नई दिल्ली: कहते हैं सच परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं. आपको याद होगा कि इसी वर्ष मार्च के महीने में हमने आपको जम्मू से जमीन जेहाद पर एक खबर दिखाई थी. हमने आपको बताया था कि कैसे जम्मू-कश्मीर में रोशनी एक्ट के नाम पर 25 हजार करोड़ रुपये का जमीन घोटाला किया गया है. जब हमने ये खबर दिखाई थी तब हमारे देश के कुछ लोगों को ये सच बहुत चुभ गया था और पूरा टुकड़े टुकड़े गैंग ज़ी न्यूज़ का दुश्मन बन गया था. यहां तक कि जम्मू से जमीन जेहाद की खबर दिखाने पर ज़ी न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी के खिलाफ केरल में गैर जमानती धाराओं में एफआईआर तक दर्ज करा दी गई थी. लेकिन आज सारी परेशानियों के बावजूद ज़ी न्यूज़ का एक और सच विजयी हुआ है. जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने रोशनी एक्ट की आड़ में हुए इस 25 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की जांच CBI को सौंप दी है. सीबीआई जांच का आदेश देते हुए जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने कहा है कि रोशनी एक्ट पूरी तरह से असंवैधानिक था.


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सरकारी जमीनें कौड़ियों के भाव बेच दी गईं
करीब 8 महीने पहले जब हमने इस घोटाले की जांच की थी तो हमें हैरान करने वाली जानकारियां मिली थीं. इनके मुताबिक वर्ष 2001 में रोशनी एक्ट नाम के एक कानून के तहत सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों को ही जमीन का असली मालिक बना दिया गया. ये एक बहुत बड़ा जमीन घोटाला था. जिसमें अवैध कब्जा करने वालों को बेशकीमती सरकारी जमीनें कौड़ियों के भाव बेच दी गईं. 


सरकारी जमीन पर मालिकाना हक देने वाले रोशनी एक्ट के तहत जम्मू में 25 हजार लोग बसाए गए, जबकि कश्मीर में सिर्फ 5 हजार लोग बसाए गए.


सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि हिंदू बहुल जम्मू में जिन 25 हजार लोगों को सरकारी जमीन का कब्जा दिया गया, उनमें से ज्यादातर मुसलमान थे.


जम्मू की जनसंख्या को बदलने की कोशिश
जो लोग इस मामले पर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं उनका दावा है कि ये सब सरकारी जमीन को कौड़ियों के भाव बेचने के लिए किया गया. इसके तहत जम्मू की जनसंख्या को भी बदलने की कोशिश की गई थी.


2001 में तत्कालीन नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने सरकारी जमीनों पर मालिकाना हक देने के लिए रोशनी एक्ट बनाया था. 2018 में जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रोशनी एक्ट को खत्म कर दिया था.


जम्मू में चल रहे घोटाले की रिपोर्ट दिखाने की भी हमें कीमत चुकानी पड़ी थी और हमारे खिलाफ केरल में एफआईआर दर्ज करा दी गई थी. लेकिन ज़ी न्यूज़ ऐसी धमकियों और दबावों के आगे नहीं झुका.