DNA ANALYSIS: मेक्सिको की मनमोहक पेंटर फ्रीडा काहलो की कहानी
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DNA ANALYSIS: मेक्सिको की मनमोहक पेंटर फ्रीडा काहलो की कहानी

फ्रीडा काहलो का जीवन भी कुछ ऐसा ही था. फ्रीडा काहलो को बचपन में ही पोलियो नाम की बीमारी हो गई थी. जिसकी वजह से उनका एक पैर छोटा रह गया. 

DNA ANALYSIS: मेक्सिको की मनमोहक पेंटर फ्रीडा काहलो की कहानी

नई दिल्ली: 6 जुलाई के दिन वर्ष 1907 में मैक्सिको की मशहूर पेंटर फ्रीडा काहलो (Frida Kahlo) का जन्म हुआ था. और महज 47 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी. लेकिन एक कलाकार कभी मरता नहीं. क्योंकि उसकी कला उसके जाने के बाद भी जीवित रहती है बल्कि कई बार तो कलाकार के जाने के बाद उसकी कला और निखरकर सामने आती है.

जन्म कब होगा और मृत्यु कब आएगी ये तो हम में से कोई भी तय नहीं कर सकता लेकिन जीवन कैसे जीना है ये हम जरूर तय कर सकते हैं. फ्रीडा काहलो का जीवन इसी दर्शन की जीती जागती पेंटिंग थी. कहते हैं जब आप अपने काम को और अपनी कला को बहुत पसंद करते हैं तो आप स्वयं वो कला बन जाते हैं यानी फिर आपको आपके पैशन से कोई अलग नहीं कर सकता.

फ्रीडा काहलो का जीवन भी कुछ ऐसा ही था. फ्रीडा काहलो को बचपन में ही पोलियो नाम की बीमारी हो गई थी. जिसकी वजह से उनका एक पैर छोटा रह गया. इस शारीरिक कमी की वजह से उन्हें स्कूल में परेशान किया जाता था लेकिन उनके सपने परेशान नहीं हुए वो विचलित नहीं हुईं. वो डॉक्टर बनने के अपने सपने की तरफ आगे बढ़ ही रही थीं कि अचानक 18 साल की उम्र में उनके साथ एक दुर्घटना हो गई. एक कार ने उनकी बस को टक्कर मार दी और बस की Handrail उनके शरीर को भेदती हुई निकल गई. उनकी कमर तीन जगह से टूट गई, और कॉलर बोन पर भी गहरी चोट आई. उनका जो पैर पोलियो की वजह से छोटा रह गया था वो भी टूट गया. इस दौरान किसी ने उनके शरीर में धंसी Handrail को बाहर निकालने की कोशिश की. और कहा जाता है कि इस दौरान उनकी हड्डियों के टूटने का जो शोर पैदा हुआ वो आसपास से गुजरते वाहनों के शोर से भी ज्यादा था.

इसके बाद एक महीने तक अस्पताल में उनका इलाज चला और उन्हें लंबे समय तक बिस्तर पर ही आराम करने की सलाह दी गई. उनके शरीर के साथ ही उनका डॉक्टर बनने का सपना भी टूट गया. लेकिन बिस्तर पर लेटे-लेटे ही फ्रीडा काहलो ने पेंटिंग में हाथ आजमाने का फैसला किया और फिर जो हुआ वो उनकी पेंडिंग्स के रूप में आज भी इतिहास में दर्ज है. इस दौरान फ्रीडा काहलो का इलाज चलता रहा और वो लंबे समय कर बिस्तर पर ही रहीं. लेकिन चित्रकला ने उन्हें वो पंख दे दिए जिनके सहारे उनके सपने उड़ान भरने लगे.

फ्रीडा काहलो ज्यादातर खुद की फ्रीडा काहलो बनाया करती थीं. इसे Self Portrait कहते हैं. ये पेंटिंग्स उनके ही जीवन की कहानी थीं और इन पेंटिंग्स में वो मैक्सिको की संस्कृति के प्रतीक चिन्हों का भी इस्तेमाल किया करती थीं.

उनकी सबसे मशहूर पेंटिंग का नाम है Self-Portrait with Thorn Necklace and Hummingbird. इसमें उनके गले में कांटों का एक हार है और इस हार के साथ ही एक मृत पंछी पैंडेंट की तरह लटका है. सिर के ऊपर कुछ तितलियां मंडरा रही हैं और उनके एक कंधे पर एक काली बिल्ली और दूसरे कंधे पर एक बंदर है. वैसे तो किसी पेंटिंग में छिपे संदेश को समझना आसान नहीं होता. लेकिन इस पेंटिंग के बारे में एक मशहूर परिभाषा ये है कि फ्रीडा काहलो इसके जरिए पति के साथ अपने टूटते रिश्ते को बयान कर रही थीं. गले में पड़ा कांटों का हार उनकी तकलीफों को बताता है और काली बिल्ली दुर्भाग्य का संकेत मानी जाती है. बंदर उनके गले में पड़े कांटों का हार खींच रहा है जिससे उनके शरीर से खून निकलने लगता है. कहा जाता है कि ऐसा ही एक जंगली बंदर फ्रिडा के पति ने उन्हें तोहफे में दिया था. उनके पीछे मंडराती तितलियां और घना जंगल ये बताता है कि बाहर से जीवन हरा-भरा दिखाई देता है. लेकिन इच्छाओं का जंगल कई बार दम घोंटने लगता है.

फ्रीडा काहलो के साथ जो दुर्घटना हुई थी. उसने उनकी रीढ़ की हड्डी को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई थी. अपने इस दर्द को बयान करने के लिए भी फ्रीडा ने एक पेंटिंग बनाई थी. इस पेंटिंग को नाम दिया था.
The Broken Column. इस Painting में स्टील का एक कॉलम उनके शरीर के बीच से गुजर रहा है. कहा जाता है कि इस पेंटिंग के जरिए वो शरीर में लगी चोटों और असहनीय दर्द को बयान कर रही थीं. 

फ्रीडा काहलो की 30 से ज्यादा सर्जरी हुई थीं लेकिन उनकी चोट कभी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाई. इसे बयान करते हुए उन्होंने एक हिरण की तस्वीर बनाई जिसका चेहरे की जगह फ्रीडा काहलो का चेहरा था. इस हिरण के शरीर में 9 तीर लगे हुए हैं और हिरण के शरीर से खून बह रहा है. कहते हैं कि उन्होंने अपनी सफल सर्जरीज को इस पेंटिंग के जरिए बयान किया था.

इसके अलावा उनकी एक और मशहूर पेंटिंग है जिसका नाम है The Two Fridas. इसमें फ्रीडा ने अपनी ही दो छवियां बनाई हैं. इस पेंटिंग में दोनों फ्रीडा का हृदय दिखाई दे रहा है और ये दोनों हृदय एक ही नस से जुड़े हुए हैं. इस पेंटिंग के बारे में कहा जाता है कि ये उन्होंने अपनी पति Diego Rivera को तलाक देने के बाद बनाई थी. इसमें एक तरफ वो शादी शुदा फ्रीडा हैं जो अपने पति और मैक्सिको की संस्कृति से प्रेम करती है और दूसरी फ्रीडा वो हैं जो एक आजाद और स्वतंत्र महिला हैं.

हम सबके अंदर भी दो व्यक्तित्व होते हैं. एक वो जो सीमाओं से बंधा रहता है, जिम्मेदारियों के बोझ से दबा रहता है. लेकिन हमारे अंदर का दूसरा व्यक्तित्व आजाद और उन्मुक्त होना चाहता है. जबकि दोनों व्यक्तित्व की डोर एक ही आत्मा से बंधी रहती है.

फ्रीडा काहलो की पेंटिंग्स पहली नजर में बहुत दर्द भरी लगती हैं. लेकिन जो जीवन को समझता है वो सबसे पहले अपने दर्द का विश्लेषण करता है और फिर खुशियों के कैनवस (Canvas) पर अपनी आत्मा को उकेरता है. फ्रीडा काहलो भी यही कर रहीं थीं. वो उस जमाने में भी एक सशक्त और स्वतंत्र महिला थीं और उन्होंने कभी समाज की पाबंदियों की परवाह नहीं की. उनके पति Diego Rivera उनसे उम्र में बड़े थे और वो भी एक मशहूर कलाकार थे. लेकिन Diego Rivera के साथ उनका रिश्ता उतार-चढ़ाव भरा रहा. पहले तो फ्रीडा ने उन्हें तलाक दिया और फिर दोबारा उन्हीं से विवाह कर लिया.

लेकिन फ्रीडा के जीवन से सीखने वाली जो जरूरी बात है वो ये है कि उन्होंने इतनी परेशानियों के बाद भी हार नहीं मानी और अपने अकेलेपन, और अपनी तकलीफों को ही अपनी ताकत में बदल दिया.

कहते हैं आप जितना दर्द सहते हैं आपका व्यक्तित्व उतना ही विशाल बन जाता है. आपकी आत्मा पर चोट के निशान ही आपके चरित्र को मजबूत और महान बनाते हैं.

मशहूर सूफी संत और कवि रूमी कहते थे कि आपको मिला दर्द और जख्म ही वो जगह है जहां से रोशनी आपके अंदर प्रवेश करती है.

रूमी ने जो कहा उसे फ्रीडा काहलो ने अपनी पेंटिंग्स में चरितार्थ करके दिखाया. जीवन के आखिरी दिनों में संक्रमण की वजह से फ्रीडा का एक पैर डॉक्टरों को काटना पड़ा था. लेकिन फ्रीडा कहती थीं कि उन्हें पैरों की जरूरत नहीं है क्योंकि उनके पास उड़ने के लिए पंख हैं. वो ये भी कहती थीं कि उनके दुख हमेशा उन्हें डुबाने की कोशिश करते हैं. लेकिन उन्होंने तैरना सीख लिया है. फ्रीडा काहलो कतही थीं कि वो खुद के साथ सबसे ज्यादा समय बिताती हैं इसलिए उनका प्रिय विषय वो खुद हैं. और इसीलिए वो अपनी खुद की पेंटिंग्स बनाती हैं.

इसलिए जीवन में दूसरों का विश्लेषण करने से पहले अपना विश्लेषण कीजिए. खुद को एक सब्जेक्ट बनाकर उस पर रिसर्च कीजिए और फिर जब आप जीवन के कैनवस पर अपने अस्तित्व का चित्रण करेंगे तो आप पाएंगे कि आप उस राय से कहीं बेहतर हैं जो दूसरे आप के बारे में बनाते हैं. इसलिए हौसलों का ब्रश उठाइए और अपने Version 2.0 का निर्माण शुरू कीजिए आपको सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा.

अब आपको फ्रीडा काहलो की एक और तस्वीर के बारे में बताते हैं. इस तस्वीर में उन्होंने साड़ी पहन रखी है और कहा जाता है कि इसमें उनके साथ मशहूर भारतीय लेखिका नयनतारा सहगल और उनकी छोटी बहन रीता डार हैं. नयनतारा सहगल और रीता डार विजय लक्ष्मी पंडित की पुत्रियां हैं. विजय लक्ष्मी पंडित सोवियत रूस में भारत की पहली राजदूत थीं. विजय लक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं. कहा जाता है कि नयनतारा सहगल की फ्रीडा काहलो से ये मुलाकात वर्ष 1947 में फ्रीडा काहलो के घर Casa Azul मे हुई थी. नीले रंग का घर फ्रीडा काहलो का पारिवारिक घर था और 1958 में इसे फ्रीडा काहलो की याद में एक म्यूजियम में बदल दिया गया. ये म्यूजियम फ्रीडा काहलो के जीवन और उनकी कला को समर्पित है और हर महीने यहां 25 हजार से ज्यादा पर्यटक आते हैं.

भारतीय परिधान में फ्रीडा काहलो की ये तस्वीर वर्ष 2016 में सामने आई थी. फ्रीडा की एक मशहूर Painting The Wounded Deer में कर्मा शब्द लिखा है. जो कि भारतीय शब्द है. यानी फ्रीडा की पेंटिंग्स में कहीं ना कही भारतीय दर्शन की भी छाप थी.

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