DNA Analysis: वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. लेकिन फिर भी इस कानून के खिलाफ हमारे देश में शहर-शहर. हजारों लाखों लोगों की भीड़ उतारी जा रही है. ये आलम मंगलुरु में भी देखने को मिला.
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DNA Analysis: वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. लेकिन फिर भी इस कानून के खिलाफ हमारे देश में शहर-शहर. हजारों लाखों लोगों की भीड़ उतारी जा रही है. विरोध प्रदर्शन के दौरान भारत में रहकर. आज़ादी के नारे लगाये जा रहे हैं. मारने-काटने की धमकी दी जा रही है. हमें लगता है, कि ये ट्रेंड देश के लिए बेहद खतरनाक है और इसलिए आज हम सबसे पहले इस खतरनाक ट्रेंड से आपको सावधान करने वाला विश्लेषण दिखाएंगे.
जुमे की नमाज के बाद मंगलुरु के अद्यार कन्नूर मैदान में एक लाख मुसलमानों को बुलाया गया था. ये प्रदर्शन वक्फ कानून के विरोध में था .इस प्रोटेस्ट के स्पॉन्सर और डायरेक्टर काजी थे. काजी और मुस्लिम धर्मगुरु समेत 25 से ज्यादा लोग मंच पर मौजूद थे और 2 हजार लोग. भारत में रहकर आजादी के नारे लगाने वाली इस भीड़ की सुविधाओं का ख्याल रखने के लिए लगाए गए थे. सोचिए, 2 हजार लोग तो सिर्फ वॉलंटियर्स थे. हमारे पास ग्राउंड से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक दक्षिण कन्नड़ और उडूपी के काजियों ने मिलकर दक्षिण कन्नड़, उडुपी, कोडागु और चिकमंगलुरु से 1 लाख मुसलमानों को जुटाया और सड़कों पर आजादी के नारे लगवाए.
— Zee News (@ZeeNews) April 18, 2025
मंगलुरु में रहकर किस बात की आज़ादी चाहिए इन्हें. इनके लिए इससे बड़ी आजादी क्या होगी कि इतनी बड़ी तादात में इन्हें अपनी आवाज उठाने का मौका मिल रहा है, इससे बड़ी आजादी क्या होगी कि ड्रोन कैमरे की मौजूदगी में इन्हें आजादी के नारे लगाने दिये गए. फिर भी इन्हें आजादी चाहिए. एक बार आप इस भीड़ के उन्मादी नारे को फिर से सुनिए.
अब हम आपको आजादी वाले नारे का मतलब बताते हैं. इस नारे का अपना एक इतिहास है. जो पाकिस्तान से जुड़ा है सबसे पहले ये नारा1980 के दशक में पाकिस्तान में लगाया गया था. उस वक्त जनरल मोहम्मद जिया उल हक का शासन था और उनकी कट्टरपंथी नीतियों के विरोध में. वहां की महिलाएं सड़कों पर उतरी थीं. तब पहली बार आजादी के ऐसे नारे लगाए थे. जो मंगलुरु में आज आपने देखे और सुने. पाकिस्तान के बाद इस नारे की एंट्री भारत के अभिन्न अंग कश्मीर में हुई. जब आतंकवादियों ने अपने खूनी इरादों को आजादी की आड़ में छिपाया था, दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इस नारे का इस्तेमाल कम्युनिष्ट पार्टी से जुड़े छात्र संगठनों ने करना शुरू किया और अब वक्फ बिल के विरोध में सड़कों पर आजादी आजादी के नारे लगाये जा रहे हैं.
सवाल सिर्फ मंगलुरु का नहीं है. सवाल शहर-शहर ऐसे विरोध प्रदर्शनों का है. आज जैसी तस्वीर मंगलुरु में दिखी कल हो सकता है आपको हैदराबाद में देखने को मिले. क्योंकि AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी कल हैदराबाद में वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए पूरे दल-बल के साथ सड़क पर उतरेंगे. कुछ दिनों पहले आपने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में देखा था कि वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन कैसे दंगे में बदल गया और उसका परिणाम क्या रहा. ये आप भी देख रहे हैं और पूरा देश-पूरी दुनिया देख रही है.
माहौल कैसे भड़काया जा रहा है. इसे आप ऐसे समझिए कि सड़क पर काजी अपनी ताकत दिखा रहे हैं और जो संवैधानिक पद पर बैठे हैं वो कह रहे हैं- मारेंगे भी, काटेंगे भी.
इनके हिसाब से मुसलमान सड़क पर आएगा और मार-काट होगी. ऐसे ये अल्पसंख्यकों का कल्याण करेंगे..सोचिए जरा मुस्लिमों के कल्याण वाली ऐसी खतरनाक सोच का ट्रेलर ये बीच-बीच में जारी करते रहते हैं. कुछ दिनों पहले भी इन्होंने ऐसा ही भड़काऊ बयान दिया था. जिसे सुनने के बाद आपको यकीन हो जाएगा कि किस तरह वक्फ कानून के विरोध के नाम पर मुसलमानों को भड़काने का एजेंडा चल रहा है.
अब आपका ध्यान हम एक और बात पर लाना चाहेंगे. शायद आपमें से कुछ लोगों ने इस बात पर गौर भी किया हो. आप पिछले कुछ दिनों से लगातार वक्फ पर प्रोटेस्ट की तस्वीरें देख रहे होंगे. लेकिन ज्यादातर तस्वीरें कहां से आती हैं. ज्यादातर प्रोटेस्ट कहां होता है. उन्हीं राज्यों में होता है जहां गैर-बीजेपी की सरकारें हैं.
कर्नाटक के मंगलुरु में एक लाख की भीड़ वाला प्रदर्शन हुआ. वहां कांग्रेस की सरकार है. पश्चिम बंगाल में हिंसक प्रदर्शन हुआ. वहां ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की सरकार है. कल तेलंगाना में ओवैसी का प्रोटेस्ट है. वहां भी कांग्रेस की सरकार है. तमिलनाडु में भी जबरदस्त प्रदर्शन चल रहा है. वहां डीएमके की सरकार है और जिस झारखंड से लगातार मंत्री जी मार-काट वाली जुबानी चिंगारी लगा रहे हैं. वहां भी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है.
हमारे और आपके लिए सोचने की बात ये है कि ये सब तब हो रहा है..जब सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून पर 6 दिन बाद फैसला सुनाने वाला है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ-साफ कहा था कि वक्फ बिल के विरोध में हिंसा बहुत व्यथित करती है. कोर्ट ये भी कहा था अगर मामला अदालत में लंबित है तो हिंसा और दंगा नहीं होना चाहिए. ना ही अव्यवस्था बनानी चाहिए. प्रदर्शन के जरिए व्यवस्था पर दबाव बनाने की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था. विधेयक के कुछ सकारात्मक बिंदुओं को रेखांकित करना चाहिए.
जब सर्वोच्च न्यायालय तक बार बार कह रहा है वक्फ बिल के विरोध में हिंसा या कोई अनचाही स्थिति नहीं पैदा होनी चाहिए तो फिर ये बड़े बड़े प्रदर्शन क्यों क्या ये सिर्फ नाराजगी दिखाने का जरिया है. या ये कोई टूलकिट है. जो मुर्शिदाबाद में देखने को मिली थी. वक्फ कानून के विरोध की एक तकरीर आज मुंबई से भी आई. ये तकरीर AIMPLB यानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से थी. जो इस पूरे विरोध प्रदर्शन का सबसे बड़ा आयोजक बना हुआ है. AIMPLB ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान क्या कहा. कैसी-कैसी तकरीरें दीं, इसे भी आपको आज सुनना चाहिए.
आप देख सकते हैं किस तरह अदालत के फैसले से पहले डराने-धमकाने और भड़काने का खेल खुलेआम चल रहा है. वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 5 मई को होगी. इस बीच दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक संगठन तब्लीगी जमात का एक सम्मेलन कल हरियाणा के नूंह में होगा. इस जलसे में 5 लाख मुसलमान शामिल होंगे और वहां जिन मुद्दों पर बातचीत होगी उसमें एक टॉपिक वक्फ कानून का भी होगा. एक मंच पर लाखों मुसलमान इकट्ठा होकर वक्फ कानून पर अपनी राय रखेंगे. नूंह के फिरोजपुर झिरका में 19, 20 और 21 अप्रैल को तीन दिनों तक इस्लामिक जलसा होगा.
यहां 20 एकड़ जमीन पर पिछले 4 महीनों से तैयारियां चल रही है. टेंट, बिजली, पानी, रास्ते और टॉयलेट तक के इंतजाम किये गये हैं. तब्लीगी जमात की जलसा कमेटी ने इस कार्यक्रम में बिरयानी बेचनेवालों को चेतावनी दी है. कमेटी ने कहा कि यहां चिकन बिरयानी या मटन बिरयानी बेचने की ही इजाजत मिलेगी. इसके अलावा बीफ बिरयानी बेचने की इजाजत नहीं होगी. तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद यहां भाषण देंगे. उनके मंच के सामने 5 लाख मुसलमानों की भीड़ होगी. हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स में 15 लाख लोगों के पहुंचने के दावे भी किये जा रहे हैं.
इसलिये सबसे बड़ा सवाल भी यही है कि क्या मौलाना साद यहां मुसलमानों से जब वक्फ पर बात करेंगे तो क्या कहेंगे? पिछले कुछ समय से देशभर में अलग-अलग मुस्लिम संगठनों ने वक्फ पर अपनी भड़ास निकाली. कई संगठनों ने तो सड़कों पर प्रदर्शन के नाम पर आगजनी और दंगे जैसे हालात भी बना दिये. तबलीगी जमात के इतिहास में पहली बार नूंह में इस तरह का प्रोग्राम हो रहा है. नूंह हरियाणा का एक मुस्लिम बहुल और संवेदनशील इलाका है.
नूंह में 79 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है. जबकि हिंदुओं की जनसंख्या महज 20 प्रतिशत है. यानी हर 10 लोगों में से 8 मुस्लिम और 2 हिंदू हैं. तब्लीगी जमात का हेडक्वार्टर दिल्ली में है पर इसकी शुरुआत 99 वर्ष पहले 1926 में मेवात से ही हुई थी. पिछले साल जमात का जलसा राजस्थान में हुआ था. इस बार नूंह को चुना गया है. दुनिया के 150 देशों में तबलीगी जमात के करोड़ों सदस्य हैं. हालांकि बताया गया है इस मीटिंग में कोई विदेशी शामिल नहीं हो रहा है.
तब्लीगी जमात खुद को दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामिक संगठन बताता है..बांग्लादेश में हर साल इसका सबसे बड़ा सम्मेलन होता है. 2023 में ऐसे ही एक जलसे में 40 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए.हर साल बांग्लादेश से आई तस्वीरों में लाखों लोगों के वहां पहुंचने की तस्वीरें आती हैं. कई बार तो वहां की ट्रेनों पर जमात के इतने समर्थक सवार होते हैं कि ट्रेन के डिब्बों से लेकर इंजन तक पर लोग खतरनाक तरीके से चढ़कर यात्रा करते हैं. 2024 में जमात के ऐसे ही सम्मेलन में दो गुटों में जबरदस्त मारपीट हुई. जिसमें 4 लोगों की जान चली गई थी.तब्लीगी जमात की एक और खास बात है. इसका हर आदेश जुबानी यानी मौखिक होता है. इस संस्था का दावा है कि आज के हाईटेक युग में भी वो पुराने तरीके से ही काम करता है..और ये लोग खुद को अल्लाह मियां की फौज कहते हैं.
ये सच है, कि तबलीगी समाज की सोच और उन कट्टरपंथियों की सोच में बहुत फर्क है. जिन्होंने बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के घर जला दिये. सैनिक की वर्दी जला दी. मुर्शिदाबाद में जो हिंसा हुई उससे हुए नुकसान और पीड़ा को समझने के लिए. आज तीन अलग अलग संवैधानिक बॉडीज पश्चिम बंगाल पहुंची. सबसे पहले आज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम मालदा के शरणार्थी शिविरों में पहुंची. जहां टूटे-बिखरे परिवारों ने अपनी आपबीती सुनाई.
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आज राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम भी मुर्शिदाबाद के पीड़ितों से मिलने पहुंची थी. NCW की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने मुर्शिदाबाद में महिलाओं से मुलाकात की. जी न्यूज ने भी शरणार्थी शिविर में रह रहे लोगों ने बात की सुनिए उनका क्या कहना था. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस भी आज मालदा पहुंचे. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस अनुरोध को ठुकरा दिया. जिसमें ममता बनर्जी ने राज्यपाल से दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा स्थगित करने को कहा था. लेकिन इस अपील के बाद भी राज्यपाल ट्रेन पकड़कर लोगों से मिलने पहुंचे.पीड़ितों से हाल जाना और उचित कार्रवाई का भरोसा भी दिया. मुर्शिदाबाद हिंसा पीड़ित ममता सरकार और तमाम संवैधानिक बॉडीज़ से न्याय की गुहार लगा रहे हैं... लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि राज्य की सीएम ममचा बनर्जी खुद अभी तक अपने राज्य के लोगों का दर्द समझने उनके बीच नहीं पहुंची पाई हैं.
एक मुर्शिदाबाद हो तब ना. यहां तो शहर-शहर मुर्शिदाबाद बनाने की साजिश रची जा रही है. अब तो दिल्ली के कई इलाकों में भी लोगों को मुर्शिदाबाद दिखने लगा है. ये सुनकर शायद आप हैरान हो गए होंगे , क्योंकि मुर्शिदाबाद तो पश्चिम बंगाल में है. लेकिन जब दो अलग-अलग जगहों पर हालात बिल्कुल एक जैसे हो जाएं तो तुलना तो होगी ही.. जिस तरह बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदू समुदाय को टारगेट किया गया, ठीक उसी तरह दिल्ली के सीलमपुर में भी हिंदू टारगेट पर है..ऐसा दावा किया जा रहा है.
सीलमपुर में कुणाल नाम के एक नाबालिग के मर्डर के बाद, हिंदू समुदाय के लोग सड़क पर उतर आए. उनके हाथों में तख्तियां और पोस्टर थे, जिसमें सीलमपुर से पलायन करने और मकान बिकाऊ है, जैसे लिखे हुए थे. इनका आरोप है कि सीलमपुर में अवैध बांग्लादेशियों ने ठिकाना बना लिया है और हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं. पिछले कुछ समय में दिल्ली के खास पॉकेट्स में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. दिल्ली पुलिस न रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ पा रही है. न इनसे जुड़े क्राइम को कंट्रोल कर पा रही है.
सीलमपुर में हुई हत्या में आज एक लेडी डॉन जिकरा का भी नाम सामने आया. लोगो ने बताया कि सीलमपुर में लेडी डॉन ज़िकरा के इशारे के बिना पत्ता भी नहीं हिलता. बीती रात सीलमपुर में 17 साल के कुणाल की चाकू मारकर हत्या कर दी गई. कुणाल के परिवार का आरोप है कि साहिल और जिकरा ने मिलकर कुणाल का मर्डर किया है. जिकरा का सोशल मीडिया पर लेडी डॉन के नाम से अकाउंट है. जिसमें उसके कई वीडियो और तस्वीरें ऐसी हैं जिसमें वो हाथ में पिस्टल और तमंचा लेकर डांस करते नजर आ रही है.
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ज़िकरा न्यू सीलमपुर इलाके में ऑपरेट करती है. स्थानीय लोगों का दावा है कि ज़िकरा इलाके में बदमाशों के ग्रुप के साथ रहती है. हाथ में तमंचा और पिस्टल लेकर लोगों को धमकाती है. हथियार रखने के आरोप में ज़िकरा को जेल भी हो चुकी है. लेडी डॉन पर नशे का कारोबार करने का भी आरोप है. ज़िकरा के बारे में ये भी कहा जा रहा है कि ये एक समय गैंगस्टर हाशिम बाबा की पत्नी ज़ोया की राइड हैंड हुआ करती थी. जोया के जेल जाने के बाद ज़िकरा ने अपना गैंग तैयार किया.
कुणाल मर्डर केस में पीड़ित परिवार जिकरा और उसके भाई साहिल पर ही साजिश का आरोप लगा रहा है. दिल्ली पुलिस ने जिकरा समेत तीन आरोपियों को हिरासत में ले लिया है, और उससे पूछताछ कर रही है. लेकिन कुणाल के कत्ल के बाद सीलमपुर में हालात तनावपूर्ण हैं और पैरा मिलिट्री फोर्सेज की तैनाती करनी पड़ी.सिर्फ सीलमपुर जैसे इलाके ही नहीं बल्कि इस समय, देश की राजधानी के कई हिस्से GUNS और GOONS यानी गुंडों की प्रयोगशाला बन गए है. कभी मुंबई , अंडरवर्ल्ड का गढ़ हुआ करती थी. लेकिन अब दिल्ली, क्राइम कैपिटल बन गई लगती है.. पुलिस सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में इस समय इंटरनेश्नल लेवल पर ऑपरेट कर रहे छोटे-बड़े 11 क्रीमिनल गैंग एक्टिव हैं.
दिल्ली के क्राइम कैपिटल बनने के साइडइफेक्ट भी दिखने लगे हैं. राजधानी में गैंगवार के साथ खून-खराबे और लूटपाट की घटनाएं आम बात हो गई हैं. देश की राजधानी में अपराध बढ़ रहे हैं. अवैध घुसपैठिए गैंग बनाकर हिंदुओं को टारगेट कर रहे हैं. बीते दस दिनों में ये दूसरी घटना है जब एक समुदाय के गुंडों ने हिंदू समुदाय को टारगेट किया है. 17 अप्रैल को साहिल और जिकरा ने मिलकर कुणाल की हत्या कर दी. सात अप्रैल को गोकुलपुरी में शाहरूख और साहिल ने हिमांशु का मर्डर कर दिया.
वहीं दिल्ली के जहांगीपुरी में 26 अप्रैल को अनिता शर्मा नाम की महिला को. मोहम्मद माहताब ने चाकू मार कर मौत के घाट उतार दिया था. हमने मुर्शिदाबाद दंगे पर ममता बनर्जी से सवाल पूछा था. तो अब सीएम रेखा गुप्ता से भी सवाल बनता है. कानून व्यवस्था में सुधार करना उनकी पार्टी का चुनावी वादा था.उस वादे का क्या हुआ. उस गारंटी का क्या हुआ.