नई दिल्ली: यूरोप के खूबसूरत देश स्विट्जरलैंड में इन दिनों एक अजीब बहस छिड़ी हुई है. वहां की सरकार लाखों करोड़ डॉलर खर्च करके फाइटर जेट खरीदना चाहती है. लेकिन वहां की सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है. क्योंकि स्विट्जरलैंड एक ऐसा देश है जिसकी किसी देश से दुश्मनी नहीं है. लोग पूछ रहे हैं कि जब कोई दुश्मन ही नहीं तो आखिर ये लड़ाकू विमान किसके लिए खरीदे जा रहे हैं? अब इस बारे में जनमत सर्वेक्षण कराया जा रहा है, जिसके जरिए वहां की जनता अपनी राय बताएगी.


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फाइटर प्लेन खरीदना चाहिए या नहीं?
ऐसे वक्त में जब दुनिया में हथियारों की होड़ लगी हुई है स्विट्जरलैंड के लोग एक अलग तरह की ही बहस में उलझे हैं. बहस इस बात की है कि फाइटर प्लेन खरीदना चाहिए या नहीं? स्विट्जरलैंड दुनिया के उन देशों में से है जो दुनिया में किसी भी मामले पर किसी देश का समर्थन या विरोध नहीं करते. इसलिए माना जाता है कि कोई देश उसका दुश्मन नहीं है. 173 साल के इतिहास में स्विट्जरलैंड की सेना ने कोई भी युद्ध नहीं लड़ा है. यहां तक कि दूसरे विश्वयुद्ध में भी स्विट्जरलैंड ने हिस्सा नहीं लिया था. वर्ष 1848 में आखिरी बार स्विटरलैंड की सेना युद्ध के लिए सीमा पर तैनात हुई थी, क्योंकि तब बाहरी आक्रमण का डर था.


सेना में लगभग 21 हजार सैनिक
स्विटजरलैंड सरकार लड़ाकू विमान खरीदने पर लगभग 500 अरब रुपए खर्च करना चाहती है.  सेना के पास पहले से ही लड़ाकू विमान हॉरनेट का बेड़ा मौजूद है. हॉरनेट लड़ाकू विमान का ये बेड़ा 2030 में रिटायर हो जाएगा. इसी कारण नए लड़ाकू विमान खरीदने की बात हो रही है. जिन दो लड़ाकू विमानों पर विचार हो रहा है वो हैं-यूरोफाइटर और रफाल. स्विट्जरलैंड की सेना में लगभग 21 हजार सैनिक हैं. इस सेना के पास 326 टैंक भी हैं, जिन्हें सिर्फ अभ्यास के लिए प्रयोग किया जाता है.


27 सितंबर को वोटिंग
अगर यूरोप के नक्शे पर देखें तो स्विट्जरलैंड का क्षेत्रफल मात्र 41 हजार 285 वर्ग किलोमीटर है. ये भारत के हरियाणा राज्य से भी छोटा है. स्विट्जरलैंड के पड़ोसी देश हैं- फ्रांस, इटली और जर्मनी, इनमें से कोई भी देश उसका दुश्मन नहीं है. फिलहाल लड़ाकू विमान खरीदने के फैसले पर स्विट्जरलैंड सरकार ने अब जनता से उसकी राय पूछी है. इस बारे में एक जनमत सर्वेक्षण कराया जा रहा है, जिस पर 27 सितंबर को वोटिंग कराई जाएगी.


आजादी के बाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी कहा करते थे कि भारत का कोई दुश्मन नहीं है इसलिए भारत में सेना की कोई जरूरत नहीं है. जिस चीन को वो भारत का सबसे मित्र देश मानते थे उसी ने भारत की कमजोरी का फायदा उठाकर 1962 में हमला कर दिया था. हो सकता है कि स्विट्जरलैंड के पड़ोसी देश चीन जैसे न हों, लेकिन फिर भी सावधानी जरूरी है. 


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