नई दिल्‍ली: हम सब लोगों को वीकली ऑफ का बेसब्री से इंतजार रहता है. ज़्यादातर दफ़्तरों में रविवार को छुट्टी रहती है और कई ऑफिस और फैक्‍टरी बंद रहती हैं, लेकिन सोचिए अगर वीकली ऑफ तीन दिन का कर दिया जाए तो क्या होगा. आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.


स्‍पेन में 3 दिन का वीकली ऑफ


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स्‍पेन में अब एक हफ़्ते में 32 घंटे यानी की चार दिन काम होगा और 3 दिन का वीकली ऑफ होगा. अभी तक स्‍पेन में कर्मचारियों को 5 दिन यानी 40 घंटे काम करना होता था. काम के घंटे कम करने की मांग वहां की लेफ्ट विंग पार्टी लंबे समय से कर रही थी और कुछ रिसर्च में यह बताया गया है कि ज्यादा काम करने के बाद भी देश की उत्पादन क्षमता दूसरे देशों से अच्छी नहीं है. ऐसे में सरकार ने 3 साल के लिए पायलट प्रोजेक्‍ट लागू किया है. सरकार का मानना है कि इससे लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा और उनकी उत्पादन क्षमता यानी की प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी.


अब आपके मन में सवाल उठता होगा कि क्या भारत में भी यह हो सकता है? आखिर छुट्टियों का कॉन्‍सेप्‍ट क्या है. एक सप्ताह में कितनी छुट्टियां होनी चाहिए?


वीकली ऑफ का कॉन्‍सेप्‍ट कहां से आया?


सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि वीकली ऑफ का कॉन्‍सेप्‍ट कहां से आया.



इंग्लैंड में इसकी शुरुआत सन 1843 से हुई पहले सातों दिन काम होता था,  जिससे लोग गिरिजाघर नहीं जा पाते थे. उनमें असंतोष की भावना बढ़ने लगी और उनकी आस्था कम होने लगे.  इसलिए  ब्रिटिश गर्वमेंट ने वीकली ऑफ शुरू किया. बाद में दुनिया के अधिकतर देशों में इसे मान लिया.


महाराष्ट्र के मजदूरों की 7 वर्षों की लंबी लड़ाई


अब आपको बताते हैं कि हमारे देश में अवकाश की शुरुआत कैसे हुई. पहले हमारे देश में सूती मिलों में सातों दिन काम होता था. इसके खिलाफ महाराष्ट्र के मजदूरों ने 7 सालों तक लंबी लड़ाई लड़ी और तब जाकर अंग्रेजों ने 1890 से रविवार को वीकली ऑफ घोषित किया.


दो दिनों के वीकली ऑफ की शुरुआत


वीकली ऑफ की शुरुआत भगवान के दिन के लिए की गई. इस हिसाब से हमारे यहां वीकली ऑफ उस दिन होना चाहिए था,  जिसे हम भगवान का दिन मानते हैं. लेकिन अंग्रेजों के इस नियम को आजादी के बाद बिना बदले अपना लिया गया. असल में दो दिनों के अवकाश की शुरुआत के पीछे की कहानी भी बहुत रोचक है.


दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनी फोर्ड की कारों की बिक्री घटने लगी थी, तो कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड ने 1926 से कर्मचारियों को दो दिनों का अवकाश देना शुरू किया. उनकी सोच थी कि इससे कर्मचारी ज्यादा कार खरीदेंगे. बाद में 1932 में पूरी दुनिया में छाई महामंदी के दौरान अमेरिका ने बेरोजगारी से निपटने के लिए देश में 5 दिन का हफ़्ता घोषित कर दिया.