बजट में ये घोषणा भी की गई कि वित्त वर्ष 2021-2022 में कम से कम आठ सरकारी कंपनियों की विनिवेश प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. इनमें भारत पेट्रोलियम, एयर इंडिया, आईडीबीआई बैंक, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड और पवन हंस कंपनियां प्रमुख हैं.
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नई दिल्ली: कल 1 फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 घंटे 51 मिनट तक बजट भाषण दिया. इस भाषण में 30 से ज्यादा बार टैक्स शब्द का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि इस वर्ष में आपके लिए इनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है. वित्त मंत्री ने अपनी स्पीच में इंफ्रास्ट्रक्चर शब्द का 30 बार प्रयोग किया. इस बजट की मदद से देश के इंफ्रास्ट्रक्चर में लगभग साढ़े 5 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा.
उन्होंने अपने बजट भाषण में हेल्थ शब्द का 21 बार इस्तेमाल किया. इस वर्ष के बजट में देश के स्वास्थ्य का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए 2 लाख 23 हजार करोड़ दिए गए हैं. बजट भाषण में कोविड शब्द का प्रयोग 8 बार किया गया. भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया गया है और जनता को कोरोना वैक्सीन देने के लिए 35 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. सम्भव है कि ये राशि भी बाद में और बढ़ाई जा सकती है.
वर्ष 2014 से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है. 1 फरवरी को उनकी सरकार की ओर से नौवां बजट पेश किया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये तीसरा बजट था. बजट अच्छा है या बेकार, इसपर सब लोगों की अपनी अपनी राय है. लेकिन अपनी राय बनाने से पहले आपको ये जरूर जानना चाहिए कि आखिर शेयर बाजार इस बजट को किस रूप में देख रहा है. आज Bombay Stock Exchange का सेंसेक्स 2 हजार 315 अंक ऊपर उठकर बंद हुआ.
बजट के दिन शेयर बाजार में 5 प्रतिशत का उछाल आना, अपने आप में रिकॉर्ड है. पिछले वर्ष का बजट 1 फरवरी को निर्मला सीतारमण ने ही पेश किया था, इस दिन शेयर बाजार में 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई.
सरकार ने आम बजट में विनिवेश को लेकर भी अपनी योजना बताई. बजट में सरकार ने बताया कि उसे मौजूदा वित्त वर्ष में कंपनियों की डिस्इंवेस्टमेंट्स यानी विनिवेश से 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपये मिल चुके हैं. हालांकि ये आंकड़ा लक्ष्य से काफी कम है.
बजट में ये घोषणा भी की गई कि वित्त वर्ष 2021-2022 में कम से कम आठ सरकारी कंपनियों की विनिवेश प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. इनमें भारत पेट्रोलियम, एयर इंडिया, आईडीबीआई बैंक, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड और पवन हंस कंपनियां प्रमुख हैं.
इन कंपनियों को ही सावर्जनिक उपक्रम या PSU कहते हैं और समय-समय पर सरकार इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाने का फैसला लेती है. इस प्रक्रिया को ही डिस्इंवेस्टमेंट कहा जाता है. लेकिन बहुत से लोग आज ये कह रहे हैं कि सरकार ऐसा करके देश की आर्थिक डोर मुट्ठीभर लोगों के हाथों में दे रही है, जबकि ऐसा नहीं है. सरकार ने सिर्फ अपनी हिस्सेदारी घटाने का फैसला लिया है. इसका मकसद है सरकार की आय और खर्च के बीच के अंतर को कम करना. इस अंतर को Fiscal Deficit यानी राजकोषीय घाटा कहा जाता है. हालांकि Fiscal Deficit में घरेलू और विदेश लोन शामिल नहीं होते.