाला जहाज समुद्र, तटवर्ती इलाकों या नदियों में मछली नहीं पकड़ेगा. बांग्लादेश नौसेना इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए 24 घंटे निगरानी रखेगी और अगर कोई नियम तोड़ेगा, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. बांग्लादेश की नौसेना की ये चेतावनी बता रही है 22 ​दिनों तक अगर किसी ने भी हिल्सा मछली को पकड़ने की कोशिश की तो पूरी ताकत के साथ बांग्लादेश की आर्मी एक्शन करेगी यानि भारत से कोई जहाज गलती से भी यहां पर पहुंच गया तो बांग्लादेश की नौसेना उसके खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती है लेकिन आपके दिमाग में एक सवाल बार बार आ रहा होगा आखिरकार इन 22 दिनों में समंदर और नदियों में ऐसा क्या खास होगा जिसकी वजह से बांग्लादेश जैसे छोटे मुल्क ने 17 युद्धपोत समंदर में तैनात कर दिए हैं आज आपको ये भी समझना चाहिए. 

बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली हिल्सा एक समुद्री मछली है, जो प्रजनन के समय बंगाल की खाड़ी से नदियों में अंडे देने आती है ये समय 4 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक का है. इस दौरान नदियों में ये बड़ी संख्या में मिलती हैं जिससे इनका शिकार आसान हो जाता है और मछुआरों में ज्यादा से ज्यादा संख्या में हिल्सा पकड़ने की होड़ लग जाती है लेकिन प्रजनन काल में शिकार का सीधा असर हिल्सा की संख्या पर पड़ता है यानि प्रजनन काल में इसे पकड़ा गया तो इनकी संख्या तेजी से घट जाएगी क्योंकि वो अंडे भी नहीं दे पाएंगी और नई हिल्सा मछली तैयार नहीं होंगी इसीलिए बांग्लादेश की नेवी ने हिल्सा के अवैध शिकार को रोकने के लिए युद्धपोत और हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए हैं. 

आज आपको ये भी समझना चाहिए आखिरकार हिल्सा मछली बांग्लादेश के लिए इतनी बहुमूल्य क्यों है आखिर क्यों उसकी संख्या को बढ़ाने के लिए बांग्लादेश जैसे समस्याओं से घिरे देश ने युद्धपोतों की तैनाती कर दी है और ये युद्धपोत फिलहाल किन जगहों पर हिल्सा को बचाने के लिए गश्त लगा रहे हैं हिल्सा मछली को दुनिया की कुछ सबसे स्वादिष्ट मछलियों में से एक माना जाता है. जिससे  हाई-लेवल ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और विटामिन भी मिलता है यानि स्वादिष्ट होने के साथ साथ ये सेहतमंद भी है इसलिए इसे queen of fishes कहा जाता है. हिल्सा बांग्लादेश के साथ साथ भारत में भी पसंद  की जाती है लेकिन इस मछली के उत्पादन में बांग्लादेश दुनिया में सबसे आगे है. 

दुनिया में करीब 75 फीसदी हिल्सा मछली बांग्लादेश से आती है. बांग्लादेश में हर साल करीब 3 लाख 87 हजार हिल्सा मछली का उत्पादन होता है और बांग्लादेश का हिल्सा बाजार लगभग 158 अरब टका यानि 11 हजार 400 करोड़ रुपये का है. ये व्यापार बांग्लादेश की जीडीपी का एक प्रतिशत है. बांग्लादेश में हिल्सा रोजगार, आय और विदेशी मुद्रा तीनों से जुड़ी है और ये लाखों लोगों के रोजगार का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष साधन है. इस मछली की कीमत ढाका में 2,200 टका प्रति किलोग्राम और भारत में 1600 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है. भारत में जिन लोगों ने हिल्सा मछली का स्वाद ​लिया है वो इसकी कीमत से भी वाकिफ होंगे. 

ये ही वजहें हैं बांग्लादेश हिल्सा को लेकर इतना संवेदनशील है लेकिन 22 दिनों तक इसे पकडने पर रोक लगाने से बांग्लादेश के मछुआरे काफी परेशान हैं क्योंकि 22 दिन तक उनकी रोजी रोटी का साधन खत्म हो गया है. बांग्लादेश सरकार ने प्रजनन काल के दौरान प्रतिबंध की भरपाई के लिए हर मछुआरे के परिवार को 25 किलोग्राम चावल आवंटित किया है लेकिन बांग्लादेश में मछुआरे इससे संतुष्ट नहीं है. चलिए अब आप भारत में हिल्सा की मांग और उत्पादन के बारे में भी जान लीजिए दुनिया में भारत लगभग 8 फीसदी हिल्सा का उत्पादन करता है.
 
हिलसा मछली भारत में ज्यादातर भगीरथी–हुगली सिस्टम में मिलती हैं. इसके अलावा गुजरात की नर्मदा नदी में भी हिल्सा पाई जाती है. भारत में दुर्गा पूजावाले समय इसकी डिमांड सबसे ज्यादा बढ़ जाती है. यही वजह है भारत और बांग्लादेश में हिल्सा कूटनीति काफी प्रसिद्ध रही है ढाका में यूनुस सरकार आने के बाद दोनों देशों के रिश्ते की गर्माहट कम हुई हैलेकिन बांग्लादेश ने इस साल दुर्गा पूजा से पहले भारत को 1,200 टन हिल्सा मछली के निर्यात की अनुमति दी ताकि भारत में लोग त्योहार पर हिल्सा का स्वाद ले सकें और ये स्वाद दोनों देशों के रिश्ते का जायका भी सही रखें. त्योहार से पहले भारत में बांग्लादेश के दूतावास ने एक हिल्सा महोत्सव का आयोजन भी किया था. लेकिन क्या बांग्लादेश के हिल्सा सुरक्षा प्लान की वजह से दोनों देश आमने सामने भी आ सकते हैं अब आप इसे भी समझिए. 

इस वक्त बांग्लादेश की नेवी मुख्य रूप से चार जगहों पर हिल्सा की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग कर रही है. इनमें से दो जगह हैं, खुलना और बारीसल बारीसल को हिलसा की राजधानी कहा जाता है क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा हिल्सा मछलियां मिलती हैं. इसके अलावा चांदपुर और कॉक्स बाजार में भी हिल्सा बड़ी संख्या में अंडे देने आती हैं. इसलिए यहां भी बांग्लादेश नेवी की पेट्रोलिंग जारी है. इसमें से बारीसल चांदपुर और कॉक्स बाजार भारतीय सीमा से काफी दूर हैं यानि यहां पर कोई इंडियन जहाज़ गलती से भी मछली पकड़ने नहीं जाएगा लेकिन खुलना सुंदरबन के पास मौजूद है यानि भारत के पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा है. कई बार भारतीय ट्रॉलर गलती से यहां पहुंच जाते हैं. अगर प्रतिबंध के दौरान कोई भारतीय नाव यहां पर गलती से पहुंची तो तनाव बढ़ सकता है लेकिन भारत भी हिल्सा के संरक्षण की मुहिम चलाता है इसलिए दोनों देश इस बात का ख्याल रखते हैं कि प्रजनन के समय हिल्सा मछली के शिकार से बचा जाए. 

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Abhinaw Tripathi

जी न्यूज में न्यूज डेस्क पर बतौर सब एडिटर कार्यरत. देश- विदेश की खबरों को सरल भाषा में लिखते हैं. साहित्य और राजनीति में विशेष दिलचस्पी. यूपी के सुल्तानपुर जिले से ग्रेजुएशन, महात्मा गांधी काशी विद...और पढ़ें

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