DNA ANALYSIS: बेंगलुरु दंगों के 'डिजाइनर' कौन? पढ़ें FIR का संपूर्ण विश्लेषण
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DNA ANALYSIS: बेंगलुरु दंगों के 'डिजाइनर' कौन? पढ़ें FIR का संपूर्ण विश्लेषण

बेंगलुरु के दंगाइयों के ख़िलाफ़ दर्ज़ FIR से पता चलता है कि विवादित फेसबुक पोस्ट तो सिर्फ़ एक बहाना था. असल में इन दंगों की स्क्रिप्ट और एक्टर्स पहले से ही तैयार थे.

DNA ANALYSIS: बेंगलुरु दंगों के 'डिजाइनर' कौन? पढ़ें FIR का संपूर्ण विश्लेषण

नई दिल्ली : बेंगलुरु दंगे (Bengluru riot) को 48 घंटे बीत चुके हैं और धीरे धीरे अब ये स्पष्ट हो रहा है, कि ये दंगे अचानक नहीं हुए. बेंगलुरु के दंगाइयों के ख़िलाफ़ दर्ज़ FIR से पता चलता है कि विवादित फेसबुक पोस्ट तो सिर्फ़ एक बहाना था. असल में इन दंगों की स्क्रिप्ट और एक्टर्स पहले से ही तैयार थे. ये दंगे योजना बनाकर किए गए थे और बहुत बड़े षडयंत्र का हिस्सा थे. बेंगलुरु दंगे में पुलिस ने चार FIR दर्ज़ की हैं. इन FIR में दर्ज विवरण पूरे देश को हैरान कर देगा. 

पुलिस वालों की हत्या करना चाहते थे दंगाई

पहली बात ये कि बेंगलुरु के दंगाइयों ने वहां के दो थानों पर हमला करके पुलिसकर्मियों की हत्या करने का प्लान बनाया था. ये ठीक वैसा ही था, जैसे कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे के गैंग ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए बनाया था. लेकिन बेंगलुरु में कानपुर की तरह आठ-दस अपराधी नहीं, बल्कि हथियारों से लैस 800 दंगाई थे. यदि पुलिसवाले इनके हाथ लग जाते तो शायद किसी की जान नहीं बचती.

मंगलवार की रात को हुए दंगे में बेंगलुरु के 60 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए थे. दंगाइयों की भीड़ पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ नारे लगा रही थी. उन्हें अपशब्द कह रही थी और दंगाइयों की अगुवाई कर रहे लोग भीड़ से ये कह रहे थे कि पुलिसकर्मियों को जान से मार दो. बेंगलुरु के दंगाई वहां की पुलिस के दुश्मन इसलिए बन गए थे. दंगाई चाहते थे कि पुलिस वाले विवादित फेसबुक पोस्ट के आरोपी को उन्हें सौंप दे.

पैगंबर पर कथित पोस्ट लिखने वाले नवीन को मारने की थी योजना

ये दंगाई विवादित पोस्ट करने वाले आरोपी की खुद अपने हाथों से हत्या करना चाहते थे. कांग्रेस के विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे ने कथित तौर पर फेसबुक पर पैंगबर मोहम्मद साहब के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. जिसे पुलिस ने गिरफ़्तार भी कर लिया था. लेकिन जब पुलिस ने विधायक के भतीजे को सौंपने से इनकार कर दिया तो ये दंगाई थानों में आग लगाकर पुलिसकर्मियों की हत्या करने पर उतारू हो गए.

एफआईआर के मुताबिक बेंगलुरु में दंगा करने वाले पूरी तैयारी के साथ आए थे. इन्होंने दो पुलिस थानों, KG हल्ली और DG हल्ली को निशाना बनाया. इन्होंने विधायक के घर पर हमला किया और घर में आग लगा दी. दंगाइयों में 5 लोगों ने 200 से 300 लोगों के ग्रुप बनाए थे. इनके हाथों में धारदार हथियार, ईंट-पत्थर, बोतलें, लोहे की रॉड और पेट्रोल बम थे.

गुरिल्ला शैली में दंगाइयों ने रात भर 5 बार किया हमला

इन दंगाइयों ने बेंगलुरु के इस इलाके की संकरी गलियों में गुरिल्ला युद्ध की तकनीक से पुलिस पर हमले किए. यानी हमला करके, पीछे हट जाना और थोड़ी देर बाद फिर बड़ा हमला करना. बेंगलुरु में मंगलवार की रात को यही हुआ. करीब पांच बार इस भीड़ ने हमला किया था और हर बार भीड़ में लोगों की संख्या पहले से कहीं ज़्यादा होती थी.

बेंगलुरु के दंगाइयों ने वहां पर पत्थर फेंक कर स्ट्रीट लाइट्स तोड़ दी. जिससे पूरे इलाके में अंधेरा हो जाए और उन्हें कोई पहचान ना पाए. वो जब चाहे हमला करके वहां की संकरी गलियों से बचकर निकल जाएं. कई रास्तों को ईंट-पत्थर और टायर से ब्लॉक कर दिया था. जिससे दूसरे इलाकों की पुलिस, अपने साथियों की मदद के लिए वहां पर पहुंच ना पाए. आग बुझाने के लिए वहां दूसरे इलाकों से फायर ब्रिगेड की जो गाड़ियां जा रही थी. उनका रास्ता भी भीड़ ने रोक दिया था और इन गाड़ियों में तोड़फोड़ करके, फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों को भी पीटा गया.

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दंगों के लिए पहले से बना ली गई थी योजना

बेंगलुरु के दंगे में सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट किए जाने के एक घंटे के अंदर ही हज़ारों लोग इकट्ठा हो गए थे. इसी से पता चलता है कि दंगे की पहले से ही तैयारी कर ली गई थी और इन लोगों को सिर्फ़ दंगा करने की वजह की तलाश थी. इससे साबित होता है कि  कोई भी दंगा अचानक नहीं होता बल्कि योजना बनाकर ही दंगे किए और कराए जाते हैं. इस योजना में दंगा करने के लिए अलग-अलग काम बांटे जाते हैं और उन इलाकों की पहचान कर ली जाती है. जहां पर माहौल को बिगाड़ कर दंगा करना होता है. बेंगलुरु दंगों की स्क्रिप्ट भी यही थी.

बेंगलुरू दंगों की FIR की कॉपी कन्नड भाषा में है. इसे हम सिलसिलेवार तरीके से आपको बताते हैं. मंगलवार की रात 8 बजे पुलिस ने कांग्रेस विधायक के भतीजे को गिरफ़्तार किया था. आरोप है कि उसने फेसबुक पर विवादित पोस्ट की थी. लेकिन इसके 45 मिनट के अंदर ही मुज़म्मिल पाशा, सैयद मसूद, अफनान, अयाज़ और अल्लाह बक्श नाम के पांच व्यक्तियों ने करीब 200 से 300 लोगों को साथ लेकर पुलिस थाने को घेर लिया.

दंगाइयों ने थानों के बाहर खड़ी गाड़ियों को फूंक डाला

FIR के मुताबिक भीड़ को साथ लेकर आए इन लोगों का मक़सद विवादित टिप्पणी करने वाले आरोपी पर हमला करना था. इस भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पथराव करना शुरू कर दिया. जिससे एक पुलिसकर्मी को चोट आई. थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों ने इसकी सूचना अपने अधिकारियों को दी और वहां पर तुरंत अतिरिक्त पुलिस बल भेजने को कहा. इस बीच वहां के विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति भी भीड़ को लगातार समझाने की कोशिश करते रहे. लेकिन भीड़ ने उनकी बात नहीं मानी और कुछ ही देर में दंगाइयों ने पुलिस थाने के बाहर खड़ी गाड़ियों को आग लगा दी.

इसके बाद सैकड़ों की संख्या में दंगाइयों ने पुलिस थानों को घेर लिया और थानों में घुसकर वहां पर तोड़ फोड़ शुरू कर दी.  बेंगलुरु के इस इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल पहुंचा और भीड़ से ये इलाका तुरंत खाली करने के लिए हवाई फायरिंग भी की.  लेकिन उसके बाद भी दंगाई भीड़ वहां से नहीं हटी. बाद में पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा और कई राउंड की फायरिंग करनी पड़ी. जिसमें दंगाई भीड़ में से तीन लोगों की मौत भी हुई.

कथित आरोपी नवीन को अपने हवाले करने की मांग कर रहे थे दंगाई

दंगाई भीड़ ने दो पुलिस थानों को इसलिए निशाना बनाया था, क्योंकि उन्हें पता नहीं था कि विवादित टिप्पणी करने वाला आरोपी कौन से थाने में गिरफ़्तार करके रखा गया है. दंगाई भीड़ इस आरोपी को अपने हवाले करने की मांग कर रहे थी. जब पुलिसवालों ने उनकी बात नहीं मानी तो ये पुलिसकर्मियों पर हमला करने लगे. इन्होंने भीड़ को दो हिस्सों में बांटकर कांग्रेस विधायक के घर और उनके भतीजे के घर पर हमला किया. दंगाइयों को लग रहा था कि विधायक का भतीजा शायद इन्हीं घरों में है.

मंगलवार की रात को बेंगलुरु में दंगों की भूमिका तभी बन गई थी. जब कांग्रेस विधायक के भतीजे की विवादित पोस्ट के बाद शाम को सात बजे कुछ लोग विधायक से मिलने के लिए उनके घर के बाहर इकट्ठा हुए थे. उस वक्त विधायक अपने घर पर नहीं थे. इसके आधे घंटे बाद ही इन लोगों ने विधायक के घर पर पथराव करना शुरू कर दिया. भीड़ में से कुछ लोगों ने विधायक के घर से कुछ दूरी पर उनके भतीजे के घर को भी घेर लिया. लेकिन जब विधायक का आरोपी भतीजा इनके हाथ नहीं लगा तो ये पुलिस थानों को घेरने पहुंच गए और इस बीच इन लोगों ने कहीं ज़्यादा बड़ी संख्या में भीड़ को इकट्ठा कर लिया. इन्होंने पुलिस थानों में भी आग लगाई और विधायक के घर को भी जला दिया. इससे आप समझ गए होंगे कि ये दंगे योजना बनाकर किए गए थे.

दहशत में हैं घटना के चश्मदीद

घटना के चश्मदीदों ने कहा कि फेसबुक पोस्ट के एक घंटे के अंदर ही सैकड़ों लोगों का सड़क पर इकट्ठा हो जाना, अचानक हो सकता है क्या ?. दूसरे चश्मदीद ने कहा कि लाठी डंडे तो मान भी लें, लेकिन उपद्रवी हिंसा फैलाने के लिए पेट्रोल बम लेकर आए, वो इतनी जल्दी तैयार हो सकते हैं क्या ? एक विधायक के घर में सैकड़ों दंगाइयों का एक साथ हमला करना, बिना योजना बनाए हो सकता है क्या ?, आठ सौ लोग, दो-दो पुलिस थानों में घुसकर तोड़फोड़ मचाएं, 200 से ज्यादा वाहनों में आग लगा दें, साठ से ज्यादा पुलिसवालों को घायल कर दें, इतनी हिम्मत कैसे हो सकती है ?. ये पूरा घटनाक्रम इशारा करता है कि हर दंगे की तरह बेंगलुरु के दंगे भी अपने आप नहीं हुए बल्कि करवाए गए. वह भी पूरी प्लानिंग के साथ. फेसबुक पोस्ट तो बस एक बहाना था.असल मकसद तो बेंगलुरु में दंगे भड़काना था. 

70 साल की तुष्टिकरण की नीतियों का नतीजा है दंगा

कर्नाटक के मंत्री सीटी रवि ने कहा कि प्लान करके दंगा किया गया. एक घंटे से ऊपर तक लोगों के घरों और गाड़ियों पर पेट्रोल बम फेंका गया. सरकार को SDPI के कॉर्पोरेटर के ऊपर शक है. ये 70 साल की तुष्टिकरण का नतीजा है. हमें इस ताकत को कट करना है. उन्होंने बताया कि इस मामले में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. चार एफआईआर भी दर्ज हुईं हैं. शक PFI पर है. बेंगलुरु पुलिस ने इस दंगों को भड़काने के आरोप में कुछ स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार भी किया है. लेकिन सवाल ये है कि कुछ स्थानीय नेताओँ के दम पर इतने बड़े दंगे कैसे भड़क सकते हैं.शक तो ये भी है कि इन दंगों में ज्यादातर लोग बाहरी थे. जिन्हें पहले ही बेंगलुरु बुला लिया गया था.

बीजेपी सांसद  शोभा करंदलाजे ने कहा कि इस दंगे की पूरी जिम्मेदारी पीएफआई की है. मुजीब पाशा तो एक मोहरा है. इसके पीछे बड़े लोग शामिल हैं. इस दंगे के लिए केरल से एक नेता यहां आया. 

पहले दिल्ली, अब बेंगलुरु. इस दंगे ने खूबसूरत, शांत और शिक्षित शहर बेंगलुरु को अशांत कर दिया है. इन दंगों के मास्टरमाइंड्स ने बेंगलुरु की छवि को भी वैसे ही खराब करने की कोशिश की है.  जैसे दिल्ली में की थी. दंगों ने बेंगलुरु को जो जख्म दिये हैं, उन्हें भरने में वक्त लगेगा. 

दिल्ली में दंगा भड़काने वाले PFI का भी नाम सामने आया 

बेंगलुरु के दंगों में भीड़ की अगुवाई करने वालों में Social Democratic Party of India यानी SDPI का एक स्थानीय नेता मुज़म्मिल पाशा शामिल था.  SDPI इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन PFI की राजनैतिक पार्टी है. इसी PFI पर दिल्ली दंगों में भी शामिल होने और इन दंगों की फंडिंग करने का आरोप है. बेंगलुरु में जिस तरह से पैंगबर मोहम्मद साहब के बारे में एक टिप्पणी पर धार्मिक भावनाएं भड़का कर दंगे कराए गए. PFI पर इसी तरह से काम करने का आरोप लगता रहा है.

Popular Front of India यानी PFI के काम करने का तरीका यही है. ये संगठन धार्मिक भावनाओं को भड़का कर दंगे करवाता है. ये बात कई दस्तावेज़ों से भी सामने आई है.  PFI के बारे में झारखंड पुलिस की इंटेलीजेंस यूनिट की एक रिपोर्ट मिली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुछ शहरों को PFI सीरिया जैसा बनाना चाहता है. जिस तरह से बेंगलुरु में कथित धार्मिक टिप्पणी के नाम पर दंगा हुआ, उसी तरह से झारखंड के पाकुड़, साहिबगंज और जामताड़ा ज़िले में भी हिंसा हो चुकी है. पैगंबर मोहम्मद साहब या फिर इस्लाम से जुड़ी इस तरह की विवादित टिप्पणियों को आधार बनाकर झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पहले से ही हिंसा फैलाई जाती रही है.

देश में अमन चैन खराब करने की कोशिश में लगा है PFI

इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि झारखंड के साहिबगंज में वर्ष 2016 में देशद्रोह के आरोपी जाकिर नाइक के समर्थन में भी रैली निकाली गई थी. जिसमें पाकिस्तान ज़िंदाबाद और हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए. यानी इस रिपोर्ट में PFI पर सांप्रदायिक उन्माद के ज़रिए हिंसा फैलाने, कट्टरता के आधार पर सामाजिक विभाजन करने और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप लगाए गए हैं. इस रिपोर्ट में केरल में 2010 की एक घटना का भी ज़िक्र किया गया है. जब पैंगबर मोहम्मद साहब पर कथित टिप्पणी करने वाले एक प्रोफेसर का हाथ काट दिया गया था, और इसमें भी PFI से जुड़े लोगों पर आरोप लगे थे.

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