कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित लोगों के इलाज में सबसे बड़ी समस्या, इस वायरस के बारे में जानकारी का अभाव है. इस वायरस के बारे में नई जानकारी देने के लिए अब हम कोरोना वायरस का वैज्ञानिक विश्लेषण करेंगे.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित लोगों के इलाज में सबसे बड़ी समस्या, इस वायरस के बारे में जानकारी का अभाव है. इस वायरस के बारे में नई जानकारी देने के लिए अब हम कोरोना वायरस का वैज्ञानिक विश्लेषण करेंगे. दुनियाभर के वैज्ञानिक पिछले कुछ समय से ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना वायरस इंसानों के शरीर को कैसे प्रभावित करता है?
इस वायरस के संक्रमण से मारे गए एक हजार से ज्यादा लोगों का पोस्ट-मार्टम करके उनके फेफड़ों की थ्री-डायमेंशनल यानी 3-D तस्वीर बनाई गई है. वायरस से संक्रमित इन फेफड़ों में आपको सफेद धब्बे दिखाई दे रहे होंगे. और ये सफेद धब्बे, म्यूकस यानी बलगम हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के फेफड़ों में भर जाते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये बलगम किसी टूथपेस्ट की तरह गाढ़ा होता है और इसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति के फेफड़ों में हवा के लिए जगह नहीं बचती है और उसका दम घुटने लगता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक (WHO) के मुताबिक फेफड़ों में इस प्रकार के संक्रमण के बाद मरीजों की स्थिति बहुत कम समय में ही गंभीर हो जाती है. ये 3-D तस्वीर Radiological Society of North America (RSNA) ने जारी की है. अब डॉक्टर किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के फेफड़ों का एक्स-रे और CT स्कैन करके, कोरोना वायरस से प्रभावित मरीजों की जल्द पहचान कर पाएंगे और इससे दुनियाभर में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों का इलाज करने में बड़ी मदद मिलेगी.
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