DNA on Israeli flag in Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में मानवीय संवेदना के नाम पर एक और हिप्पोक्रेसी सामने आई है. बड़गाम में ईरानी झंडे लेकर कुछ दिन पहले जमकर नारेबाजी की गई थी लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ. आज जब कुछ लोगों ने इजरायल का झंडा लहरा दिया तो उन्हें तुरंत खतरा मानते हुए पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
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Controversy over hoisting Israeli flag in Jammu Kashmir: ईरान और इजरायल के बीच युद्ध..भारत से करीब 28 सौ किलोमीटर दूर हो रहा है. लेकिन इस युद्ध को लेकर एक वैचारिक लड़ाई भारत की जमीन पर भी चल रही है. इस वैचारिक लड़ाई का विश्लेषण करने से पहले आपको पूरी खबर जाननी चाहिए. कश्मीर में कुछ लोगों ने इजरायल और अमेरिका का झंडा लहराया. श्रीनगर के बलहामा इलाके में इजरायल-अमेरिका का झंडा लहराने की खबर मिलते ही पुलिस एक्टिव हुई और तीन आरोपियों को हिरासत में लिया गया. आरोप लगा कि इजरायल और आमेरिका का झंडा लहरा कर शांति व्यवस्था भंग करने की साजिश हुई.
ईरानी झंडे से प्यार, इजरायल से नफरत
सोचिए उस कश्मीर में जहां आए दिन भारत के दुश्मन पाकिस्तान का झंडा बीच सड़क पर लहराया जाता था, वहां अमेरिका और इजरायल के झंडे से शांति व्यवस्था को खतरा बताया जा रहा है. इस सोच का हम विश्लेषण करेंगे. लेकिन पहले आपको आज से 11 दिन पुरानी एक तस्वीर के बारे में जरूर जानना चाहिए.
ये तस्वीरें 13 जून की है. कश्मीर के बडगाम में सैकड़ों लोग ईरान के समर्थन में सड़क पर उतरे थे. मानने वाले अपनी सहूलियत के लिए ये मान सकते हैं कि बगड़ाम के लोगों की सोच इंटरनेशनल है वो बेहद संवेदनशील है. लेकिन ऐसे लोगों को हम याद दिलाना चाहेंगे कि
बड़गाम से महज 1200 किलोमीटर दूर एक दिन पहले ही अहमदाबाद में बड़ा विमान हादसा हुआ था. लेकिन बड़गाम के लोगों की संवेदना इस दुखद प्लेन क्रैश में मारे गए लोगों के लिए नहीं जागी थी.
भारत में सुविधा वाली खास संवेदना
अब आप ही सोचिए ये कैसी सोच है, जो ईरान के लिए सड़क पर उतर जाती है. इजरायल और अमेरिका के झंडे इनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं. लेकिन जब अपने देश की बात आती है तो इनकी संवेदना अवकाश पर चली जाती है.
आप समझिए ये सुविधा वाली संवेदना है. जो एक खास उद्देश्य से अपना हित देखकर खास मौकों पर ही प्रकट होती है. सुविधा वाली संवेदना खास अवसर पर आहत हो जाती है तो कभी छुट्टी पर चली जाती है. इस सुविधा वाली संवेदना के मूल में कट्टरपंथ और भारत विरोधी भावना है. इसे विस्तार से समझने के लिए हमें अतीत के पन्नों में झांकना होगा.
पाकिस्तान के झंडे फहराने पर नहीं होती आहत
2016 से लेकर 2018 तक का समय कश्मीर में भारतीय सेना के जवानों पर कट्टरपंथियों का ग्रुप पत्थर बरसाता था. पत्थरबाज प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तान का झंडा लहराते थे. आज इजरायल और अमेरिका का झंडा लहराने पर जिनकी भावनाएं आहत होती हैं, तब ये लोग खामोश थे. इनकी संवेदना अपनी सुविधा के मुताबिक गहरी नींद में थी.
हम आपको बताना चाहेंगे कि 2016 में कश्मीर में 44 जगहों पर पाकिस्तानी झंडा लहराया गया था. तब जांबाज सुरक्षाबलों ने झंडों को उतार पर तिरंगा फहराया था. 16 अप्रैल 2015 को श्रीनगर के हैदरपुरा में सैय्यद अली शाह गिलानी के स्वागत में हुई रैली में पाकिस्तानी झंडा लहराया गया था. मार्च 2015 में दुख़्तराने मिल्लत की चीफ़ आसिया अंद्राबी ने एक सेमीनार में पाकिस्तानी झंडा लहराया था.
ईरान के लिए महबूबा का पिघला दिल
ये महज कुछ घटनाएं हैं. अभिव्यक्ति की आजादी और विरोध प्रदर्शन के नाम पर इन कट्टरपंथियों और अलगवादियों ने 2008 के बाद सैकड़ों बार भारत की जमीन पर सैकड़ों बार पाकिस्तानी झंडा लहराया. आज अमेरिका और इजरायल का झंडा लहराने पर जिनकी भावना आहत हो रही है तब उनकी जुबान खामोश थी और उनकी संवेदना छुट्टी पर चल रही थी.
एकतरफा आहत संवेदना को समझने को लिए आज आपको महबूबा मुफ्ती की पोस्ट के बारे में भी जानना चाहिए. जंग ईरान-इजरायल के बीच थी. लेकिन भारत में बैठीं महबूबा मुफ्ती की संवेदना ईरान के लिए आहत हो रही थी. उन्हें पूरे मुस्लिम वर्ल्ड से शिकायत थी. लेकिन जैसे ही सीजफायर का ऐलान हुआ महबूबा मुफ्ती का मन प्रफुल्लित हो गया. उन्होने जो कहा वो भी आप सुनिए.
मुस्लिम परस्ती में दूसरों के लिए बहा रहे आंसू
सोचिए महबूबा मुफ्ती को ईरान पर फक्र होता है. वजह समझने के लिए ज्यादा चिंतन करने की जरूरत नहीं है. ईरान मुस्लिम मुल्क है इसलिए महबूबा मुफ्ती को फक्र है. ईरान मुस्लिम मुल्क है इसलिए कश्मीर में अमेरिका और इजरायल के झंडे से भावनाएं आहत हो जाती है. इसी सकीर्ण और कट्टरपंथी सोच ने कश्मीर को लंबे समय तक हिंसा की आग में झुलसाया है.
इसलिए आज हम यही कहेंगे कि ऐसी सकीर्ण सोच से सावधान रहने की जरूरत है. ऐसे लोगों को आईना दिखाया जाना चाहिए और बताया जाना चाहिए संवेदना और मानवता का दायरा बड़ा है. इसका अर्थ व्यापक है. संवेदनशील व्यक्ति युद्ध का विरोध करेगा. युद्द में किसी पक्ष के साथ खड़ा नहीं दिखेगा.