Advertisement
trendingNow12952185

DNA: BJP सांसद का सिर फूटा..'दीदी' का दिल नहीं पसीजा! ममता के लिए जख्म 'गंभीर' नहीं?

DNA Analysis: 24 घंटे पहले पश्चिम बंगाल के नागरकाटा में बीजेपी सांसद खगेन मुर्मू के साथ जो हुआ वो राजनीतिक कट्टरपंथ और वैचारिक उन्माद का साक्ष्य है. ऐसा क्यों कहा जा रहा है, आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह?

DNA: BJP सांसद का सिर फूटा..'दीदी' का दिल नहीं पसीजा! ममता के लिए जख्म 'गंभीर' नहीं?

DNA Analysis: कट्टरपंथी सोच और हिंसा का उन्माद सिर्फ धर्मिक विचार नहीं है. राजनीति में भी जब सत्ता ही ध्येय बन जाए तो यहां भी वैचारिक कट्टरपंथ और हिंसा अपने विभत्स रूप में दिखती है. 24 घंटे पहले पश्चिम बंगाल के नागरकाटा में बीजेपी सांसद खगेन मुर्मू के साथ जो हुआ वो राजनीतिक कट्टरपंथ और वैचारिक उन्माद का साक्ष्य है. मित्रों क्या नागरकाटा में हुई हिंसा के पीछे पश्चिम बंगाल में राजनीतिक कट्टरपंथ, धार्मिक कट्टरपंथ और घुसपैठ के देशविरोधी मिश्रण जिम्मेदार हैं?

क्या पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा के पीछे घुसपैठियों का हाथ है? क्या सत्ता के लिए पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों को औजार बनाया जा रहा है? घुसपैठ का मुद्दा पश्चिम बंगाल में राजनीतिक और सामाजिक तौर पर सबसे संवेदनशील रहा है. हर चुनाव में ये मुद्दा उठता है. लेकिन अब घुसपैठ को लेकर जो आरोप लगे हैं वो बहुत गंभीर है. पहले आपको सुनाते हैं घुसपैठ और हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेता दिलीप घोष ने क्या आरोप लगाया है.

दिलीप घोष के आरोप का हम विश्लेषण करेंगे. लेकिन पहले बात विरोध प्रदर्शन की. सांसद खगेन मुर्मू और बीजेपी नेताओं पर हुए हमले के विरोध में आज कोलकाता से दिल्ली तक प्रदर्शन हुआ. बीजेपी के विरोध प्रदर्शन का असर भी हुआ. राजनीतिक शिष्टाचार दिखाने के लिए ममता बनर्जी बीजेपी सांसद खगेन मुर्मू से मिलने अस्पताल पहुंचीं. उन्होंने घायल सांसद का हाल जाना. मगर बाहर निकलीं तो संवेदना को तिलांजलि देकर राजनीति करने लगी. सुना आपने. एक सांसद का सिर फूट जाता है लेकिन सीएम कहती हैं कोई गंभीर चोट नहीं हैं. उन्मादी भीड़ बीच सड़क पर सुरक्षा व्यवस्था को तार-तार करते हुए सांसद का सिर फोड़ देती है, बीजेपी विधायक पर चप्पल चलाती है लेकिन मुख्यमंत्री कहती हैं कि उन्हें बस छोटी सी चोट लगी है. 

Add Zee News as a Preferred Source

 

सीएम ये नहीं कहती हैं कि ये कानून व्यवस्था से जुड़ा बड़ा मामला है ये पुलिस की लापरवाही और गंभीर अपराध है. सीएम ममता को खून से लथपथ सांसद के जख्म अगर गंभीर नहीं लगते तो बंगाल के लोगों को भी इस संवेदनहीनता को गंभीरता से सोचने की जरूरत है.क्या उन्मादी भीड़ के हमले में किसी की जान चली जाती, तब मख्यमंत्री इसे बड़ी घटना मानती. सोचिए जिस राज्य में दो बार के सांसद सुरक्षित नहीं है जहां विधायक सुरक्षित नहीं है उस राज्य में आम आदमी का क्या हाल होगा. सीएम इस गंभीर अपराध को मामूली घटना बताकर, छोटी सी चोट की बात कहकर किसे बचाना चाहती हैं. इसलिए फिर इसी सवाल पर लौटते हैं कि इस राजनीतिक हिंसा के पीछे कौन है. आरोप बीजेपी नेता ने लगाए हैं. इस आरोप में राजनीतिक मंशा भी होगी. लेकिन पश्चिम बंगाल में घुसपैठ को लेकर सवाल सिर्फ बीजेपी नहीं उठा रही है. एजेंसिया भी घुसपैठ को लेकर सवाल उठा चुकी हैं. मित्रो यहां हम आपके साथ, एक छोटा सा आंकड़ा शेयर करते हैं.

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजुर, दार्जिलिंग, कूच बिहार और जलपाईगुड़ी में बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ से प्रभावित जिले हैं. हम आपको बताना चाहेंगे कि पश्चिम बंगाल के अंदर, वर्ष 1951 में मुस्लिम आबादी करीब 20 प्रतिशत थी जो अब 27% हो गई है. जिन जिलो में मुस्लिम आबादी बढ़ी है उन जिलों में जलापाईगुड़ी भी शामिल है.. इसी जलपाईगुड़ी में खगेन मुर्मू पर रक्तरंजित हमला हुआ था.

तथ्य ये है कि पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी बढ़ी है. खासतौर पर बांग्लादेश से सटे बार्डर के इलाकों में आबादी का संतुलन बिगड़ा है. विशेषज्ञ ये चेतावनी देते रहे हैं कि आबादी के इस असंतुलन के पीछे घुसपैठ है. और इन घुसपैठियों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है. राजनीतिक संरक्षण का ये रोग पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोट बैंक की सियासत करनेवाले सभी दलों को लग गया है. ये बीमारी लोकतंत्र और देश की सुरक्षा के लिए संकट बन गई है. अब संख्याबल के आधार पर पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की मांग होने लगी है.

लोकतंत्र और देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे इस चक्रव्यूह को समझिए. अवैध घुसपैठियों को राजनीतिक संरक्षण देकर उन्हें वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जब ये वोट बैंक मजबूत हो जाता है तो ये घुसपैठिए अपनी ताकत दिखाकर राजनीति में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग करते है. इनकी राजनीतिक हिस्सेदारी बढ़ेगी तो ये फिर ये नए घुसपैठियों को बसाएंगे. पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों की हिमायत वाली सियासत अभी तीसरी अवस्था में है. यानी अब घुसपैठिए अपनी ताकत दिखाकर अपने लिए ज्यादा राजनीतिक हिस्सेदारी मांग रहे हैं. मित्रो ये हमारे लोकतंत्र के लिए खतरा है. सोचिए अगर कोई घुसपैठियां चुनाव जीतकर आता है तो विधानसभा में वो किसकी वकालत करेगा. क्या वो भारत के संविधान के प्रति उतना ही सम्मान और समर्पण रखेगा जितना हम और आप रखते हैं.

घुसपैठ सिर्फ राजनीतिक संकट और संसाधनों पर बोझ नहीं है. इस संकट का दूसरा सिरा देश की सुरक्षा और अखंडता से जुड़ा है. आपको बताना चाहेंगे कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर में मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा हैं. इन जिलों में डेमोग्राफी में बदलाव कितना बड़ा संकट है इसे समझने के लिए हमें लोकसभा में विपक्ष के नेता रह चुके अधीर रंजन चौधरी को जरूर सुनना चाहिए.

अधीर रंजन चौधरी बरहामपुर से 5 बार सांसद रहे हैं. ये सीट मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में हैं. यानी अधीर रंजन चौधरी स्वंय मुस्लिम वोट बैंक के लाभार्थी रहे. लेकिन आज जो बात अधीर रंजन चौधरी कह रहे हैं वो आनेवाले खतरे का संकेत है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश और रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा है. पश्चिम बंगाल की आबादी करीब 10 करोड़ है. यानी राज्य की आबादी में घुसपैठियों की संख्या 10 प्रतिशत तक पहुंच गई है. घुसपैठ का ये संकट सिर्फ संसाधनों पर बोझ से जुड़ा नहीं है. ये हमारे राजनीतिक सिस्टम और देश की अखंडता के लिए भी खतरा बनता जा रहा है. इसलिए जरूरी है कि अब इसपर गंभीरता से ध्यान दिया जाए और देशहित में राजनतीकि लाभ और हानि की गणना छोड़कर घुसपैठियों की समस्या के समूल उन्मूलन के लिए सख्त कार्रवाई की जाए.V

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

About the Author
author img
Abhinaw Tripathi

जी न्यूज में न्यूज डेस्क पर बतौर सब एडिटर कार्यरत. देश- विदेश की खबरों को सरल भाषा में लिखते हैं. साहित्य और राजनीति में विशेष दिलचस्पी. यूपी के सुल्तानपुर जिले से ग्रेजुएशन, महात्मा गांधी काशी विद...और पढ़ें

TAGS

Trending news