DNA ANALYSIS: 300 प्रजाति वाले आम के पेड़ का चमत्कार, मिलिए आम के सबसे बड़े 'इंजीनियर' से
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DNA ANALYSIS: 300 प्रजाति वाले आम के पेड़ का चमत्कार, मिलिए आम के सबसे बड़े 'इंजीनियर' से

हम आपको एक खास पेड़ के बारे में बताएंगे जिस पर एक बार में 300 तरह के आम उगते हैं. साथ ही एक व्यक्ति से भी मिलवाएंगे जिन्हें दुनिया Mango Man कहती है.

DNA ANALYSIS: 300 प्रजाति वाले आम के पेड़ का चमत्कार, मिलिए आम के सबसे बड़े 'इंजीनियर' से

नई दिल्ली: आज हम आपको आम के एक ऐसे अनोखे पेड़ के बारे में बताएंगे, जिस पर 300 प्रकार की अलग अलग किस्मों के आम उगते हैं. ये पेड़ लखनऊ के मलीहाबाद में हैं. 300 प्रकार के ये आम हमारे देश के आम आदमी के स्वभाव और व्यवहार के बारे में बहुत सारी बातें बताते हैं और आज हम इसका विश्लेषण करेंगे.

आम इकलौता ऐसा फल है जिसकी इतनी प्रजातियां पाई जाती हैं और हर एक का अपना अलग स्वाद है. भारत के लगभग हर प्रदेश में आप की पैदावार होती है और खास प्रजाति का आम उसकी एक अलग पहचान भी बन जाता है.

आम की सबसे ज्यादा पैदावार

कुछ खास प्रजातियां हैं जिनको आमतौर पर लोग पसंद करते हैं. हालांकि धीरे-धीरे आम की इन सभी प्रजातियों की पैदावार हर प्रदेश में होने लगी है. हम आपको देश के टॉप 5 ऐसे प्रदेशों के नाम बताते हैं जहां आम की सबसे ज्यादा पैदावार होती है.

-वर्ष 2018-19 में आंध्र प्रदेश में 5 हजार मिट्रीक टन से ज्यादा आम की पैदावार हुई. इसके बाद दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश का नाम आता है, जहां 4 हजार 577 मिट्रीक टन आम की पैदावार हुई. इसके अलावा बिहार, गुजरात और कर्नाटक में भी आम की पैदावार 1000 मिट्रीक टन से ज्यादा रही.

-भारतीय आम विदेशों में भी खूब पसंद किए जाते हैं और इससे भारतीय निर्यातकों को अच्छी खासी कमाई होती है. हालांकि बीते समय के साथ आम की पैदावार में कमी आई है, लेकिन फिर भी भारत हर साल 1 लाख मिट्रीक टन से ज्यादा आम विदेशों में निर्यात करता है.

-वर्ष 2015-16 में भारत ने पूरे विश्व को 1 लाख 69 हजार 289 मिट्रीक टन आम एक्सपोर्ट किया था. इसके अगले साल भारत ने 1 लाख 84 हजार मिट्रीक टन से ज्यादा आम एक्सपोर्ट किया. वर्ष 2017-18 में भारत ने 1 लाख 61 हजार मिट्रीक टन और फिर 2018-19 में 1 लाख 16 हजार मिट्रीक टन से ज्यादा आम विदेशों में भेजा.

भारत से विदेशों में भेजे जाने वाले आम की खासियत 

भारत से विदेशों में भेजे जाने वाले आम की खासियत ये होती है कि वो कम से कम 7 दिनों तक खराब नहीं होते हैं. यही वजह है कि उनको लंबी दूरी तर भेज पाना मुमकिन हो पाता है. वैसे तो पूरा विश्व भारतीय आम का शौकीन है लेकिन 5 देश ऐसे हैं, जहां भारत सबसे ज्यादा आम एक्सपोर्ट करता है. भारत से सबसे ज्यादा आम UAE, UK, अमेरिका, ओमान और कतर में एक्सपोर्ट किया जाता है.

वर्ष 2019-2020 में भारतीय आम के शौकीन इन Top 5 देशों ने भारत से 41 मिलियन डॉलर यानी लगभग 300 करोड़ रुपये के आम खरीदे हैं. इसमें भारत ने अपने कुल एक्सपोर्ट का 35 प्रतिशत आम अकेले यूएई को भेजा है. इसके बाद यूके, अमेरिका, ओमान और कतर को आम एक्सपोर्ट किया. 

मिलिए Mango Man कलीमुल्लाह खां से

अब हम आपको एक खास पेड़ के बारे में बताते हैं जिस पर एक बार में 300 तरह के आम उगते हैं. साथ ही एक व्यक्ति से भी मिलवाएंगे जिन्हें दुनिया Mango Man कहती है.

लखनऊ के मलीहाबाद में आम का पेड़ एक सीजन में 300 से ज्यादा प्रकार के आम की मिठास से लदा होता है. मलीहाबाद के आम देश ही नहीं, विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं और जब मलीहाबाद के आमों का जिक्र होता है, तो नाम आता है, 'आम आदमी' यानी Mango Man कहे जाने वाले पद्मश्री कलीमुल्लाह खां का.

कलीमुल्लाह खां की खासियत ये है कि वो अपने अलग अलग प्रयोगों से ऐसे पेड़ तैयार करते हैं जिसकी हर डाली पर उगे आम का अपनी खासियत होती है. एक डाली पर केसर है, दूसरी डाली दशहरी. अगर एक डाली पर तोतापरी है, तो दूसरी पर अल्फांसो.

1957 से ही कलीमुल्लाह खां अपने 5 एकड़ में फैले आम के बागीचे में अलग-अलग प्रजातियों के आम का उत्पादन करते रहे हैं और आम से उनका लगाव इतना है कि वो मानते हैं कि आम का पेड़ एक इंसान है और वो खुद ही नई खोज करके आम में नया स्वाद देता है. कलीमुल्लाह इन आमों को गरीबों में बांटना चाहते हैं. 

कई बीमारियों के इलाज का दावा

वो कहते हैं कि इन पेड़ों से निकलने वाले पानी के साथ पेड़ की तमाम खासियतें भी हैं. इनसे तमाम तरह की दवाईयां बनाई जा सकती हैं. एक दौर था जब यही पेड़ पौधे ही बीमारियों का इलाज किया करते थे. अब लोग उन सबको बहुत दूर छोड़ आए हैं. हकीम वैद्य सब इन्हीं से दवाईयां बनाया करते थे जो कारगर भी हुआ करती थीं. मैं अपनी रिसर्च से एक बार फिर से देसी इलाज को बढ़ावा देना चाहता हूं, जिससे गरीब लोग बिना इलाज के दम न तोड़ें. मेरा दावा है कि इन पेड़ों में बड़ी-बड़ी बीमारियों का इलाज करने की ताकत होती है, बस ध्यान देने की जरूरत है.

वर्ष 1919 में अकेले मलीहाबाद में ही 1300 किस्म के आम पाए जाते थे, लेकिन समय के साथ इनकी किस्में कम होती गईं और अब उत्तर प्रदेश में 700 किस्में पाई जाती हैं. कलीमुल्लाह खां फिर से आम की कई किस्में अपने बागीचे में उगाना चाहते हैं. उनका मानना है कि आम इंसान का रूप है और जैसे दो इंसान एक नए इंसान को जन्म देते हैं. इसी तरह आम का पेड़ भी ऐसा ही करता है.

कलीमउल्लाह कहते हैं, 'दो से मिलकर एक होने वाली आम की सिफ़त उसको अनोखा बनाती है. दुनिया में एक जैसा कोई दूसरा इंसान नहीं है, वैसे ही आम की फितरत है. दो अलग-अलग लोगों के बच्चे अलग होते हैं, उसी प्रकार आम भी अलग होते हैं. मेरी समझ में आता कि लोगों ने, रिसर्च साइंटिस्ट्स ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया या फिर मैं जो बता रहा हूं, उनकी सोच यहां तक नहीं पहुंची.'

कलीमुल्लाह खां कहते हैं, 'सिर्फ मेरी ही सोच ऐसी है और मैं लोगों को बताना भी चाहता हूं जिस प्रकार इंसान दो से एक बनते हैं, वैसे ही आम की फितरत है, दो फूल और दो तरह के पेड़ मिलकर एक नए किस्म के आम को जन्म देते हैं.'

पीएम मोदी के नाम पर आम का नामकरण

कलीमुल्लाह खां की एक खासियत ये भी है कि वो जब भी किसी पेड़ पर कोई नई प्रजाति के आम उगाते हैं, तो उसका एक अलग नाम रखते हैं. जैसे एक आम का नाम उन्होंने 'नमो' रखा है. ये आम इन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को समर्पित किया है. इसके अलावा व​ह यूपी के सीएम योगी के नाम पर भी आम की किस्म का नामकरण कर चुके हैं. आम खाने के शौकीन जिस चाव से आम का स्वाद लेते हैं. उसी चाव से कलीमुल्लाह खां आम की नई किस्में बाजार में उतारने की कोशिश करते हैं.

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