ये विडम्बना है कि हम गाय को मां का दर्जा देते हैं पर उसकी रक्षा के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल छोड़ने जैसा छोटा कदम भी नहीं उठा पाते हैं.
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नई दिल्ली: हम रोजाना प्लास्टिक की थैलियों में अपने घर का सामान लेकर आते हैं. उसके बाद हम इन थैलियों को घर के बाहर फेंक देते हैं और भूल जाते हैं. लेकिन आज हम आपको ये बताएंगे कि इन थैलियों का आखिर होता क्या है?
राजस्थान में चार साल में प्लास्टिक खाने से एक हजार से ज्यादा गायों की मौत हो गई यानी आपके प्लास्टिक बैग्स का नया गोदाम गाय का पेट बन रहा है और सड़क पर घूमने वाले जानवरों के पेट में कितना ज्यादा प्लास्टिक जमा है ये आप सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे.
हरियाणा के फरीदाबाद में एक गाय के पेट का ऑपरेशन करके 71 किलो प्लास्टिक निकाला गया. इसके अलावा गाय के पेट में लोहे की कीलें, तार, शीशे के टुकड़े, नट बोल्ट्स, लोहे के छल्ले, चूड़ियों के टुकड़े भी गाय के पेट में मिले हैं. लेकिन इसका सबसे दुखद पहलू ये है कि गाय की पेट में एक बच्चा था. उस बच्चे को भी नहीं बचाया जा सका. इसके बाद गाय की जान भी नहीं बचाई जा सकी.
देश में प्लास्टिक खाने की वजह से गाय की मौत बहुत बड़ी समस्या है इसे कुछ राज्यों से सामने आए आंकड़ों की मदद से समझ सकते हैं.
हरियाणा के हिसार में गायों के लिए सुरक्षित जंगल में वर्ष 2019 में प्लास्टिक की वजह से 529 गायों की मौत हुई थी. वर्ष 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पॉलिथीन खाने से हर साल करीब 1000 गायों की मौत होती है. देश में गाय के लिए आयोग बनाया गया है.
गाय के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए गाय पर परीक्षा भी करवाई जा रही है, लेकिन पूरे देश में प्लास्टिक की वजह से मरने वाली गाय का कोई केन्द्रीय आंकड़ा नहीं है.
ये विडम्बना है कि हम गाय को मां का दर्जा देते हैं पर उसकी रक्षा के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल छोड़ने जैसा छोटा कदम भी नहीं उठा पाते हैं. लेकिन हमें उम्मीद है कि इस जानकारी के बाद आप प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर देंगे और दूसरों को भी प्लास्टिक का इस्तेमाल छोड़ने के लिए कहेंगे.