DNA: 'एक देश, एक कानून' लोड हो रहा है... देश में घट रही घटनाओं की टाइमिंग का विश्लेषण
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DNA: 'एक देश, एक कानून' लोड हो रहा है... देश में घट रही घटनाओं की टाइमिंग का विश्लेषण

DNA Analysis : मुर्शिदाबाद के हालात वाकई बेहद खराब हैं. हिंदू डर के साये में जीने को मजबूर हैं. लेकिन सोमवार को बीजेपी की ओर से जारी एक वीडियो को देखकर कुछ मौलानाओं में भी शायद डर घर कर गया है, क्या है पूरा मामला ध्यान से पढ़िए.

DNA: 'एक देश, एक कानून' लोड हो रहा है... देश में घट रही घटनाओं की टाइमिंग का विश्लेषण

Uniform Civil Code : देशभर में अभी वक्फ कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन चल रहा है. मुर्शिदाबाद में दंगे तक हो चुके हैं. वक्फ कानून का मामला कोर्ट में है लेकिन देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. इन सबके बीच बीजेपी एक और विवादास्पद कानून, समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code बनाने की तैयारी कर रही है.

संसद से लेकर सड़क तक हंगामा तय!

विवादास्पद हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि अभी ये बिल पेश भी नहीं हुआ है और मुस्लिम समुदाय की ओर से विरोध शुरू हो चुका है. ये भी तय है कि जैसे ही ये बिल संसद में पेश होगा इसके खिलाफ संसद से लेकर सड़क तक हंगामा शुरू हो सकता है. अभी तक इस मामले में केवल अफवाहों की चर्चा होती थी. लेकिन पहली बार बीजेपी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से एक वीडियो ट्वीट किया है.

1 मिनट 6 सेकेंड के इस वीडियो को तीन हिस्सों में देखने की जरूरत है. पहले हिस्से में बताया गया है कि कैसे विपक्ष ने मोदी 3.0 सरकार को कमजोर सरकार बताया था. दूसरे हिस्से में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की उपलब्धियों को बताया गया है. जैसे नेशनल हेराल्ड केस में एक्शन, मेहुल चोकसी की बेल्जियम से गिरफ्तारी, तहव्वुर राणा को भारत लाना, संसद में वक्फ संशोधन बिल का पास होना, दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों में शानदार जीत. तीसरे हिस्से में, बताया गया है कि Uniform Civil Code Loading....मतलब समान नागरिक संहिता की तैयारी.

देश में चल रहे घटनाक्रम की टाइमिंग समझना जरूरी

आज आपको समान नागरिक संहिता के बारे में विस्तार से बताएंगे. लेकिन उससे पहले इस ट्वीट की टाइमिंग को समझते हैं. आखिर बीजेपी ने वक्फ जैसे विरोध के माहौल में ये ट्वीट क्यों किया. पहला, बीजेपी वक्फ बिल आसानी से पास करवा चुकी है. मतलब साफ है कि संसद में भले ही गठबंधन की सरकार है लेकिन बीजेपी बेहद मजबूत दिख रही है. उसे भरोसा है कि ये बिल भी हम आसानी से पास करवा लेंगे. दूसरा, बिहार और बंगाल चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता लागू करके बीजेपी एक खास वोट बैंक को पूरी तरह से एकजुट करना चाहती है.

साथ मुस्लिम महिलाओं में अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहती है. क्योंकि समान नागरिक संहिता का बहुत बड़ा फायदा मुस्लिम महिलाओं को होने वाला है. तीसरा, बीजेपी के घोषणा पत्र में हमेशा से UCC का मुद्दा रहा है. राम मंदिर, धारा 370 हटाने जैसे मुद्दे अब तक पूरे हो चुके हैं.

क्या है समान नागरिक संहिता?

अब आपको बताते हैं कि समान नागरिक संहिता होता क्या है. समान नागरिक संहिता का मतलब है एक देश और एक कानून. जिस देश में भी समान नागरिक संहिता लागू होती है, उस देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए गए हैं, वो सभी धर्म के नागरिकों को समान रूप से मानना होता है.

भारत में अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ, ईसाई पर्सनल लॉ और पारसी समुदाय के लिए पारसी पर्सनल लॉ हैं. इसके अलावा हिंदू पर्सनल लॉ है जिसमें हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध धर्म के मामलों का निपटारा होता है. समान नागरिक संहिता आने पर मुस्लिम पर्सनल लॉ, ईसाई पर्सनल लॉ, पारसी पर्सनल लॉ, हिंदू पर्सनल लॉ सभी खत्म हो जाएंगे. जैसे आज IPC जिसका नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता कर दिया गया है के तहत किसी भी अपराधी को चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का हो एक समान सजा दी जाती है.

संविधान में है कैसी व्यवस्था?

भारत में जब संविधान बन रहा था उस समय समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चा हुई थी. संविधान सभा के काफी सदस्य समान नागरिक संहिता को लागू करने के पक्ष में थे. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर खुद चाहते थे कि समान नागरिक संहिता संविधान में हो. हालांकि जब इसपर कोई सहमति नहीं बनी तो इसका जिक्र नीति निदेशक सिद्धांत के तहत किया गया.

भारतीय संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से लेकर 51 तक राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत का जिक्र किया गया है. इसी नीति निदेशक सिद्धांत के अनुच्छेद 44 में एक समान नागरिक संहिता का जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि राज्य समान नागरिक संहिता भारत में सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा. चूंकि राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों को लागू करने की बाध्यता नहीं इसीलिए अब तक इसे लागू नहीं किया गया है.

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