DNA ANALYSIS: क्या Plasma Therapy कोरोना मरीजों की जान बचा सकती है? सामने आई हैरान करने वाली स्टडी
देश के 18 बड़े डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और Public Health Professionals ने भारत सरकार के Principal Scientific Advisor के. विजयराघवन को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें ये सिफारिश की गई है कि Plasma Therapy से मरीजों के ठीक होने के सबूत नहीं मिलते, इसलिए इसे लेकर सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए.
नई दिल्ली: एक सवाल कई लोगों को परेशान कर रहा है और वो सवाल ये है कि क्या Plasma Therapy से अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की जान बच सकती है? आज कल सोशल मीडिया पर Plasma के लिए मदद मांगने वाले लोगों के Messages की बाढ़ आई हुई है. अब आपके मन में ये सवाल होगा कि आखिर ये Blood Plasma है क्या? और इसकी इतनी मांग क्यों है? और कहीं ये Therapy Overhyped तो नहीं है?
Plasma होता क्या है?
सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि Plasma होता क्या है? Plasma खून में मौजूद Liquid component होता है और ये पीले रंग का होता है. एक स्वस्थ शरीर में 55 प्रतिशत से अधिक प्लाज्मा होता है और इसमें पानी के अलावा Hormones, Protein, Carbon Dioxide और Glucose Mineral होते हैं. जब कोई मरीज कोरोना से ठीक हो जाता है तो उसका यही Plasma लेकर कोरोना पीड़ित को चढ़ाया जाता है. इसे ही Plasma Therapy कहते हैं.
Plasma की मांग क्यों?
ऐसा माना जाता है कि अगर कोरोना से ठीक हो चुके मरीज का Blood Plasma, बीमार मरीज को चढ़ाया जाए तो इससे ठीक हो चुके मरीज की Antibodies बीमार व्यक्ति के शरीर में Transfer हो जाती हैं और ये Antibodies वायरस से लड़ना शुरू कर देती हैं. कई डॉक्टर्स मानते हैं कि जब वायरस किसी शरीर में बुरी तरह से प्रहार करता है और उस शरीर में Antibodies नहीं बन पाती तो Plasma Therapy ऐसे समय में काम आ सकती है. यही वजह है कि इस समय Blood Plasma की काफी मांग है.
सामने आई ये स्टडी
अब यहां समझने वाली बात ये है कि क्या ये Plasma Therapy कोरोना मरीजों की जान बचा सकती है? तो इसका जवाब है अधिकतर मामलों में नहीं. एक Study के मुताबिक इस समय देश में कोरोना के जितने मरीज हैं, उनमें से सिर्फ 10 प्रतिशत मरीजों को ही ये Plasma Therpay दी जा सकती है लेकिन बड़ी बात ये है कि कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि इन 10 प्रतिशत मामलों में भी ये Therapy कारगर नहीं है.
देश के 18 बड़े डॉक्टरों, वैज्ञानिकों ने लिखी चिट्ठी
इस संबंध में देश के 18 बड़े डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और Public Health Professionals ने भारत सरकार के Principal Scientific Advisor के. विजयराघवन को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें ये सिफारिश की गई है कि Plasma Therapy से मरीजों के ठीक होने के सबूत नहीं मिलते, इसलिए इसे लेकर सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए और इस Therapy पर रोक लगा देनी चाहिए. यानी भारत में हुई कई रिसर्च के आधार पर बड़े डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का मत यही है कि Plasma Therapy कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर नहीं है.
विदेश में भी हुई रिसर्च
ऐसा नहीं है कि ये बात सिर्फ हमारे देश के डॉक्टर्स और वैज्ञानिक कह रहे हैं. ब्रिटेन में इस विषय को लेकर 11 हजार लोगों पर एक परीक्षण किया गया लेकिन इस परीक्षण में Plasma Therapy का कोई कमाल नहीं दिखा. यही नतीजे तब रहे, जब Argentina में इस पर रिसर्च हुई. वहां भी डॉक्टरों ने इस इलाज को कारगर नहीं माना. भारत में मेडिकल रिसर्च करने वाली सरकारी संस्था ICMR ने भी पिछले साल इस पर एक रिसर्च की थी, जिसमें ये बात सामने आई थी Plasma Therapy मृत्यु दर को कम करने और कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज करने में कोई खास कारगर नहीं है.
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डॉक्टर Plasma क्यों मांग रहे हैं?
आप सोच रहे होंगे कि जब इलाज का ये तरीका कारगर नहीं है तो फिर डॉक्टर Plasma क्यों मांग रहे हैं? तो इसका जवाब भी Indian Council of Medical Research ही है. ICMR ने कोरोना मरीजों के लिए इलाज के लिए देशभर के अस्पतालों को जरूरी Guidelines जारी की हैं, जिनमें ये बताया गया है कि अगर मरीज में वायरस के लक्षण मामूली हैं तो कैसे इलाज करना है, मध्यम हैं तो क्या Treatment होना चाहिए और हालत काफी खराब हैं तो क्या दवाइयां और इलाज दिया जा सकता है?
क्या कहता है ICMR
ICMR की Guidelines में Plasma Therapy का भी जिक्र है और ICMR इसे लेकर दो बड़ी बातें कहता है. पहली बात ये कि Plasma Therapy का इस्तेमाल कोरोना के उन्हीं मरीजों पर हो सकता है, जिनमें संक्रमण के मामूली या मध्यम लक्षण हैं. दूसरी बात ये कि अगर इस श्रेणी के मरीजों को ये इलाज दिया भी जाता है तो इसकी समय सीमा 4 से 7 दिन होनी चाहिए. यानी ये Therapy संक्रमण होने के 4 से 7 दिन में ही दी जा सकती है और गम्भीर मामलों में तो इसके इस्तेमाल की बात ICMR नहीं कहता. लेकिन इसके बावजूद अभी देश के कई अस्पतालों में ये Therapy कोरोना मरीजों को दी जा रही है और अधिकतर मामलों में तो इसका इस्तेमाल तभी होता है जब मरीज गम्भीर हालत में होता है. जबकि ICMR इसे खतरनाक मानता है
लग सकती है रोक
एक लाइन में कहें तो इसे लेकर जागरुकता और जानकारी दोनों की कमी है और इसी को लेकर आज ICMR की एक बड़ी बैठक हुई, जिसमें इलाज के Protocol से जुड़ी Guidelines को लेकर चर्चा हुई. अब हमें ऐसी खबरें मिली हैं कि एक-दो दिन में ICMR नई Guidelines जारी कर सकता है और सम्भव है कि कोरोना मरीजों पर Plasma Therapy के इस्तेमाल पर रोक लगा दी जाए और इससे हमारे देश में कई दुकानें बन्द हो जाएंगी.
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बंद हो सकती हैं कई 'दुकानें'
भारत में इस समय मरीज को Plasma दिलाने के लिए कई NGO काम कर रहे हैं, कई तरह की मोबाइल Applications आ चुकी हैं और सोशल मीडिया पर भी काफी सारे लोग इसे लेकर ठीक हो चुके कोरोना मरीजों की जानकारी और उनके मोबाइल नम्बर्स शेयर कर रहे हैं, ताकि उनसे Plasma लिया जा सके. जबकि अधिकतर Study यही कहती हैं कि ये इलाज कोरोना मरीजों पर कारगर नहीं है.
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