NASA Perseverance Rover: वैज्ञानिकों का पूरा ध्यान आवाज की तरफ है. रोवर में आवाज रिकॉर्ड करने के लिए एक यंत्र लगाया है, जिसका नाम सिस्मोमीटर है.
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नई दिल्ली: आज डीएनए में हम मंगल ध्वनि का विश्लेषण करेंगे. इससे पहले हमने आपको बताया था कि अमेरिका का perseverance rover मंगल की सतह पर उतरा था. मंगल ग्रह पर इंसानों की यात्रा के लिए ये कदम महत्वपूर्ण है.
आज हम आपको मंगल ग्रह से आए एक शुभ समाचार के बारे में बताएंगे.
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि मंगल ग्रह में कुछ आवाजें सुनी गई हैं. ये आवाज अमेरिका के रोवर ने रिकॉर्ड की हैं और अब हम पृथ्वी ग्रह में इन्हें सुन सकते हैं. 5 अरब 46 लाख किलोमीटर दूर से आई मंगल ग्रह पर सुनी गई ये आवाज दो तरह की है.
एक जब रोवर मंगल ग्रह पर उतरते समय सतह से टकराता है और दूसरी आवाज वहां चलने वाली हवा की है.
वैज्ञानिक इन आवाजों का अध्ययन कर रहे हैं. सवाल उठता है कि वैज्ञानिक क्यों आवाज को सुनना चाहते हैं?
दरअसल, जब ध्वनि की तरंगे किसी चीज से टकरा कर लौटती हैं, तो वैज्ञानिक उनकी गति और लौटने में लगे समय से ये जानने की कोशिश करते हैं कि ग्रह का आकार और वहां का माहौल क्या है?
मंगल ग्रह की बनावट करीब-करीब हमारे ग्रह पृथ्वी की तरह ही है. इसका एक कोर है और हमारे ग्रह का भी एक कोर है. कोर का मतलब ग्रह के अंदर की बनावट होती है, जिस पर पूरा ग्रह टिका होता है, इससे यह पता चलता है कि ग्रह का बाहरी वातावरण कैसा होगा. पर ग्रैविटी यानि गुरुत्वाकर्षण, मतलब वो बल जिसकी वजह से हम सीधे चल पाते हैं और चीजें स्थिर हो पाती हैं. जहां गुरूत्वकर्षण नहीं होता, वहां चीजें और लोग हवा में तैरते रहते हैं. मंगल ग्रह पर गुरूत्वाकर्षण बल पृथ्वी से करीब 62 फीसदी कम है.
इसे ऐसे समझें कि अगर हम पृथ्वी पर कोई 45 किलोग्राम का पत्थर फेंकते हैं तो वह सतह से टकराने के बाद एक मीटर तक ऊपर जाएगा और यही पत्थर मंगल ग्रह पर तीन मीटर तक ऊपर जाएगा और पृथ्वी की अपेक्षा ज्यादा दूर जाकर गिरेगा. इसी तरह से पृथ्वी पर अगर कोई व्यक्ति 45 किलोग्राम का हो तो वह मंगल ग्रह पर मात्र 17 किलोग्राम का रह जाता है. मतलब उसका वजन 28 किलोग्राम घट जाता है. ऐसा मंगल ग्रह में ग्रैविटी कम होने के कारण होता है.
इसलिए वैज्ञानिकों का पूरा ध्यान आवाज की तरफ है. रोवर में आवाज रिकॉर्ड करने के लिए एक यंत्र लगाया है, जिसका नाम सिस्मोमीटर है. ये मनुष्य के कान की तरह काम करता है. ये धीमी से धीमी आवाज को भी सुन सकता है. अब तक हुई रिसर्च से पता चला है कि जिस तरह से पृथ्वी पर आवाज सुनाई देती है. मंगल ग्रह पर उस तरह से सुनाई नहीं देती. इसकी वजह, मंगह ग्रह के वायुमंडल का घनत्व है जो कि पृथ्वी से 100 गुना कम है. आवाज को सुनने के लिए माध्यम का होना जरूरी है. माध्यम के घनत्व में अंतर से आवाज के आने-जाने के स्वरूप में भी काफी बदलाव हो जाता है. मंगल ध्वनि से पता चलेगा कि मंगल ग्रह मनुष्यों के रहने के लायक है या नहीं.