World Health Organisation यानी WHO है जिस पर इस महामारी के खिलाफ जंग का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी है लेकिन अब सवाल ये है कि क्या WHO ये जिम्मेदारी निभा रहा है? क्योंकि जब पूरी दुनिया इस महामारी के फैलने को लेकर चीन की भूमिका पर सवाल उठा रही है तब WHO ना सिर्फ चीन का बचाव कर रहा है बल्कि उसकी तारीफ करते नहीं थक रहा है तो आखिर WHO ऐसा क्यों कर रहा है. इसकी इनसाइड स्टोरी हम आपको बताएंगे.
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ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस इतना खतरनाक नहीं होता. अगर चीन ने इस महामारी की जानकारी दुनिया से छिपाने की कोशिश नहीं की होती लेकिन चीन अकेले अपने दम पर ऐसा नहीं कर सकता था तो आखिर वो कौन है जिसने कोरोना वायरस की खबर को दबाने में चीन की मदद की.
वो कोई और नहीं बल्कि वही World Health Organisation यानी WHO है जिस पर इस महामारी के खिलाफ जंग का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी है लेकिन अब सवाल ये है कि क्या WHO ये जिम्मेदारी निभा रहा है? क्योंकि जब पूरी दुनिया इस महामारी के फैलने को लेकर चीन की भूमिका पर सवाल उठा रही है तब WHO ना सिर्फ चीन का बचाव कर रहा है बल्कि उसकी तारीफ करते नहीं थक रहा है. तो आखिर WHO ऐसा क्यों कर रहा है. इसकी इनसाइड स्टोरी हम आपको बताएंगे.
WHO के डायरेक्टर जनरल टैड्रोस ऐधेनॉम घेबरेयेसस हैं. जो शुरुआत से ही कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर चीन को क्लीन चिट देते आए हैं जिसकी वजह से इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में WHO की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं और WHO को लोग अब वुहान हेल्थ ऑर्गानाइजेशन तक कहने लगे हैं. इसके बावजूद टेड्रोस अभी भी चीन को बचाने में ही जुटे हैं. क्या आपने सोचा है कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं?. क्यों वो कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में चीन के प्रोपेगेंडा को प्रमोट करने में जुटे हैं.
ये जानने के लिए हमने उनके इतिहास को खंगाला है और हमें जो हैरान कर देने वाली चार महत्वपूर्ण बातें पता चली हैं वो आपको भी पता होनी चाहिए. पहली ये कि टेड्रोस को WHO का चीफ बनाने में चीन ने मदद की थी. दूसरा ये कि इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए टेड्रोस पर हैजे की महामारी को छिपाने का आरोप लगा था. इसके बावजूद WHO चीफ के तौर पर चीन ने उनके नाम का समर्थन किया. तीसरा, जब टेड्रोस, इथियोपिया के विदेश मंत्री थे, तब चीन ने वहां अरबों रुपये का निवेश किया था.
और चौथी महत्वपूर्ण बात, टेड्रोस ने WHO का चीफ बनने के बाद चीन के करीबी और जिम्बाब्वे के पूर्व तानाशाह रॉबर्ट मुगाबे को WHO का गुडविल एंबेस्डर बनाने की कोशिश की थी. ये वो चार बातें हैं जो हमें टेड्रोस और चीन के कनेक्शन के बारे में पता चलीं जिनसे कोरोना वायरस से निपटने में बतौर WHO चीफ, टेड्रोस की भूमिका पर शक होता है. अब हम इन चारों पॉइंट्स के बारे में आपको विस्तार से बताएंगे. सबसे पहले उनके WHO चीफ बनने में चीन की भूमिका वाली कहानी आपको बताते हैं.
जुलाई 2017 में WHO चीफ का पद संभालने वाले टेड्रोस इथियोपिया के नागरिक हैं. WHO चीफ के तौर पर उनका चुनाव दो वजह से अभूतपूर्व है. पहली वजह ये कि वो WHO के डायरेक्टर जनरल पद पर बैठने वाले पहले अफ्रीकी नागरिक हैं. और दूसरी वजह ये है कि वो इस पद को संभालने वाले पहले ऐसे शख्स हैं जिनके पास मेडिसन की डिग्री नहीं है. उन्होंने कम्युनिटी हेल्थ में पीएचडी की है..
तो फिर वो WHO के डायरेक्टर जनरल कैसे बन गए आखिर वो कौन था जिसने WHO चीफ बनने में टेड्रोस की मदद की? इसका जवाब है चीन. वो चीन ही था जिसने टेड्रोस के कैंपेन को सपोर्ट किया. चीन ने उनके पक्ष में ना सिर्फ अपना महत्वपूर्ण वोट दिया बल्कि दूसरे देशों के वोट हासिल करने में भी उनकी मदद की. लेकिन बात यही खत्म नहीं हो जाती. ये तो उनके चीन से रिश्तों का सिर्फ एक हिस्सा है.
दूसरा हिस्सा वहां से जुड़ता है जब टेड्रोस इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री थे. उनके ऊपर इथियोपिया में हैजे के संदिग्ध मरीजों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगा था. ऐसे गंभीर आरोपों के बाद भी वो WHO चीफ चुन लिये गये. जाहिर है ऐसा चीन के चाहने पर ही संभव हो पाया. इस कहानी के तीसरे हिस्से में एंट्री होती है.
चीन की फर्स्ट लेडी यानी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पत्नी पेंग लियुआन की जो कई वर्षों तक WHO की गुडविल एंबेस्डर रह चुकी हैं. हालांकि इस बात से टेड्रोस और चीन की मिलीभगत साबित नहीं होती. बस अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन एक और बात है जो दिमाग में खटकती है और वो ये है कि टेड्रोस इथियोपिया के विदेश मंत्री भी रह चुके हैं.
और वर्ष 2006 से 2015 के बीच करीब एक दशक में चीन ने इथियोपिया में 1300 करोड़ डॉलर यानी करीब 98 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया या लोन दिया. इसी दौरान टेड्रोस वर्ष 2012 से 2016 तक विदेश मंत्री रहे. जाहिर है ये भी एक संदेह करने वाली बात है..लेकिन बात यहां पर भी खत्म नहीं हो जाती.
टेड्रोस ने WHO चीफ का पद संभालते ही एक विवादित फैसला लिया. जब उन्होंने WHO का GOODWILL AMBASSADOR बनाए जाने के लिए जिम्बाब्वे के पूर्व तानाशाह रॉबर्ट मुगाबे के नाम का प्रस्ताव रखा. रॉबर्ट मुगाबे को चीन का आदमी कहा जाता था. चीन ने 1970 के दशक में गुरिल्ला लड़ाके हथियार और ट्रेनिंग देकर मुगाबे की मदद की थी. जब मुगाबे को WHO का GOODWILL AMBASSADOR बनाए जाने का विरोध हुआ तो टेड्रोस को पीछे हटना पड़ गया. और अब एक बार फिर टेड्रोस की भूमिका सवालों के घेरे में हैं. कोरोना महामारी को लेकर वो जिस तरह से चीन का पक्ष ले रहे हैं. उससे दुनिया हैरान है और पूछ रही है कि क्या टेड्रोस चीन के अहसानों का बदला चुका रहे हैं?