DNA ANALYSIS: मिलिए भिंड की रोशनी से, जिसने साइकिल से भरी 'सफलता की उड़ान'
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DNA ANALYSIS: मिलिए भिंड की रोशनी से, जिसने साइकिल से भरी 'सफलता की उड़ान'

रोशनी ने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया बल्कि स्कूल जाने के लिए रोजाना 24 किलोमीटर साइकिल भी चलाई.

 DNA ANALYSIS: मिलिए भिंड की रोशनी से, जिसने साइकिल से भरी 'सफलता की उड़ान'

नई दिल्ली: कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है. मुश्किल से मुश्किल काम भी मुमकिन हो जाता है. बस इरादों में दम होना चाहिए. और फिर आपकी कमजोरी भी आपकी ताकत बन जाती है. बस आपको अपने सपनों को एक दिशा देने की जरूरत है. आज हम आपको मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव की रहने वाली उस लड़की से मिलवाना चाहते हैं, जिसने रोजाना 24 किलोमीटर साइकिल चलाकर दसवीं कक्षा में 98 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त किए हैं. 

शनिवार को मध्यप्रदेश बोर्ड के दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणामों की घोषणा हुई. जिसमें 15 परीक्षार्थियों ने टॉप किया है. इन सभी परीक्षार्थियों को सौ प्रतिशत अंक हासिल हुए हैं. टॉपर्स पर तो सबका ध्यान गया लेकिन टॉपर लिस्ट में एक नाम ऐसा है जिसने चार सौ में से 395 अंक हासिल किए. वो नाम है रोशनी भदौरिया का, जिन्होंने आठवीं रैंक हासिल की है. लेकिन उनकी सफलता की कहानी बाकी टॉपर्स से थोड़ी अलग है. क्योंकि रोशनी ने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया बल्कि स्कूल जाने के लिए रोजाना 24 किलोमीटर साइकिल भी चलाई.

भिंड जिले के छोटे से गांव की रहने वाली रोशनी ने अपनी साइकिल पर सवार होकर सफलता का जो सफर तय किया है, वो अब मिसाल बन गया है. छोटी-छोटी दिक्कतों से परेशान हो जाने वाले विद्यार्थियों के लिए रोशनी की कहानी, उम्मीद की किरण बन सकती है.

आप भी देखें साइकिल पर सवार उम्मीदों की 'रोशनी'

रोशनी की कामयाबी इसलिए भी ज्यादा बड़ी है क्योंकि मध्यप्रदेश का भिंड जिला देश भर में लिंगानुपात मामले में काफी पिछड़ा रहा है. 2011 की जनगणना के मुताबिक भिंड में लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 838 लड़कियों का है जबकि ग्रामीण इलाकों में ये और कम 829 पर है. रोशनी के पिता किसान हैं, जिन्होंने रोशनी को अपने दो बेटों से बढ़कर माना. रोशनी चाहती हैं कि जैसे उन्होंने परिवार का नाम रोशन किया, वैसे अपने देश का भी करें. 

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