DNA ANALYSIS: इंटरनेट नहीं भूलता आपकी गलतियां, जानें Search Engine से कैसे हटा सकते हैं Personal Data?
इंटरनेट पर आपकी गलतियां, आपके गम और गुनाह सब सदा के लिए सेव (Save) हो जाते हैं और कोई भी इनका इस्तेमाल आपको नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकता है. अगर आप इंटरनेट पर मौजूद अपनी जानकारियों को मिटाना चाहते हैं या इसे नियंत्रित करना चाहते हैं तो आप कुछ तरीके अपना सकते हैं.
नई दिल्ली: बहुत सारी यादें ऐसी होती है, जिन्हें आप भुला देना चाहते हैं. कई बार आप दूसरों को कहते हैं कि मुझे इस पर बात नहीं करनी. छोड़ो जो हुआ, उसे भूल जाओ, लेकिन अगर आपकी कोई बात इंटरनेट पर मौजूद है, तो इंटरनेट उसे कभी नहीं भूलता.
दुनिया में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कोई गलती की है या कोई अपराध किया है. ये लोग उसकी सजा भी भुगत चुके हैं, लेकिन इंटरनेट इनकी गलतियों को भुलाने के लिए तैयार नहीं है.
Right To Be Forgotten का मुद्दा
आज भी इंटरनेट पर इनके नाम के सामने वही गलतियां और अपराध आ जाते हैं. अब ऐसे बहुत सारे लोगों ने इंटरनेट पर अपने आपको भुला देने के अधिकार का मुद्दा उठाया है. जिस तरह आप अपने जीवन में कड़वी यादों को भुला देना चाहते हैं, क्या उसी तरह इंटरनेट पर भी अपने अतीत को भुलाया नहीं जा सकता? आज हम इसी सवाल को देश के सामने रखेंगे.
आशुतोष कौशिक नाम के एक व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है और कहा है कि 2009 में उन्होंने मुंबई में शराब पीकर गाड़ी चलाई थी, जिसके लिए उन्हें सजा भी मिल चुकी है, लेकिन इंटरनेट पर आज भी उनकी इस गलती की तस्वीरें और वीडियोज मौजूद हैं. आशुतोष कुछ रियलिटी टीवी शो का हिस्सा रहे हैं, इसलिए भारत में बहुत सारे लोग उन्हें जानते हैं. आज भी जब कोई इंटरनेट पर उनका नाम सर्च करता है, तो यही तस्वीरें और वीडियोज सामने आते हैं. इसलिए Right To Be Forgotten यानी भुला देने के अधिकार के तहत इन तस्वीरों और वीडियोज को हटा दिया जाना चाहिए.
इंटरनेट पर जानकारियों को हटाना बेहद मुश्किल
साफ है कि अगर आपने जीवन में कभी कुछ गलत किया है या आपके साथ कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी यादों से आप पीछा छुड़ाना चाहते है और वो बात इंटरनेट पर मौजूद है, तो आपकी एक भूल भी इंटरनेट पर शूल बनके आपको हमेशा के लिए चुभ सकती है. बात सिर्फ गलतियों की ही नहीं है, अगर आपके साथ हुई कोई दुखदायी घटना की जानकारी भी इंटरनेट पर मौजूद है, तो इसे वहां से हटाना बहुत मुश्किल है.
Right To Privacy का अधिकार
भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को Right To Privacy यानी निजता का अधिकार देता है और भुला देने का अधिकार भी Right To Privacy के दायरे में ही आता है.
वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने Right To Privacy को मूलभूत अधिकार माना था. इसी तरह लोकसभा में Personal Data Protection Bill अभी लंबित है. इसी बिल में Right to be Forgotten का भी जिक्र है. इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति के पर्सनल डेटा पर सिर्फ उसका अधिकार है और उसे ये तय करने का हक है कि वो दूसरों को इसका इस्तेमाल करने देना चाहता है या नहीं.
डेटा को हटाने या उसमें बदलाव करने का हक
मोटे तौर पर इस प्रावधान के तहत कोई व्यक्ति ये फैसला ले सकता है कि जिन कंपनियों के पास उसका डेटा मौजूद है, वो उसका इस्तेमाल करें या न करें. अगर ये बिल पास हो गया, तो आपको इंटरनेट पर मौजूद अपने डेटा को हटाने का या उसमें बदलाव करने का हक मिल जाएगा. हालांकि इस पर फैसला लेने का अधिकार डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी को होगा.
वर्ष 2020 में ओडिशा हाई कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि इंटरनेट पर सार्वजनिक हो चुकी जानकारियों को वापस लेना ऐसा ही है, जैसे टूथपेस्ट को ट्यूब से बाहर निकालकर वापस उसमें डालना, यानी ये लगभग असंभव सा काम है.
इसी साल दिल्ली हाईकोर्ट ने भी Right to be Forgotten पर एक फैसला सुनाया था. ये मामला भारतीय मूल एक अमेरिकी नागरिक से संबंधित था. दरअसल, वर्ष 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस अमेरिकी नागरिक पर भारत में चल रहे एक मुकदमे पर फैसला सुनाया था और उन्हें बरी कर दिया था. इस फैसले की सारी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध थीं और कानून से जुड़ी कुछ वेबसाइट्स पर तो पूरा का पूरा फैसला ही मौजूद था, इसकी वजह से कोई इस व्यक्ति को नौकरी नहीं दे रहा था.
तब उसने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की और कोर्ट ने Internet Search Engines और Websites को इस फैसले की कॉपी हटाने के लिए कहा था, लेकिन आज भी इस फैसले को आप इंटरनेट पर बहुत आराम से पढ़ सकते हैं.
संतुलन को बिगाड़ रहा इंटरनेट
इंसानों की दुनिया में यादों को भुला देना सामान्य बात है और याद रखना थोड़ा मुश्किल काम है. प्रकृति ने हमारे दिमाग को इसी आधार पर विकसित किया है. आपके मन में बसी कोई भी याद समय के साथ धुंधली हो जाती है या इसमें बदलाव आ जाते हैं. इससे लोगों को दुख से उबरने में मदद मिलती है.
अतीत को भूल जाने से लोग वर्तमान पर ध्यान लगा पाते हैं और भविष्य के बारे में योजनाएं बना पाते हैं. रिसर्च कहती है कि जो लोग अपने अतीत से बहुत ज्यादा जुड़े रहते हैं वो वर्तमान में नहीं रह पाते. यानी कुछ नया सीखने के लिए कुछ पुराना भुलाना पड़ता है, लेकिन इंटरनेट, मस्तिष्क के इस याद रखने और भुला देने वाले संतुलन को बिगाड़ रहा है.
आप अपने मोबाइल फोन या कम्प्यूटर में मौजूद तस्वीरों, वीडियो और डॉक्यूमेंट्स को भी तब तक डिलीट नहीं करते, जब तक स्टोरज कमी न हो जाए और ये तस्वीरें और वीडियो कई बार आपको वो सब भी याद दिला देते हैं, जिन्हें आप भुलाना चाहते हैं.
मान लीजिए कि आपके किसी अपने की मृत्यु हो गई, उसकी यादें आपको जीने नहीं दे रही और आप उसे भुलाना चाहते हैं, लेकिन अचानक एक दिन सुबह-सुबह आप फेसबुक खोलते हैं और फेसबुक आपको उस व्यक्ति के साथ आपकी यादें दिखाने लगता है. सोचिए आप पर क्या बीतेगी?
इंटरनेट पर आपकी गलतियां
इंटरनेट पर आपकी गलतियां, आपके गम और गुनाह सब सदा के लिए सेव हो जाते हैं और वो दिन दूर नहीं जब कोई व्यक्ति इंटरनेट पर मौजूद आपके गुनाहों को एक पेन ड्राइव में स्टोर करके, आपसे कह सकता है कि मेरे पास तुम्हारे 10 GB गुनाह हैं. वैसे तो GB का मतलब Gega Byte होता है, लेकिन इंटरनेट की दुनिया में आप इसे गम, गलतियों और गुनाहों का बही खाता भी कह सकते हैं. इसे आप कुछ उदाहरणों से समझिए.
हाल ही में टोक्यो ओलंपिक्स की ओपनिंग सेरेमनी के डायरेक्टर को उनके 31 साल पहले दिए गए बयान की वजह से हटा दिया गया. ये बयान भी इंटरनेट पर मौजूद है, जिसमें वो जापान में हुए नरसंहार का मजाक उड़ा रहे हैं.
कुछ वर्ष पहले कनाडा के एक डॉक्टर को अमेरिका में इसलिए प्रवेश नहीं मिल पाया क्योंकि, एयरपोर्ट के अधिकारी ने उसका नाम इंटरनेट पर सर्च किया और वहां उसने एक आर्टिकल में कई वर्ष पहले ड्रग्स लेने की बात मानी थी.
इसी तरह अमेरिका में ही एक महिला को इसलिए टीचर की नौकरी नहीं मिल पाई थी क्योंकि, नौकरी देने वालों को इंटरनेट पर उनकी एक ऐसी तस्वीर मिल गई थी, जिसमें उनके हाथ में शराब का एक गिलास था.
यूरोप में ये है नियम
यूरोप के ज्यादातर देशों में लोगों को Right To be Forgotten हासिल है और अगर वहां के लोग शिकायत करते हैं तो Internet Search Engines को जानकारियां हटानी पड़ती है. अमेरिका में अभी ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन वहां भी कई वर्षों से इसकी मांग हो रही है और जैसा कि हमने आपको बताया कि भारत के लोगों को ये अधिकार देने वाला बिल अभी लोक सभा में प्रस्तावित है.
जानकारियों को मिटाना चाहते हैं तो अपनाएं ये तरीका
अगर आप इंटरनेट पर मौजूद अपनी जानकारियों को मिटाना चाहते हैं या इसे नियंत्रित करना चाहते हैं तो आप कुछ तरीके अपना सकते हैं.
-पहला तो ये कि आप अपने इंटरनेट ब्राउजर का In-Cognito या Private Mode में इस्तेमाल करें.
-इसके बाद आप अपना नाम और जानकारी इंटरनेट पर डालकर देखें कि आपको क्या दिखता है. जिस वेबसाइट पर आपको आपका नाम दिखे, आप उस वेबसाइट से संपर्क करें और अपने डेटा को हटाने के लिए कहें.
-इसके अलावा आप डेटा ब्रोकर्स की भी मदद ले सकते हैं. ये वो इंटरनेट कंपनियां होती हैं, जो आपके डेटा को अलग अलग जगह से जमा करती हैं और फिर इसे आगे बेचती हैं. आप इन कंपनियों को इनकी फीस चुकाकर अपना डेटा हटाने के लिए कह सकते हैं.
-गूगल जैसे सर्च इंजन जियो ब्लॉकिंग की सुविधा देते हैं. आप अपनी जानकारियों की Geo Blocking के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन आम लोगों के मामले में ये कंपनी ज्यादा मदद नहीं करती.
-इसके अलावा आप ऐसे साइबर एक्सपर्ट्स की भी मदद ले सकते हैं, जो इंटरनेट पर मौजूद आपके डिजिटल डेटा और जानकारियों को मिटाने का काम करते हैं.
भूल जाने की कला पर धर्म क्या कहता है?
अब हम आपको बताएंगे कि भूल जाने की कला पर धर्म क्या कहता है? जैन धर्म अक्सर मिच्छामी दुक्कड़म पर जोर देता है. मिच्छामी का अर्थ होता है क्षमा और दुक्कड़म का मतलब होता है बुरे कर्म. यानी बुरे कर्मों को क्षमा करना. आप चाहें तो अपने जीवन में भी इसे अपना सकते हैं और लोगों को उनकी गलतियों के लिए क्षमा कर सकते हैं या उनकी गलतियों को भुला सकते हैं. यही नीति इंटरनेट कंपनियों को भी अपनानी चाहिए.
इजरायल के मशहूर लेखक युवल नोआ हरारी कहते हैं कि आने वाले समय में इंटरनेट कंपनियों को सिर्फ सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स ही नहीं, बल्कि दर्शन शास्त्री और अध्यात्मिक अनुभव रखने वाले लोगों को भी भर्ती करना होगा, ताकि इंटरनेट की दुनिया, इंसानी संवेदनाओं को समझने में सक्षम हो पाए. ये डिजिटल युग है और इस डिजिटल युग की अपनी चुनौतियां हैं.