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नई दिल्ली: तालिबान (Taliban) अपनी छवि बदलने के लिए बेकरार है. वो इस बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है, अफगान नागरिकों के प्रति उदार दिखने का दिखावा कर रहा है और अपने लड़ाकों को पहले से ज्यादा संगठित और आधुनिक बताने के लिए Propaganda Videos भी जारी कर रहा है. उसकी नई कमांडो यूनिट Badri 313 के भी कुछ ऐसे ही Videos सामने आए हैं, जिनमें तालिबान के ये लड़ाके, अमेरिका की किसी खतरनाक कमांडो यूनिट जैसे दिख रहे हैं.
दुनिया ने तालिबान (Taliban) के लड़ाकों को अब तक पश्तूनी पहनावे में ही देखा है. सिर पर पगड़ी, हाथों में AK-47 Rifle, पैरों में चमड़े के जूते या चप्पल और लम्बी दाढ़ी. लेकिन Badri 313 नाम की इस कमांडो यूनिट में तालिबान के लड़ाकों के पास अमेरिका की घातक M-14 Assault Rifles हैं, हेलमेट पर Night Vision डिवाइस लगी हैं, बुलेट प्रूफ जैकेट हैं, अमेरिकी सेना जैसा Body Armour है, पैरों में चप्पलों की जगह Combat Shoes हैं और पेट्रोलिंग के लिए अमेरिका द्वारा निर्मित हथियारों से लैस बख्तरबंद गाड़ियां हैं. ये वो आधुनिक हथियार हैं, जो अमेरिका ने अफगानिस्तान को दिए थे लेकिन अब ये तालिबान के कब्जे में हैं. इस कमांडो यूनिट को Badri 313 नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि मोहम्मद पैगम्बर साहब ने 624 ईसवीं में सऊदी अरब के बद्र में 313 सैनिकों के साथ अपने से तीन गुना बड़ी सेना से युद्ध लड़ा था. इस युद्ध में उनकी जीत हुई थी. तालिबान ने इसी तर्ज पर अपनी कमांडों यूनिट को Badri 313 नाम दिया है.
तालिबान दुनिया को ये भी बता रहा है कि वो पहले से ज्यादा संगठित और आधुनिक हुआ है. उसके लड़ाके बदल रहे हैं लेकिन हकीकत में ये तालिबान का एक Propaganda है, जिसके जरिए वो बदलाव का ढोंग करके दुनिया को डराना चाहता है. वर्ष 2002 से 2017 के बीच अमेरिका ने अफगानिस्तान की सेना को 28 Billion Dollars यानी लगभग 2 लाख करोड़ रुपये के आधुनिक हथियार दिए. लेकिन अफगान सेना तालिबान के आगे इन हथियारों को डाल कर युद्ध का मैदान छोड़ कर भाग गई. अब अमेरिका द्वारा दिए गए ये सारे हथियार तालिबान के कब्जे में हैं और उसकी Badri 313 जैसी कमांडों यूनिट इनका इस्तेमाल कर रही है. हालांकि, इस कमांडो यूनिट को लेकर कुछ सवाल भी हैं.
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तालिबान के प्रवक्ताओं का दावा है कि अभी ये कमांडो काबुल में Presidential Palace पर तैनात हैं. तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा और मुल्ला बरादर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर है. आने वाले समय में काबुल की सड़कों और अफगानिस्तान की सीमाओं पर भी ऐसी ही यूनिट्स मौजूद होंगी. लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है, ये कोई नहीं जानता. हालांकि दुनिया ये जरूर जानती है कि इस तरह के ट्रेनिंग Videos ISIS, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन जारी करते रहे हैं. ISIS ने तो इसके लिए मीडिया यूनिट भी बनाई थी, जो ऐसे वीडियो बना कर दुनिया तक पहुंचाती थी. इसे Psychological Warfare कहते हैं, जिसमें इस तरह के संगठन दुनिया को डराने के लिए Propaganda वीडियो जारी करते हैं. लेकिन हकीकत में ऐसी कमांडो यूनिट कितनी खतरनाक हैं, ये कभी पता नहीं चल पाता.
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