DNA ANALYSIS: कोरोना के दौर में 'दवाइयों की महाशक्ति' बनते भारत का DNA टेस्ट
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DNA ANALYSIS: कोरोना के दौर में 'दवाइयों की महाशक्ति' बनते भारत का DNA टेस्ट

दुनिया के करीब 30 देश Hydroxy-Chloro-quine की गोलियां लेने के लिए भारत के सामने हाथ जोड़ रहे हैं. इन देशों में दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप तो अब इन गोलियों के लिए धमकी तक देने लगे हैं. 

DNA ANALYSIS: कोरोना के दौर में 'दवाइयों की महाशक्ति' बनते भारत का DNA टेस्ट

हम आपसे लगातार ये कह रहे हैं कि कोरोना वायरस ने दुनिया को बदल दिया है. आज इसका एक और उदाहरण हम आपको बताते हैं. बम, बंदूक, रॉकेट, मिसाइल की बड़ी बड़ी डील करने वाले, दुनिया के बड़े-बड़े देश, अब एक दवा की गोली के पीछे भाग रहे हैं. ये दवा की गोली है Hydroxy-Chloro-quine, जो कोरोना मरीजों के इलाज में काम आ रही है. ये दवा दुनिया में सबसे ज़्यादा भारत में बनाई जाती है.

दुनिया के करीब 30 देश Hydroxy-Chloro-quine की गोलियां लेने के लिए भारत के सामने हाथ जोड़ रहे हैं. इन देशों में दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप तो अब इन गोलियों के लिए धमकी तक देने लगे हैं. जब ट्रंप से ये पूछा गया कि अगर भारत Hydroxy-Chloro-quine की दवा के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं हटाएगा तो वो क्या करेंगे? इस सवाल पर ट्रंप ने कहा कि अगर भारत ने दवा की सप्लाई की मंज़ूरी नहीं दी तो अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई करेगा. 

डोनल्ड ट्रंप की धमकी के बाद हमारे यहां एक वर्ग ये कहने लगा कि ट्रंप की धमकियों से भारत डर गया क्योंकि Hydroxy-Chloro-quine के निर्यात पर भारत ने आंशिक छूट दे दी है. लेकिन सच ये है कि भारत ने ये फैसला सोमवार को ही कर लिया था. शनिवार को दुनिया के अलग अलग देशों ने Hydroxy-Chloro-quine के लिए भारत से गुहार लगाई थी. रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से खुद फोन पर बात की थी और मदद मांगी थी. इसके बाद सोमवार को Directorate General of Foreign Trade ने 14 दवाओं के निर्यात पर शर्तों के साथ छूट दी थी.

लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के धमकी वाले तेवर किसी को अच्छे नहीं लगे. इन देशों की कुंठा को समझा जा सकता है. जो देश भारत को बम औऱ बंदूक भेजते थे, वो भारत से गोली मांग रहे हैं. ये वो लोग हैं, जो पूरी दुनिया में हथियार बेचते हैं. जिन्होंने दुनिया को यही सिखाया कि हथियार खरीदो और दुश्मन को गोली मार दो. लेकिन ये गोली अब बदल गई है. क्योंकि अब लड़ाई एक वायरस से है. और इस वायरस से लड़ाई में काम आने वाली गोली भारत के पास है. यही गोली सबके काम आ रही है, दूसरी कोई गोली काम नहीं आ रही है. यानी कोरोना वायरस ने बाज़ार बदल दिया है. 

कोरोना ने दुनिया को उस गोली से इस गोली तक का सफर तय करवा दिया है. अब किसी को बम, मिसाइल, रॉकेट, लड़ाकू विमान नहीं चाहिए, सिर्फ दवा की वो गोली चाहिए, जो भारत के पास है. ये नए ज़माने में भारत की शक्ति है. पहले इस बात पर चर्चा होती थी, कि भारत कहां से बंदूक और हथियार खरीदेगा, कहां से लड़ाकू विमान खरीदेगा. पहले ये ख़बरें आती थीं कि भारत ने कहां-कहां से कितना बड़ा रक्षा सौदा किया है. लेकिन कोरोना के संकटकाल ने ख़बरें भी बदल दी हैं. अब चर्चा इस बात की है कि कोरोना से लड़ने वाली दवा की गोली भारत किसको देगा?

भारत दवाओं की दुनिया की महाशक्ति
hydroxychloroquine और paracetamol का निर्यात case-by-case उन देशों को होगा, जिन्होंने पहले से ऑर्डर दिए थे. सरकार ने आज प्राथमिकता तय कर दी है. भारत ने साफ किया है कि सबसे पहले अपने देश की ज़रूरतें देखी जाएंगी. फिर पड़ोसी देशों की मदद की जाएगी. इसके बाद उन देशों का ध्यान रखा जाएगा, जो देश कोरोना वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. भारत दवाओं की दुनिया की महाशक्ति बन गया है. जो hydroxychloroquine की गोलियां दुनिया भारत से मांग रही है. उसके उत्पादन में भारत नंबर एक है. हम आपको कुछ दिलचस्प आंकड़े दिखाते हैं.

भारत ने पिछले वर्ष करीब 400 करोड़ रुपये की कीमत की hydroxychloroquine निर्यात की हैं. 
भारत में इतनी उत्पादन क्षमता है कि वो हर महीने 100 टन hydroxychloroquine बना सकता है.
कोरोना के एक मरीज के लिए hydroxychloroquine की औसतन 14 गोलियों की ज़रूरत पड़ती है. 
भारत के पास hydroxychloroquine की हर महीने करीब 20 करोड़ टैबलेट बनाने की क्षमता है. 

एक अनुमान के मुताबिक भारत 10 करोड़ hydroxychloroquine गोलियों से अपने करीब 7 करोड़ मरीजों का इलाज कर सकता है. सामान्य तौर पर भारत में इस दवा की औसतन घरेलू खपत सालाना करीब ढाई करोड़ टैबलेट की रहती है. हालांकि इस दवा का 70 प्रतिशत raw material चीन से आता है. वैसे तो चीन से अब भी raw material और दूसरे ज़रूरी केमिकल सप्लाई हो रहे हैं. फिर भी भारत के पास अभी जो  raw material है और जितनी गोलियां हैं, वो 5 से 6 महीने का पर्याप्त भंडार है. यानी भारत में इस टैबलेट की कोई कमी नहीं है. हम दूसरों की भी पूरी मदद कर सकते हैं.

DNA वीडियो:

ट्रंप की छवि खराब हुई
हम सर्वे भवन्तु सुखिनः के मंत्र वाले देश हैं. यानी हम सबका भला चाहते हैं. हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम वाली है. जिसमें हम पूरी पृथ्वी को अपना परिवार मानते हैं. इसलिए हम इस संकटकाल में सबकी मदद कर रहे हैं. दुनिया के देश जहां इस बात पर चिंतित थे कि कोरोना वायरस से कितना आर्थिक नुकसान हो रहा है, वहीं भारत ने कहा था कि चिंता लोगों की जान बचाने की होनी चाहिए. यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने g-20 देशों की वीडियो कॉन्फ्रेंस में कही थी. यही भारत की भावना है जिसकी वजह से ही भारत ने फैसला किया कि कोरोना से लड़ने में काम आने वाली chloroquine और paracetamol सहित 14 अहम दवाओं के निर्यात पर कुछ छूट दी जाएगी. ये फैसला भारत ने मानवता के आधार पर और देशों से संबंधों के आधार पर किया है. डोनल्ड ट्रंप ने खुद पीएम मोदी को फोन किया था और मदद मांगी थी लेकिन इसके बाद भी डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह की बात की, उससे उन्हीं की छवि खराब हुई है. वैसे भी कोरोना से लड़ाई में डोनल्ड ट्रंप की बहुत आलोचना हो रही है. दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति सबसे कमज़ोर दिख रहा है.

अमेरिका में जिस तरह से कोरोना के मामले बढ़े हैं, उसमें वेंटिलेटर और दूसरे मेडिकल उपकरणों की बहुत कमी पड़ गई है. अमेरिका अपने दुश्मनों से भी मदद मांगने के लिए मजबूर है. डोनाल्ड ट्रंप ने 30 मार्च को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से फोन पर बात की और मदद मांगी. इसके बाद रूस ने मेडिकल उपकरण औऱ दूसरे सामान अमेरिका भेजे थे. यहां तक कि अमेरिका को रूस की उन कंपनियों से मेडिकल उपकरण खरीदने पड़ रहे हैं. जिन कंपनियों पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगाया था. इनमें से एक कंपनी को अमेरिका ने हाल ही में वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया है. अमेरिका में कहा गया है कि अगले दो हफ्ते बहुत गंभीर हैं. अमेरिका में संक्रमण के साढ़े तीन लाख से भी ज़्यादा मामले आ चुके हैं. पिछले एक दिन में 12 सौ से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.

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