DNA ANALYSIS: बैकफुट पर आ ही गया चीन, लेकिन भारत नहीं करेगा सन 62 वाली गलती
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DNA ANALYSIS: बैकफुट पर आ ही गया चीन, लेकिन भारत नहीं करेगा सन 62 वाली गलती

जब तक ये पक्का नहीं हो जाता कि चीन अपना सैन्य साजोसामान लेकर LAC पर पीछे हट चुका है, तब तक हमें सतर्क ही रहना होगा.

DNA ANALYSIS: बैकफुट पर आ ही गया चीन, लेकिन भारत नहीं करेगा सन 62 वाली गलती

नई दिल्ली: जो लोग इतिहास से सीखते हैं, वो आगे गलतियां नहीं करते. भारत ने भी चीन के मामले में यही सीखा है. आज सबको वर्ष 1962 फिर से याद आ गया. 1962 में भी इसी तरह से चीन गलवान घाटी से हटा था, लेकिन इसके 100 दिन के अंदर ही चीन ने भारत पर हमला कर दिया था. सोचिए वो भी जुलाई का ही महीना था, और अब भी जुलाई है. जुलाई में पीछे हटने के बाद 20 अक्टूबर 1962 को चीन ने भारत पर पूरी ताकत से हमला कर दिया था. ये युद्ध एक महीने बाद तब खत्म हुआ, जब चीन ने युद्ध विराम का ऐलान कर दिया.

1962 में भी गलवान घाटी का टकराव ही, चीन के साथ युद्ध का पहला आधार बना था और आज भी सबसे बड़ा टकराव गलवान घाटी पर ही हुआ है. इससे यही बात समझ में आती है कि चीन पर किसी तरह का भरोसा नहीं किया जा सकता. ये बात सरकार और सेना अच्छे से जानती हैं, इसलिए चीन के लिए हर तरह की तैयारी भी है.

जब तक ये पक्का नहीं हो जाता कि चीन अपना सैन्य साजोसामान लेकर LAC पर पीछे हट चुका है, तब तक हमें सतर्क ही रहना होगा. लेकिन एक महत्वपूर्ण बात ये है कि चीन जैसे देश को बैकफुट पर लाना, दुनिया में किसी भी देश के लिए आसान नहीं है. लेकिन भारत ने अपनी सख्ती और सही रणनीति से दुनिया को चीन जैसे देश से निपटना सिखा दिया.

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चीन इस भ्रम में था कि उसकी घुसपैठ पर भारत कुछ कर नहीं पाएगा, और हमेशा की तरह भारत नरम ही रहेगा. लेकिन कुछ ही हफ्तों में चीन को ये अहसास हो गया कि ये पुराना भारत नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का न्यू इंडिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि भारत मित्रता निभाना जानता है, तो आंखों में आंखें डाल कर बात करना भी जानता है.

चीन के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले दिन से ही ये साफ कर दिया था कि देश की संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं होगा. दो महीने के टकराव में जब चीन बातों से नहीं माना, तो फिर चीन के खिलाफ हर तरह के विकल्प अपनाए गए. ऐप्स से लेकर मैप्स तक, भारत ने हर जगह पर चीन को सीधा संदेश दिया, कि भारत इस मामले में बहुत ज्यादा गंभीर है.

भारत ने चीन पर पहली बड़ी चोट तब की, जब 59 चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया. इससे चीन की टेक्नोलॉजी कंपनियों को आने वाले वक्त में करीब 37 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है.

इसमें आत्मनिर्भर भारत का मंत्र, चीन पर निर्भरता कम करने के लिए है. टेलीकॉम और रेलवे के क्षेत्र में चीन की कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट छीने गए. हाईवे और पावर सेक्टर में चीन की कंपनियों को एंट्री नहीं देने की बात हुई. 

चीन के लिए सबसे बड़ा और सबसे कड़ा संदेश तब आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख का दौरा किया. वो लद्दाख में फॉरवर्ड पोस्ट पर गए और वहां से चीन को जो चेतावनी दी, उससे चीन को शायद अंदाजा हो गया कि वो अपनी ही चालों में फंस गया है.

आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर भारत ने चीन को कड़ा संदेश दे दिया, तो कूटनीतिक मोर्चे पर भारत ने चीन को एक तरह से अलग-थलग कर दिया. चीन के साथ टकराव में भारत की कूटनीतिक सफलता भी बहुत बड़े मायने रखती है. क्योंकि दुनिया का कोई भी बड़ा देश, चीन के साथ नहीं दिखा. यहां तक कि चीन का नया दोस्त, रूस भी उसका समर्थन नहीं कर पाया. भारत ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों को भी चीन के साथ टकराव का ब्यौरा दिया. अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने खुलकर भारत के समर्थन में बयान दिए, ये चीन के खिलाफ भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक सफलता भी है.

चीन तो वापस लौटना लगा है. लेकिन हो सकता है कि चीन का ये वादा भी चीन के सामान की तरह निकले. जिसकी कोई गारंटी नहीं होती. इसलिए आपको मेड इन चाइना छोड कर मेड इन इंडिया अपनाना होगा, क्योंकि सिर्फ इसी तरीके से हम चीन को वादे पर अमल के लिए मजबूर कर सकते हैं. इसलिए आप हमारे 7834998998 नंबर पर लगातार Missed Call देते रहें. और मेड इन चाइना को हराने के लिए मेड इन इंडिया को मजबूत बनाते रहें. अब तक हमें इस नंबर पर 71 लाख से ज्यादा Missed Calls आ चुकी हैं. ये अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी की जनसंख्या के लगभग बराबर है और न्यू यॉर्क की आबादी से कुछ कम है. अच्छी बात ये है कि हमारी ये मुहिम नई दिल्ली से अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर तक पहुंच गई है और वहां भी मेड इन इंडिया के समर्थन और चीन के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं. इसके अलावा कनाडा से भी ऐसी ही तस्वीरें आई हैं और हमारे देश के कई शहरों में भी मेड इन इंडिया के समर्थन में लोग आवाज उठा रहे हैं.

संख्या के मामले में आप दुनिया के 222 राजधानियों को पीछे छोड़ चुके हैं और राजधानी कहलाने वाले सिर्फ 18 शहर ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या हमें Missed Call देने वालों से ज्यादा है. हमें उम्मीद है कि आप बाकी के शहरों को भी जल्द ही पीछे छोड़ देंगे.

लेकिन हम कहेंगे कि ये संख्या अब भी कम है और आप इसे बहुत आगे लेकर जा सकते हैं. आपको अपनी संख्या की शक्ति का एहसास करना है और चीन को जवाब देना है.

चीन पूरी दुनिया को नकली सामान बेचने के लिए जाना जाता है, लेकिन चीन में वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नकल उतारना या उनके जैसा दिखना भी खतरे से खाली नहीं है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की छवि को कायम रखने के लिए हद से ज्यादा सख्ती अपनाती है. चीन की इसी सख्ती का शिकार हुए हैं जर्मनी में रहने वाले चीनी मूल के LIU KEQUIN (लिउ के-क्वीन). जो ना तो कोई पत्रकार हैं और ना ही चीन में मानवाधिकारों की आवाज उठाने वाले कोई सामाजिक कार्यकर्ता. वो बर्लिन में एक ओपेरा सिंगर हैं और सोशल मीडिया पर ऑनलाइन सिंगिंग क्लासेस भी देते हैं. लेकिन चीन ने उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को बैन कर दिया है. और इसकी वजह ये है कि लिउ, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हमशक्ल हैं और चीन को यही बात नापसंद है. 

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