DNA ANALYSIS: हाथरस मामले में ZEE NEWS के स्टिंग में सामने आया सच
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DNA ANALYSIS: हाथरस मामले में ZEE NEWS के स्टिंग में सामने आया सच

हाथरस (Hathras) की घटना पर मीडिया का एक वर्ग लगातार आपको सच के अलग-अलग संस्करण दिखा रहा है. हाथरस के बूलगढ़ी गांव में इस समय भी ऐसे डिजाइनर पत्रकार मौजूद हैं, जो ग्राउंड रिपोर्ट के नाम पर उछल-कूद करने वाली रिपोर्टिंग कर रहे हैं.

DNA ANALYSIS: हाथरस मामले में ZEE NEWS के स्टिंग में सामने आया सच

नई दिल्ली: हाथरस (Hathras) की घटना पर मीडिया का एक वर्ग लगातार आपको सच के अलग-अलग संस्करण दिखा रहा है. हाथरस के बूलगढ़ी गांव में इस समय भी ऐसे डिजाइनर पत्रकार मौजूद हैं, जो ग्राउंड रिपोर्ट के नाम पर उछल-कूद करने वाली रिपोर्टिंग कर रहे हैं. लेकिन Zee News ने गंभीरता से इस मामले में लगातार सच सामने लाने की कोशिश की है. 

  1. सच्चाई जानने के लिए Zee News ने किया स्टिंग
  2. पीड़िता की जीभ काटने और गैंगरेप का दावा सही नहीं
  3. नेताओं ने बलराम को छोड़कर अपनी सुविधा से चुन लिया हाथरस

पीड़िता के परिवार और आरोपी के बीच कई बार बातचीत
 Zee News ने दो दिन पहले हमने Call Data Record की मदद से पीड़िता के परिवार और मुख्य आरोपी संदीप के बीच बातचीत के सबूत दिखाए थे. अब हाथरस का सच दिखाने के लिए Zee News ने एक Sting Operation किया है, यानी छिपे हुए कैमरे की मदद से झूठ के ढेर में छिपे सच को खोज निकाला है.

सच्चाई जानने के लिए Zee News ने किया स्टिंग
Zee News के स्टिंग ऑपरेशन में सबसे महत्वपूर्ण बात हाथरस जिला अस्पताल के डॉक्टर रमेश बाबू ने बताई. डॉक्टर रमेश बाबू ने ही  14 सितंबर को सबसे पहले घायल पीड़िता का इलाज किया था. उन्होंने बताया कि लड़की को जब अस्पताल लाया गया तो उसकी स्थिति बेहद खराब थी. कैमरे पर रिकॉर्ड हुई इस बातचीत में डॉक्टर रमेश बाबू ने घायल पीड़िता की जीभ काटने की अफवाह को भी गलत बताया.

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पीड़िता का इलाज करने वाले पहले डॉक्टर ने बताई सच्चाई
डॉक्टर रमेश बाबू इस मामले की जांच कर रही उत्तर प्रदेश सरकार की SIT के प्रमुख गवाह भी हैं. डॉक्टर रमेश बाबू के मुताबिक पीड़िता की गर्दन पर चोट लगी थी, यानी किसी ने तो उसके साथ मारपीट की थी. वो आरोपी कौन हैं, इसका पता लगाना अब जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी है.

थाने में पहली बार आए परिवार वालों ने नहीं बताई थी रेप की बात
हाथरस केस में SIT के एक और महत्वपूर्ण गवाह हैं होमगार्ड शिव कुमार. वे हाथरस के चंदपा थाने में तैनात हैं. पीड़िता का परिवार सबसे पहले उसे लेकर इसी थाने गया था. इसके बाद होमगार्ड शिव कुमार ने ही पीड़िता को इलाज के लिए हाथरस के ज़िला अस्पताल पहुंचाया था. शिव कुमार के मुताबिक तब न तो पीड़िता और न ही उसकी मां ने रेप की बात कही थी.

पीड़िता की जीभ काटने और गैंगरेप का दावा सही नहीं
होमगार्ड शिवकुमार और डॉक्टर रमेश बाबू की बातों ने इस केस के दो बड़े झूठ को सच्चाई का आईना दिखा दिया है. हाथरस मामले में लगातार पीड़िता की जीभ काट देने और गैंगरेप का दावा किया गया है. आपने भी जरूर ऐसी ख़बरों को देखा होगा. हालांकि Zee News लगातार आपको सच दिखा रहा है.हाथरस मामले में झूठ फैलाने और काल्पनिक खबरों पर रिपोर्ट तैयार करने वाले डिजाइनर पत्रकारों को ये अच्छा नहीं लग रहा है.

नेताओं ने बलराम को छोड़कर अपनी सुविधा से चुन लिया हाथरस
महिलाओं के साथ हिंसा के मामलों में Zee News कोई भेदभाव नहीं करता है. Zee News हाथरस के साथ दूसरे मामलों की भी रिपोर्टिंग कर रहा है. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बलरामपुर (Balrampur) का है. वहां गैंगरेप के बाद 22 वर्ष की पीड़िता की मौत हो चुकी है. गैंगरेप के मुख्य आरोपी शाहिद को आज पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है. हालांकि बलरामपुर में पीड़िता के घर पर न्यूज़ चैनलों की भीड़ मौजूद नहीं हैं और ना ही पीड़िता के परिवार से मिलने के लिए अलग-अलग पार्टियों के नेता पहुंच रहे हैं. 

पढ़ाई के साथ नौकरी करके परिवार चला रही थी बलरामपुर पीड़िता
ज्यादातर पत्रकारों ने TRP के लिए सिर्फ हाथरस मामले की कवरेज की और नेताओं ने भी हाथरस मामले पर ही बयान दिए हैं. लेकिन बलरामपुर में पीड़िता के परिवार को मीडिया के विशेष वर्ग और नेताओं दोनों ने अनदेखा कर दिया. बलरामपुर की पीड़िता घटना से पहले B.Com की पढ़ाई के साथ अपने परिवार की मदद के लिए नौकरी भी कर रही थीं. 

पूरा नहीं हो सका बलरामपुर पीड़िता का सपना
वह Law की पढ़ाई करके वकील बनना चाहती थीं. उसने अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालने का सपना देखा था. लेकिन अब उस सपने की मौत हो चुकी है. पीड़िता की मां आज भी उसे याद करके भावुक हो जाती हैं. 

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