DNA ANALYSIS: Flying Sikh मिल्खा सिंह के जीत के मंत्र, सीख सकते हैं ये बातें
Advertisement
trendingNow1925797

DNA ANALYSIS: Flying Sikh मिल्खा सिंह के जीत के मंत्र, सीख सकते हैं ये बातें

मिल्खा सिंह ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी जुगराज सिंह को निरंतर बढ़ते रहने का मंत्र दिया. वर्ष 2003 में जब जुगराज सिंह 20 वर्ष के होने वाले थे, उससे पहले उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया था और इस दुर्घटना ने उनका करियर खत्म कर दिया था.

DNA ANALYSIS: Flying Sikh मिल्खा सिंह के जीत के मंत्र, सीख सकते हैं ये बातें

नई दिल्ली: फ्लाइंग सिख (Flying Sikh) के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं. आज हम आपको सिर्फ इतना बताना चाहते हैं कि आप कैसे मिल्खा सिंह से काफी कुछ सीख सकते हैं. मिल्खा सिंह भारत के इकलौते ऐसे एथलीट थे, जिन्होंने 400 मीटर की दौड़ में एशियाई खेलों के साथ साथ कॉमनवेल्थ खेलों में भी देश के लिए गोल्ड मेडल जीता था. अपने करियर में उन्होंने 80 में से 77 रेस जीती, लेकिन रोम ओलम्पिक्स में वो अपनी हार को कभी नहीं भूले.

दर्द को रास्ते में रुकावट नहीं बनने दिया

इस रेस में वो 0.1 Second के अंतर से चौथे स्थान पर रहे थे और ओलम्पिक्स में देश के लिए पदक जीतने से चूक गए थे. ये क्षण उनके लिए काफी मुश्किल भरा था. हालांकि इस दर्द को उन्होंने कभी भी अपने रास्ते में रुकावट नहीं बनने दिया और यही बात वो दूसरे खिलाड़ियों को सिखाते रहे.

हमेशा बढ़ाया खिलाड़ियों का मनोबल

वर्ष 1984 में जब समर ओलम्पिक्स का आयोजन अमेरिका के लॉस एंजिल्स में हुआ, तब पीटी उषा 400 मीटर दौड़ के फाइनल मुकाबले में पहुंच गई थीं, लेकिन मिल्खा सिंह की तरह वो भी पदक जीतने से सेकंड्स के 100वें हिस्से से चूक गईं. इस असफलता ने उनके मनोबल को तोड़ा और उन्हें निराशा ने घेरना शुरू कर दिया.

उस समय पीटी उषा ने मिल्खा सिंह से इस पर बात की थी और मिल्खा सिंह के शब्द थे कि पीटी उषा उनकी तरह ही काफी मेहनती हैं, लेकिन वो सिर्फ इसलिए उनसे ज्यादा मेडल जीत पाए क्योंकि, उन्होंने ज्यादा देशों की यात्रा की और एक के बाद एक प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. इस सलाह ने तब पीटी उषा का मनोबल बढ़ाया और आने वाले वर्षों में उन्होंने देश के लिए कई मेडल जीते.

इसी तरह भारतीय एथलीट और निशानेबाज जॉयदीप कर्माकर 2012 के लंदन ओलम्पिक्स में 50 मीटर के Rifle Prone Event में चौथे स्थान पर रहे थे और पदक नहीं जीत पाए थे और इस असफलता ने उन्हें भी काफी निराश किया.

इस पर जब उन्होंने मिल्खा सिंह से ये पूछा कि वो कैसे इस दर्द का सामना कर सकते हैं, तब मिल्खा सिंह ने कहा था कि उन्हें इस दर्द के साथ हमेशा रहना होगा, लेकिन ये भी ध्यान रखना होगा कि ये दर्द उनके जीवन को अपाहिज न बना दे.

मिल्खा सिंह ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी जुगराज सिंह को भी निरंतर बढ़ते रहने का मंत्र दिया. वर्ष 2003 में जब जुगराज सिंह 20 वर्ष के होने वाले थे, उससे पहले उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया था और इस दुर्घटना ने उनका करियर खत्म कर दिया था.

उस समय मिल्खा सिंह ने उनसे कहा था कि कभी भी हिम्मत मत छोड़ना क्योंकि, जिंदगी में ये उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. इस बात के कई वर्ष बीतने के बाद जब मिल्खा सिंह ने गोल्फ कोर्स में जुगराज सिंह को देखा, तो यही कहा कि लगे रहो.

पूरा नहीं हो सका ये सपना

मिल्खा सिंह ने हमेशा यही सिखाया कि नंबर चार पर रहते हुए भी उम्मीद को बरकरार रखा जा सकता है और आगे बढ़ा जा सकता है. पिछले साल दिसम्बर महीने में जब ​केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू Zee News के स्टूडियो में आए थे तो उन्होंने मिल्खा सिंह से बात की थी और मिल्खा सिंह ने तब कहा था कि ये उनकी ख्वाहिश है कि वो जिस सपने को पूरा नहीं कर पाए, उस सपने को भारत का कोई एथलीट उनके जीवित रहते हुए पूरा करे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

मिल्खा सिंह ने एक बार कहा था- आज मिल्खा सिंह का नाम इस दुनिया में है. It is because of hard work, It is because of willpower. बाकी किसी चीज की वजह से नहीं है.

ये शब्द मिल्खा के थे, जिनसे पता चलता है कि वो कभी भी भाग्य के भरोसे नहीं बैठे, बल्कि परिश्रम किया और अपना भाग्य खुद बनाया.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news