नेपाल के लोग खुद को भारतीय संस्कृति, भारतीय तौर तरीकों और भारतीय समाज से जुड़ा मानते हैं और भारत को पसंद करते हैं.
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नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अब अपने ही देश में घिर गए हैं. केपी शर्मा ओली भारत विरोधी भावनाएं भड़का कर, अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन खुद नेपाल के लोग ओली के साथ नहीं हैं. लोगों ने बता दिया है कि ओली भले ही भारत के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं लेकिन नेपाल के लोग भारत से नफरत नहीं करते. इसका सबूत ये है कि नेपाल में भारत के जिन प्राइवेट टीवी चैनल्स पर अघोषित प्रतिबंध लगा दिया गया था, वो सभी भारतीय चैनल एक बार फिर नेपाल में दिखाए जाने लगे हैं.
केपी शर्मा ओली की सरकार के दबाव में नेपाल के केबल ऑपरेटर्स ने अपने यहां भारत के प्राइवेट टीवी चैनल्स बंद कर दिए थे. जबकि चीन और पाकिस्तान के चैनल्स पर प्रतिबंध नहीं लगाया था. लेकिन कुछ ही दिनों में नेपाल के केबल ऑपरेटर्स को ये फैसला बदलना पड़ा और ये नेपाल की जनता के दबाव में ही हुआ है. क्योंकि नेपाल के लोग खुद को भारतीय संस्कृति, भारतीय तौर तरीकों और भारतीय समाज से जुड़ा मानते हैं और भारत को पसंद करते हैं. नेपाल के लोग किसी भी तरीके से खुद को पाकिस्तान और चीन से जुड़ा महसूस नहीं करते हैं.
नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने ओली को जारी किया नोटिस
प्रधानमंत्री ओली को नेपाल में दूसरा झटका ये लगा है कि वहां की सुप्रीम कोर्ट अब उनकी सरकार से सवाल पूछ रही है कि जिस तरह से वो भारत के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं, उस नफरत की वजह से भारत में रहने वाले नेपाली नागरिकों की सुरक्षा का क्या होगा? क्योंकि भारत के साथ झगड़े में सबसे ज्यादा नुकसान नेपाल के उन नागरिकों को होगा जो भारत में रहते हैं.
नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री ओली की सरकार को नोटिस जारी करके पूछा है कि नेपाल सरकार भारत में काम करने वाले नेपाली नागरिकों का रिकॉर्ड क्यों नहीं रखती और क्यों इन नागरिकों के साथ उस तरह का व्यवहार नहीं किया जाता, जिस तरह का व्यवहार बाकी देशों में काम करने वाले नेपाली नागरिकों के साथ किया जाता है.
नेपाल के एक बड़े अखबार नेपाली टाइम्स में कहा गया है कि भारत के खिलाफ नफरत फैलाने से नेपाल के नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा, इन नेताओं को जो कहना, वो कह देते हैं. लेकिन भविष्य में समस्याएं नेपाल के नागरिकों को होंगी. लगभग 30 से 40 लाख नेपाल के नागरिक, भारत में काम करते हैं और हर वर्ष करीब 10 हजार करोड़ रुपये नेपाल भेजते हैं. नेपाल के नेताओं के जहरीले बयानों की वजह से अब इन प्रवासियों पर संकट आ सकता है.
जनता ने ओली को नकारा
इसी तरह से कुछ दिन पहले जब नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अयोध्या के बारे में विवादित बयान दिया था, तब भी नेपाल में उनकी बहुत आलोचना हुई थी. खुद नेपाल के विदेश मंत्रालय को अपने ही प्रधानमंत्री के इस बयान पर सफाई देनी पड़ी थी. यानी कुल मिलाकर केपी शर्मा ओली को नेपाल की जनता का कोई समर्थन नहीं मिल रहा है और सब ये समझ रहे हैं कि अपने स्वार्थ के लिए ओली, भारत विरोधी बातें कर रहे हैं.
अब हम आपको नेपाल की उस जगह के पास लेकर चलेंगे जहां नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने असली अयोध्या होने का दावा किया है. ये जगह बिहार के पूर्वी चंपारण में भारत-नेपाल सीमा के बिलकुल पास है. ज़ी न्यूज़ उस जगह पर जाना चाहता था और पूरी दुनिया को केपी शर्मा ओली के दावे की असलियत जानना चाहता था. लेकिन नेपाल की तरफ से हमें इसकी इजाजत नहीं मिली. लेकिन इस ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान हमें जो पता चला वो आज आपको हैरान कर देगा और केपी शर्मा ओली के दावों की सच्चाई भी सामने आ जाएगी.
देखें ये रिपोर्ट