नई दिल्ली: किसी भी चुनौती का मुक़ाबला करने के लिए सबसे ज़रूरी होता है हौसला और हमारी ये ख़बर इसी के बारे में है. ये ख़बर जम्मू कश्मीर से आई है, जहां पूजा देवी नाम की महिला जम्मू कश्मीर की पहली महिला बस ड्राइवर बन गई हैं.


पूरा किया बचपन का सपना


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पूजा शादीशुदा हैं और उनकी एक बेटी और दो बेटे हैं. पूजा का बचपन से ही ट्रक और बस चलाने का सपना था, जिसे पूरा करने के लिए शादी के बाद भी उन्होंने संघर्ष किया. पूजा देवी की ये उपलब्धि बड़ी क्यों हैं, इसे समझने के लिए आपको कुछ आंकड़े देखने चाहिए.


-जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की बेरोज़गारी दर 20 दशमलव 2 प्रतिशत है. ये पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा से भी काफ़ी ज़्यादा है.


-जम्मू कश्मीर में हर तीन में से एक महिला कुछ भी पढ़ने और लिखने में असमर्थ है और दूसरे राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर के भी ग्रामीण इलाक़ों में बेटियों के पैदा होने पर ख़ुशी नहीं मनाई जातीं.



इन आंकड़ों से आप समझ गए होंगे कि पूजा देवी के लिए जम्मू-कश्मीर की पहली महिला बस ड्राइवर बनना बड़ी उपलब्धि क्यों है.


परिवार ने नहीं दिया साथ


बचपन से पूजा का सपना था कि वो बड़ी होकर बस और ट्रक चलाएगी. इस सपने को वो कभी भूली नहीं. जब परिवार को उसने अपने सपने के बारे में बताया तो उसे किसी का साथ नहीं मिला. परिवार ने शादी करा दी और उसके तीन बच्चे भी हो गए, लेकिन तब भी पूजा ने हार नहीं मानी. पूजा ने कोशिश करना नहीं छोड़ा और आज उसी का नतीजा है कि वो जम्मू कश्मीर की पहली महिला बस ड्राइवर बन गई है.



पूजा का हाथ जब बस के Steering पर होता है तो वो कुछ नहीं देखतीं.  लोग उसे बस और ट्रक चलाते हुए देख कर हैरान रह जाते हैं. कठुआ से जम्मू के लिए जब वो बस लेकर निकलती है तो सबकी निगाहें पूजा की तरफ़ होती हैं, लेकिन पूजा का ध्यान सिर्फ़ Steering पर होता है.


सामने थीं कई चुनौतियां


पूजा के बारे में लोग क्या सोचते हैं, ये जानने के लिए हमने कई लोगों से बात की. लोगों ने उसकी हिम्मत को सराहा और उसकी तारीफ़ की. कई लोगों ने बताया कि जब पूजा बस चला रही होती है तो वो सफर के दौरान काफ़ी सुरक्षित महसूस करते हैं.


पूजा के लिए समय हमेशा से ऐसा नहीं था. उनके सामने कई चुनौतियां थीं.  पहले परिवारवालों का साथ नहीं मिला और फिर ससुराल में भी अपने सपने को पूरा करने के लिए उसे काफ़ी संघर्ष करना पड़ा.


हमारे देश में आज महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं. पूजा भी उनकी तरह हैं. वो हार नहीं मानती. वो इस धारणा को तोड़ना चाहती हैं कि केवल पुरुष ही बस और बड़े बड़े ट्रक चला सकते हैं. इसलिए और वो कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है.