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नई दिल्ली: कोविड-19 (Covid-19) के खिलाफ मैच में भारत ने शानदार शतक बनाया है. चीन को छोड़ दें तो भारत कोरोना की 100 करोड़ वैकसीन लगाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की कप्तानी में हमारे डॉक्टर्स और स्वास्थकर्मियों की टीम ने ये शानदार शतक बनाया है. इसलिए आज हम सबकी तरफ से अपने देश की इस टीम को बहुत-बहुत बधाई देते हैं. प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के ऐसे पहले नेता हैं, जिनके नेतृत्व में 100 करोड़ वैक्सीन लगी है. आज हम आपको बताएंगे कि 100 करोड़ वैक्सीन लगाने का मतलब क्या होता है.
दुनिया के इस सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत इसी साल 16 जनवरी को हुई थी और सिर्फ 279 दिनों में 135 करोड़ आबादी वाले भारत ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज का लक्ष्य हासिल कर लिया. आबादी के मामले में चीन भारत से बड़ा है और वहां के लोगों को अब तक वैक्सीन की करीब 224 करोड़ डोज मिल चुकी है, लेकिन चीन ना तो एक लोकतांत्रिक देश है और ना ही चीन के आंकड़ों पर यकीन किया जा सकता है. जबकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ वैक्सीनेशन (Vaccination) के मामले में आज हमारा देश दुनिया के सबसे ऊंचे पायदान पर खड़ा है.
वैक्सीनेशन के मामले में कौन सा देश कहां खड़ा है. चीन को छोड़ दें तो भारत इस समय अमेरिका, ब्राजील, जापान, इंडोनेशिया, तुर्की, मैक्सिको और जर्मनी जैसे देशों से भी बहुत आगे हैं. भारत अमेरिका के मुकाबले वैक्सीन की दोगुना, जापान के मुकाबले 5 गुना, जर्मनी के मुकाबले 9 गुना और फ्रांस के मुकाबले 10 गुना ज्यादा वैक्सीन डोज अपने नागरिकों को लगा चुका है. भारत में 18 साल से ऊपर के 75 प्रतिशत यानी करीब 70 करोड़ लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज मिल चुकी है. ये अमेरिका की कुल जनसंख्या से दोगुना है, जबकि 18 वर्ष से ऊपर के भारत के 30 प्रतिशत यानी 29 करोड़ लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं. ये ब्रिटेन की मौजूदा 7 करोड़ की आबादी से 4 गुना ज्यादा है. फिलहाल भारत में हर रोज औसतन 80 लाख लोगों को वैक्सीन (Vaccine) लग रही है, जो इजरायल और स्विटजरलैंड जैसे देशों की पूरी आबादी के बराबर है. वैक्सीन की 100 करोड़ डोज लगाने का लक्ष्य पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे और वहां पर उन्होंने आम लोगों से बात की.
शुरुआत में जब टीकाकरण की रफ्तार धीमी थी तो हमारे देश के तमाम विपक्षी नेता बिना देरी के सरकार पर सवाल उठा रहे थेए लेकिन जब केंद्र सरकार ने वैक्सीन वितरण की कमान राज्यों से वापस लेकर अपने हाथ में ले ली और जब तस्वीर बदलने लगी तो ये तमाम नेता खामोश हो गए. आज भी ना तो राहुल गांधी, ना प्रियंका गांधी वाड्रा, और ना ही विपक्ष के किसी दूसरे बड़े नेता ने सरकार को इस उपलब्धि पर बधाई दी. ये सोच बताती है कि ये लोग सिर्फ मुश्किल समय में सरकार पर सवाल उठाना तो जानते हैं, लेकिन उपलब्धियों पर बधाई देने में इन्हें परेशानी होती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने हाल ही में प्रशासन में 20 वर्ष पूरे किए हैं, लेकिन शायद इस दौरान उनके लिए भी सबसे कठिन लक्ष्य इतनी बड़ी आबादी वाले देश को वैक्सीन देने का रहा होगा, लेकिन अपनी बाकी योजनाओं की तरह उन्होंने इस मुश्किल लक्ष्य को भी हासिल किया और वैक्सीनेशन की रफ्तार ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को भी पीछे धकेल दिया.
एक सौ करोड़ एक के आगे 9 शून्य लगते हैं तब जाकर एक सौ करोड़ होता है. विश्व की बड़ी-बड़ी महाशक्तियां भी वैक्सीनेशन की रेस में ये आंकड़ा नहीं छू सकी, लेकिन भारत के लिए सब संभव है. उस वक्त लगता नहीं था कि एक नया वायरस हुआ, नई बीमारी आई, उसके बाद वैक्सीनेशन डेवलपमेंट की कहानी शुरू हुई. नवंबर-दिसंबर में दुनिया में वैक्सीनेशन शुरू हुआ. इंडिया में जनवरी में शुरू हुआ. 10 महीने में शून्य से 100 करोड़ पर पहुंचे हैं. ये रिमार्केबल अचिवमेंट है.
भारत में विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने की थी. तारीख थी 16 जनवरी 2021. भारत में कोविड की पहली वैक्सीन अस्पताल में सफाई करने का काम करने वाले कर्मचारी मनीष कुमार को दी गई थी. वैक्सीनेशन के पहले दिन 3351 सेंटर पर 1 लाख 91 हजार 181 फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी गई थी. पहले दिन के औसत से अगर टीकाकरण होता तो अब तक सिर्फ 6 करोड़ लोग ही टीका ले पाते, लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता गया. टीकाकरण की गति भी तेजी से बढ़ती चली गई.
भारत में वैक्सीन देने का औसत 49.90 प्रतिशत है और विश्व का औसत 47.60 प्रतिशत है. यानी भारत, यहां दुनिया से आगे है. 130 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के 77 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग चुकी है, जबकि 33 करोड़ की आबादी वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 65 प्रतिशत लोगों को ही वैक्सीन की एक डोज दी गई है. भारत में करीब 29 करोड़ लोग वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं, जबकि अमेरिका में ये आंकड़ा अब भी 28 करोड़ पर अटका है.
जरा याद कीजिए उन दिनों को जब कोरोना के सामने पूरा भारत असहाय दिख रहा था और पूरी दुनिया खौफ में थी. जब आप अतीत की ओर देखेंगे तो आज की उपलब्धि सचमुच बहुत बड़ी लगेगी. याद कीजिए उस समय को महसूस कीजिए हमारा भारत हमसे क्या कह रहा था.
जब शत्रु अधिक बलशाली था.
मैं निहत्था था और घिरा हुआ भी.
जब घर की आस, लाश बन गई.
भीषण संहार में, उस हाहाकार में.
मैं तब भी अड़ा था, खूब लड़ा था.
मेरा संघर्ष देख, मेरा संकल्प देख.
शत्रु के अंत का सही विकल्प देख.
एक सीरिंच अमृत से जिंदा हो उठा है.
मैं वो भारत हूं, जो सबसे आगे खड़ा है.
भारत ने बेहद कम समय में और कम लागत से अपनी स्वदेशी वैक्सीन बना ली. इस समय देश में तीन वैक्सीन लग रही हैं. नंबर 1 कोवीशील्ड है और ये वैक्सीन 100 में से 87 लोगों को दी गई है. नंबर 2 है कोवैक्सीन और ये स्वदेशी वैक्सीन 100 में से 11 लोगों को दी गई है. नंबर 3 है स्पूतनिक, जो रूस की वैक्सीन है और इसे भारत में हर 100 में से 2 लोगों को दी गई.
भारत ने जब स्वदेशी वैक्सीन के ट्रायल शुरू किए तो वॉलंटियर्स खोजने मुश्किल थे. उस वक्त Zee Media रिपोर्टर पूजा मक्कड़ ने वॉलंटियर्स के रूप में काम किया था. फिर वैक्सीनेशन शुरू हुआ और लोग डर रहे थे. पूजा मक्कड़ ने वैक्सीनेशन से पहले चले ट्रायल में इसलिए हिस्सा लिया था, क्योंकि Zee Media की कोशिश अफवाह के उस बुलबुले को फोड़ने की थी, जिसने लोगों को भ्रमित कर दिया था. इसके बाद एक दिन में वैक्सीनेशन का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. इसके बाद अब भारत ने 100 करोड़ का कीर्तिमान पूरा किया है.
सवाल ये था कि इस भ्रम से लोगों को कैसे बाहर निकाला जाए. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि मुझे टीका लगाओ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मार्च 2021 को को-वैक्सीन की पहली डोज लगाई और 8 अप्रैल को दूसरी डोज लगाई. धीरे-धीरे भ्रम का जाल फटने लगा. स्वास्थ्यकर्मी, बॉर्डर पर लड़ने वाले सैनिकों की तरह सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में जुट गए. कहां-कहां नहीं गए ये लोग. कश्मीर के ऊंचे पहाड़ों में, खेत-खलिहानों में, दरिया से गुजरे, घर-घर तक पहुंचे. बीच में एक समय ऐसा भी आया, जब वैक्सीनेशन सेंटर पर कतारें लंबी थीं पर वैक्सीन नहीं थी, लेकिन ये सिर्फ दो-चार दिन की बात थी. वो समय भी लद गया.
17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के जन्मदिन के मौके पर भारत ने एक दिन में 2 करोड़ 24 लाख से ज्यादा वैक्सीन लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था. उसके बाद से लगातार वैक्सीनेशन की पिच पर भारत शानदार स्ट्राइक रेट से खेल रहा है और आज इसी का परिणाम है कि भारत वैक्सीनेशन की रेस में 100 करोड़ पर खड़ा है.
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