DNA on Akhilesh Yadav Long Term Plan: सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने संसद में खड़े होकर वीर राणा सांगा को 'गद्दार' बताया था. इस मुद्दे पर कई दिनों तक चुप्पी रखने के बाद अब अखिलेश यादव रामजीलाल के फेवर में खुलकर उतर आए हैं.
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DNA Analysis on Ramjilal Suman Rana Sanga Controversy: देश के महापुरुषों और शूरवीरों को लेकर हमें कोई फर्क नहीं रखना चाहिए. सिर्फ ये सोचना चाहिए कि महापुरुष किसी जाति और धर्म के बंधन में नहीं बंधे होते. लेकिन अगर उन्हें भी जाति से जोड़ा जाने लगे, चंद वोट के लिए जाति की राजनीति में घसीटा जाने लगे, तो ये किसी समाज के लिए, राष्ट्र के लिए शुभ संकेत नहीं है. उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछले कुछ दिनों से महान पराक्रमी योद्धा राणा सांगा के नाम पर जंग छिड़ी है. वो राणा सांगा जिनके बारे में कहा जाता है, अस्सी घाव लगे थे तन पे, फिर भी व्यथा नहीं थी मन में.. लेकिन आज वीर राणा सांगा के नाम पर राजनीतिक रण हो रहा है.
रामजीलाल ने राणा सांगा को कहा था 'गद्दार'
अब इस जंग में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की औपचारिक तौर पर एंट्री हो गई. अखिलेश यादव शनिवार को आगरा पहुंचे. यहां उन्होंने समाजवादी पार्टी के सांसद, रामजीलाल सुमन से उनके घर जाकर मुलाकात की. सांसद सुमन याद हैं न आपको, जिन्होंने संसद के उच्च सदन राज्यसभा में बोलते हुए राणा सांगा को गद्दार कह दिया था.
अखिलेश यादव ने किया सुमन का सपोर्ट
इस वजह से उनके घर पर हमला हुआ था. समाजवादी सांसद के विवादित बयान के विरोध में करणी सेना ने लाखों प्रदर्शनकारियों की भीड़ आगरा में उतार दी थी. भारी प्रदर्शन हुआ था और रामजीलाल सुमन को कोर्ट जाकर सिक्योरिटी मांगनी पड़ी थी. विरोध बढ़ता देख उन्होंने तब खेद जताया था. लेकिन फिर कुछ दिन बाद ही उस विवादित बयान को रिपीट कर दिया. लेकिन दोबारा ये हिम्मत उनमें तब आई, जब अखिलेश यादव ने उन्हें देश के सामने दलित सांसद के तौर पर पेश किया.
दलित सांसद के तौर पर पेश करने का प्लान
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस समय रामजीलाल सुमन के घर अखिलेश यादव का जाना खास पॉलिटिकल नैरेटिव सेट करने की कोशिश है. ये नैरेटिव है दलित सांसद के घर राजपूत समुदाय के हमले के बाद बने एंटी राजपूत सेंटिमेंट को भुनाना. साथ ही PDA फॉर्मूला के D फैक्टर यानी दलितों को ज्यादा मजबूती से समाजवादी खेमे में जोड़ना.
दरअसल यूपी में नंवबर 2024 को हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 9 सीटों में 7 पर जीत दर्ज की थी. ओबीसी, दलित और मुस्लिम बहुल सीटों पर भगवा लहराया था. जिसके बाद अखिलेश के सामने PDA फॉर्मूले को बचाए रखने की चुनौती है और उनकी नजरें टिकी हैं बीएसपी के दलित वोटों पर. पिछले 13 सालों में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का वोटबैंक लगातार सिकुड़ रहा है.
बीएसपी के वोट बैंक में सेंध मारने की कोशिश
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को यूपी में लगभग 26 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी 22 प्रतिशत वोट हासिल कर पाई थी. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी का वोटबैंक 13 फीसदी तक गिर गया और नवंबर 2024 में यूपी विधानसभा के उपचुनाव में बीएसपी को सिर्फ 7 फीसदी वोट मिले.
मायावती के वोट वैंक को लुभाने के लिए, अखिलेश यादव अपने दलित सांसद के घर पर हमले के मुद्दे को ठंडा होने देना नहीं चाहते. लेकिन अखिलेश यादव की इस सियासी कवायद पर आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा प्रहार किया है. उन्होंने समाजवादी पार्टी पर समाज में जातीय विद्वेष फैलाने का आरोप लगाया.