DNA ANALYSIS: प्रदूषण के खिलाफ NGT के आदेश की 5 बड़ी बातें
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DNA ANALYSIS: प्रदूषण के खिलाफ NGT के आदेश की 5 बड़ी बातें

कल दिल्ली के कुछ इलाकों का Air Quality Index 628 तक पहुंच गया. मतलब ये प्रदूषण का बेहद खतरनाक स्तर है. Air Quality Index सिर्फ 50 तक ही स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है.

DNA ANALYSIS: प्रदूषण के खिलाफ NGT के आदेश की 5 बड़ी बातें

नई दिल्ली: National Green Tribunal यानी NGT ने दिल्ली और आस-पास के इलाकों में पटाखे जलाने और पटाखों की बिक्री पर बैन लगा दिया है. ये प्रतिबंध बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से लगाया गया है और कल रात 12 बजे से लेकर 30 नवंबर तक ये बैन लागू रहेगा. इसी महीने की 14 तारीख को दिवाली मनाई जाएगी. हालांकि देश के जिन शहरों में भी Air Quality ख़राब या ज्यादा ख़राब है, वहां पटाखे जलाने पर बैन लग गया है.

त्योहार मनाने का तरीका बदल गया
पटाखे बेचने और खरीदने पर 10 हजा रुपए का जुर्माना भी लगेगा और पटाखे जलाने पर 2 हजार रुपए का जुर्माना तय किया गया है. दीवाली रोशनी और पटाखों का त्योहार है लेकिन हम लोगों ने अपनी स्थिति ऐसी बना दी है कि अब त्योहार मनाने का तरीका बदल गया है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो संभव है कि दिवाली में आप मिठाई के बदले ऑक्सीजन सिलेंडर का गिफ्ट देना चाहेंगे.

कल दिल्ली के कुछ इलाकों का Air Quality Index 628 तक पहुंच गया. मतलब ये प्रदूषण का बेहद खतरनाक स्तर है. Air Quality Index सिर्फ 50 तक ही स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है. 500 से ज्यादा Air Quality Index को बहुत खतरनाक माना जाता है. आपको जितनी स्वच्छ हवा में सांस लेनी चाहिए. ये हवा उससे करीब 6 गुना अधिक प्रदूषित है.

दिल्ली के करीब हरियाणा के गुरुग्राम में कल Air Quality Index 694 पहुंच गया. देश में कल प्रदूषण के मामले में गुरुग्राम पहले नंबर पर है. नोएडा में भी औसत Air Quality Index 600 के आस पास रहा.

इस वक्त भी आप अपने मोबाइल फोन के वेदर ऐप में AQI चेक कर सकते हैं. हो सकता है आपको घर के अंदर बंद कमरे में भी सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, उसकी वजह यही प्रदूषण है. 

अब आपको NGT के आदेश की बड़ी बातें समझनी चाहिए-

- NGT के मुताबिक पटाखों की बिक्री उन शहरों में भी प्रतिबंधित रहेगी जहां पिछले वर्ष औसत Air Quality खराब या उससे भी ज्यादा खतरनाक स्तर पर थी.

- NGT का आदेश दिल्ली और आस पास के 20 से ज्यादा जिलों पर लागू होगा. इस समय आपकी स्क्रीन पर एक नक्शा दिखाई दे रहा है और इन शहरों में पटाखे जलाने पर बैन लग चुका है.

- अभी जिन शहरों की एयर क्वालिटी मॉडरेट या उससे बेहतर है, वहां पर ग्रीन पटाखे जलाने की छूट दी गई है. हालांकि ये छूट सिर्फ 2 घंटे के लिए मिलेगी.

- Moderate Air Quality वाले शहरों में दीवाली पर रात 8 बजे से 10 बजे तक, गुरुपर्व पर सुबह 6 बजे से 8 बजे तक पटाखे जलाने की छूट मिलेगी.

- इस समय देश में 122 शहर ऐसे हैं जहां हवा की Quality खराब है. यानी इन शहरों पर NGT का प्रतिबंध लागू रहेगा.

त्योहारों के दौरान दिल्ली में कोरोना के 15 हजार नए मामले
NGT ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार के उस बयान का हवाला भी दिया जिसमें त्योहारों के दौरान दिल्ली में कोरोना के 15 हजार नए मामले आने की आशंका जताई गई है. आज ही दिल्ली में संक्रमण के 7 हजार से ज्यादा नए मामले आए हैं और 24 घंटे में ये देश में किसी भी राज्य में आए सबसे ज्यादा मामले हैं.

दिल्ली सहित देश के ज्यादातर शहरों में प्रदूषण की एक ब़ड़ी वजह पराली है. पिछले हफ्ते DNA में हमने आपको पंजाब से पराली जलाने की समस्या पर एक Ground Report दिखाई थी. लेकिन आज आपको पराली की समस्या का प्रदूषण रहित समाधान भी जानना चाहिए.

पराली के प्रदूषण रहित समाधान 
दिल्ली के लोग पिछले करीब एक हफ्ते से वायु प्रदूषण के जहर में जीने को मजबूर हैं. प्रदूषण भारत के लगभग सभी शहरों में मौजूद है और दिल्ली सहित देश के करोड़ों लोग आजकल स्वच्छ हवा में सांस लेने का सिर्फ सपना देख सकते हैं. इस प्रदूषण की एक वजह पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में जलाई जानी वाली पराली भी है. हालांकि अब किसान पराली ना जलाने के विकल्पों पर काम कर रहे हैं. Zee News की मदद से आज आप भी पराली के प्रदूषण रहित समाधान को समझ सकते हैं.

हरियाणा के कैथल का फर्शमाजरा गांव इन दिनों किसानों के लिए एक आदर्श गांव बन चुका है. यहां पर पराली जलाए बिना अगली फसल के लिए खेत को तैयार किया जाता है और इससे प्रदूषण पर भी रोक लग गई है.

देश के किसानों के इस सीजन में सबसे बड़ी चुनौती पराली का प्रबंधन है. कैथल के ये किसान इन चुनौतियों पर जीत का निश्चय कर चुके हैं. इसीलिए इन्होंने पराली जलाने के बदले पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया है.

देश के दूसरे किसान भी अब कुछ ही घंटों में अपने खेत को तैयार कर सकते हैं, कैथल के किसान पराली प्रबंधन के लिए 3 प्रकार की आधुनिक मशीन का प्रयोग करते है. इन 3 मशीनों ने पराली प्रबंधन के लिए किसानों की ज़िंदगी बदल कर रख दी है.

-धान की फ़सल काटने के बाद जो अवशेष खेत में रह जाते हैं, उन्हें हटाने के लिए कटर का इस्तेमाल किया जाता है. कटर पराली को काट देता है.

-लगभग 3-4 दिन पराली कटने के बाद सूखने के लिए खेत में छोड़ दिया जाता है. उसके बाद Hay Rake मशीन से पराली को एक लाईन में इकट्ठा किया जाता है.

-Hay Rake मशीन चलाने के बाद खेत इतना साफ हो जाता है कि इसके बाद किसान जुताई करके अगली फ़सल बो सकते हैं.

-Hay Rake मशीन के बाद बारी आती है, बेलर मशीन की. ये मशीन लाइन में इकट्ठे किए हुए पराली के ऊपर से चलती है. जैसे-जैसे ये मशीन खेत में आगे बढ़ती जाती है, वैसे वैसे पराली के गट्ठर तैयार होते जाते हैं.

-ये बेलर मशीन पराली को धागानुमा रस्सी में बांध देती है. खेत से पराली को फैक्टरियों तक पहुंचाने का काम भी कैथल के एक स्थानीय किसान करते हैं. इनके लिए अब ये पराली भी कमाई करने का जरिया बन चुका है.

पराली को अलग-अलग उद्योगों तक पहुंचा रहे
कैथल में किसान कुछ समितियों के साथ मिलकर इस पराली को अलग-अलग उद्योगों तक पहुंचा रहे हैं. यहां पराली का इस्तेमाल बिजली, बायो सीएनजी और कागज बनाने के लिए भी किया जा रहा है.

अब तक कैथल में लगभग 40 हजार एकड़ क्षेत्र की पराली को जलाने से बचाया जा चुका है. यहां के किसानों ने हरियाणा, पंजाब और देश के दूसरे किसानों से पराली न जलाने की अपील भी की है. इनके मुताबिक पराली जलाने से न सिर्फ प्रदूषण फैलता है, बल्कि मिट्टी की उपजाऊ शक्ति पर भी असर पड़ता है.

अब आपको पराली प्रबंधन का अर्थशास्त्र भी समझाते हैं. दरअसल इन 3 मशीनों से खेत की सफाई के लिए प्रति एकड़ दो प्रकार के रेट तय किए गए हैं.

 हरियाणा सरकार की योजना
अगर किसान अपनी पराली मशीन मालिक को देता है तो उसे 1,000 रुपए प्रति एकड़ पराली प्रबंधन के लिए खर्च करने होते हैं. वहीं किसान अगर पराली अपने पास रखता है तो उसे 2,500 रुपए प्रति एकड़ खर्च करने होते हैं. हरियाणा सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन का खर्च 1000 रुपए प्रति एकड़ के तौर पर वापिस करने की योजना भी शुरू की है.

कैथल के फर्शमाजरा गांव के किसान वीरेन्द्र यादव ने ऑस्ट्रेलिया से वापिस आकर पराली प्रबंधन पर काम शुरू किया और पिछले एक वर्ष में वो लगभग डेढ़ करोड़ रुपए कमा चुके हैं.

प्रदूषण रोकने के लिए नई गाइडलाइन के मुताबिक अगर किसान पराली जलाता है तो उस पर 2,500 रुपए प्रति एकड़ जुर्माना लगाया जाता है. ऐसे में किसानों को नई तकनीक ज़्यादा पसंद आ रही है. किसान अपनी मेहनत के साथ साथ पर्यावरण के प्रति अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी भी समझ रहे हैं और ग्रामीण भारत से ही देश के दूसरे शहरों की हवा को प्रदूषण से बचा रहे हैं.

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