DNA ANALYSIS: Selfie में Filter का इस्तेमाल करते हैं तो उसके ये Side Effects भी जान लीजिए
पूरी दुनिया में हर दिन सोशल मीडिया (Social Media) पर 180 करोड़ तस्वीरें अपलोड की जाती हैं यानी एक हफ्ते में इंटरनेट पर जितनी तस्वीरें अपलोड होती हैं वो दुनिया की इस समय की आबादी के बराबर है. इनमें से करोड़ों तस्वीरें सेल्फी (Selfie) के रूप में होती हैं.
नई दिल्ली: दुनिया भर के वैज्ञानिक इस समय उम्र को रोकने की कोशिश कर रहे हैं और आभासी दुनिया में आप खुद से भी ये काम कर सकते हैं और इस तकनीक का नाम है फिल्टर (Filter), इन्हें आप अपनी सेल्फी (Selfie) या दूसरी तस्वीरों पर इस्तेमाल करके अपनी उम्र कम कर सकते हैं और खुद को अधिक सुंदर बना सकते हैं.
सुंदर दिखने का कॉम्पिटिशन
हमारे समाज में सुंदरता को हमेशा ही, श्रेष्ठता के भाव से देखा गया है. सुंदरता को समृद्धि, वैभव और ताकत का प्रतीक माना गया है. आज भी इसमें ज्यादा बदलाव नहीं आया है. आज जिनके पास भी आज स्मार्टफोन है, उन्होंने कभी-न-कभी सेल्फी जरूर क्लिक की होगी. पर अब सुंदर होने से ज्यादा सुंदर दिखने का कॉम्पिटिशन बढ़ गया है और स्मार्टफोन (Smartphone) के सेल्फी कैमरे (Selfie Camera) इस कॉम्पिटिशन को और बढ़ा रहे हैं.
दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल (Google) की ग्लोबल स्टडी अनुसार अच्छी सेल्फी के लिए भारत और अमेरिका में सबसे ज़्यादा फिल्टर्स या एडिटिंग टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है. यानी मोबाइल फोन से अपनी तस्वीर क्लिक करने के बाद उसमें बदलाव करके उसे और सुंदर बनाने की कोशिश होती है. आपको गूगल की इस स्टडी की 5 बड़ी बातें बताते हैं-
- एंड्रॉयड फोन के फ्रंट कैमरे से 70 प्रतिशत से ज़्यादा तस्वीरें क्लिक की जाती हैं. यानी 70 प्रतिशत तस्वीरें सेल्फी होती हैं.
- भारतीय महिलाएं, अपनी तस्वीरों को ज़्यादा सुंदर बनाने की कोशिश करती हैं और इसके लिए वे ‘PicsArt’, ‘Makeup Plus’ जैसे ‘Filter App’ और ‘Editing Tools’ का प्रयोग करती हैं.
- सेल्फी क्लिक करना और उसे शेयर करना भारतीय महिलाओं के जीवन का एक अहम हिस्सा है और ये उनके व्यवहार और घरेलू जिम्मेदारियों को भी प्रभावित करता है.
- सेल्फी का क्रेज आज के युवा खासकर लड़कियों और महिलाओं में ऐसा है कि वो जिस ड्रेस में एक बार अपनी सेल्फी लेती हैं, उसे वो दोबारा इस्तेमाल नहीं करती हैं.
- और किसी स्मार्टफोन के कैमरे की क्वालिटी भारतीय यूजर्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. उनके लिए नया स्मार्टफोन खरीदने का फैसला उसमें मौजूद कैमरे के मेगा पिक्सल्स पर निर्भर करता है.
मोबाइल फोन कंपनी के लिए सेल्फी कैमरा बन गया सेलिंग पॉइंट
आपने देखा होगा कि आजकल स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां, ये मार्केटिंग करती है कि उनके स्मार्टफोन का सेल्फी कैमरा बहुत ज्यादा मेगा पिक्सल्स का है, वो अंधेरे में भी परफेक्ट सेल्फी ले सकता है. यानी हर मोबाइल फोन कंपनी के लिए सेल्फी कैमरा एक सेलिंग पॉइंट बन गया है.
सिर्फ भारतीय महिलाएं ही नहीं, भारत के पुरुष भी सेल्फी लेते हैं और फिल्टर्स का भी इस्तेमाल करते हैं. लेकिन वो खुद से ज्यादा उस कहानी पर ध्यान देते हैं जिससे वो उस तस्वीर से समझाने की कोशिश करते हैं.
हालांकि भारतीय पैरेंट्स अपने बच्चों के सेल्फी लेने या फिल्टर्स को इस्तेमाल करने की चिंता नहीं करते हैं. उनके लिए बड़ी समस्या मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल है. भारत में वैसे भी फिल्टर्स के इस्तेमाल को समाज ने स्वीकार कर लिया है और अब तो इसके लिए अलग से आपको अलग से मोबाइल एप्स भी डाउनलोड करने की जरूरत नहीं है क्योंकि, आपके स्मार्टफोन कैमरा ऐप में ही ये सभी फीचर्स मौजूद हैं.
सेल्फी लेने और उसे शेयर करने की वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक महिलाओं के लिए सेल्फी लेने और उसे शेयर करने की एक और वजह है, उनकी अपनी जिंदगी की दिक्कतें. लोगों की जिंदगी में कुछ न कुछ कमी होती है और उसे परफेक्ट दिखाने के लिए वो अपनी तस्वीरों को बेहतर करके सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं और ऐसा करके लोग खुद को दूसरों से बेहतर दिखाने की कोशिश करते हैं.
पूरी दुनिया में हर दिन ली जाती है 10 करोड़ से ज्यादा सेल्फी
स्मार्टफोन से सेल्फी लेने का चलन आज युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय है. वर्ष 2013 में Oxford Dictionary ने सेल्फी को वर्ड ऑफ द ईयर का दर्जा दिया था. एक आंकड़े के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर दिन 10 करोड़ से ज्यादा सेल्फी ली जाती है और ऐसा करने वाले ज्यादातर युवा होते हैं.
एडिटिंग टूल्स का इस्तेमाल ले जाता है वास्तविकता से दूर
अगर आपके पास एंड्रॉयड या एपल का कोई स्मार्टफोन है तो गूगल प्ले स्टोर या एपल के ऐप स्टोर में कई ऐसे एप्स हैं जिनके जरिए आप अपनी तस्वीर को एडिट कर सकते हैं. आप एडिटिंग टूल्स की मदद से सेल्फी के बैकग्राउंड को और बेहतर कर सकते हैं. आप अपनी त्वचा के रंग को और निखार सकते हैं, अपनी उम्र को कम कर सकते हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन ये सब आपको वास्तिवकता से दूर ले जाता है.
हालांकि अब तो कई लोग सोशल मीडिया पर अपनी DP यानी Display Picture का इतना ध्यान रखते हैं कि मनपसंद चेहरा पाने के लिए Cosmetic Surgery तक करवाते हैं.
प्राइवेसी के लिए बड़ा ख़तरा
सुंदर दिखने के लिए महिलाएं खास तौर पर कॉस्मेटिक्स का भी इस्तेमाल करती हैं. आपने कई बार सुना होगा कि कॉस्मेटिक्स के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. यानी कॉस्मेटिक्स का उल्टाअसर होता है. ऐसा ही असर Photo Editing Tools का भी हो सकता है. जिस तस्वीर को आप एडिट कर और खूबसूरत बनाते हैं वो तस्वीर आपकी प्राइवेसी के लिए बड़ा ख़तरा बन सकती है.
पूरी दुनिया में हर दिन सोशल मीडिया पर 180 करोड़ तस्वीरें अपलोड की जाती हैं यानी एक हफ्ते में इंटरनेट पर जितनी तस्वीरें अपलोड होती हैं वो दुनिया की इस समय की आबादी के बराबर है. इनमें से करोड़ों तस्वीरें सेल्फी के रूप में होती हैं और इनमें महिलाओं की तस्वीरों की संख्या पुरुषों के मुकाबले बहुत ज़्यादा है. पिछले महीने आई एक ख़बर के मुताबिक सोशल मीडिया पर डाली गई 1 लाख महिलाओं की तस्वीरों को Deep Fake नाम की एक तकनीक की मदद से अश्लील तस्वीरों में बदल दिया गया.
साइबर क्राइम के शिकार बन सकते हैं आप
कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर #CoupleChallenge ट्रेंड कर रहा था। कई यूजर्स अपने जीवन साथी के साथ तस्वीरें Facebook पर शेयर कर रहे थे. लेकिन पुणे पुलिस ने ट्विटर पर पोस्ट शेयर करते हुए लोगों से अपील की कि वो पार्टनर की तस्वीर पोस्ट करने से पहले 2 बार सोचें क्योंकि ये हो सकता है कि आपकी शेयर की गई तस्वीरों का इस्तेमाल मॉर्फिंग और डीप फेक्स के लिए हो सकता है और आप साइबर क्राइम के शिकार बन सकते हैं.
दुनिया की पहली सेल्फी
अब सेल्फी के दौर में आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की पहली सेल्फी अमेरिकी Photographer Robert Cornelius द्वारा वर्ष 1839 में ली गई थी. तब उन्होंने कैमरे का फ्रेम तैयार किया और दौड़कर कैमरे के सामने गए. इस तस्वीर के पीछे उन्होंने लिखा था, “The First Light Picture Ever Taken 1839” . हालांकि आजकल स्मार्टफोन की वजह से लोग कैमरे का इस्तेमाल करना, बंद कर चुके हैं. अब फोटो खींचने के लिए, लोग अपने स्मार्टफोन के कैमरे का ही प्रयोग करते हैं.
इसी वर्ष सितंबर में मलेशिया में एक बंदर के द्वारा सेल्फी लेने का मामला सामने आया था. वहां पर एक व्यक्ति का मोबाइल फ़ोन चोरी हो गया था. और कुछ दिनों के बाद जब उसे अपना मोबाइल फोन मिला तो उसमें बंदरों की कई सेल्फी और वीडियो थे.
जब दुनिया में कैमरे का आविष्कार नहीं हुआ था...
जब दुनिया में कैमरे का आविष्कार नहीं हुआ था. तब भी लोग अपना चेहरा देखकर खुद को निहारने के आदी थे. शीशे में और पानी में अपनी छवि देखना जीवन के श्रृंगार रस से जुड़ी हुई आदत है. जब कैमरे का आविष्कार हुआ तो इंसान की इन अभिलाषाओं को नया कैनवस मिला और लोग तस्वीरें खिंचवाने के शौकीन हो गए.
आजकल आपको अपने घर में, ऑफिस में और बाहर रास्ते पर चलते समय भी मोबाइल फोन में नजरें गड़ाए हुए लोग मिल जाएंगे. ज्यादातर लोग फोन में खोए रहने की इस आदत से परेशान तो हैं, लेकिन इस बारे में कुछ कर नहीं पा रहे हैं. यानी जरूरत के लिए बनाया गया मोबाइल फोन एक लत बन चुका है.