DNA ANALYSIS: सोशल डिस्टेंसिंग का 'वचन' तोड़ने वाली VVIP शादी
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DNA ANALYSIS: सोशल डिस्टेंसिंग का 'वचन' तोड़ने वाली VVIP शादी

कुमार स्वामी परिवार की तरफ से दावा ये किया जा रहा है कि इस समारोह में सिर्फ 50 से 60 लोग शामिल थे लेकिन जब हमने इन दावों की पड़ताल की तो शादी में शामिल कुछ लोगों ने ही हमें बताया कि इस समारोह में करीब 200 से 250 लोग मौजूद थे. 

DNA ANALYSIS: सोशल डिस्टेंसिंग का 'वचन' तोड़ने वाली VVIP शादी

अब हम उस VIP विवाह का विश्लेषण करेंगे जिसके दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के सारे वचन तोड़ दिए गए. इस विवाह में कर्नाटक के पूर्व मुख्य मंत्री और देश के पूर्व प्रधानमंत्री जैसे VIP शामिल थे. कोरोना वायरस के दौर में कैसे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है. इसका उदाहरण पेश करने की पहली जिम्मेदारी देश के ऐसे ही Vips पर है, लेकिन ऐसा लगता है कि सारे नियम-कायदे सिर्फ आम आदमी पर लागू होते हैं और इन VIP लोगों के लिए कोई नियम और कानून मायने नहीं रखता.

आप सब जानते हैं कि भारत अलग-अलग जातियों और धर्मों में बंटा हुआ देश है और अक्सर हमारी राजनीति भी धर्म और जाति के नाम पर ही चलती है लेकिन हमारे देश में जो सबसे ऊंची जाति और सबसे ऊंचा धर्म है, उसका नाम है VIP. अगर आप इस VIP जाति में पैदा हुए हैं तो आप पर भारत का कोई कानून लागू नहीं होता . आप कुछ भी कर सकते हैं . ना तो आपको लॉकडाउन मानने की जरूरत है और ना ही Curfew आपको रोक सकता है और तो और इस दौरान पुलिस भी आपकी सेवक बन जाती है.

ये शादी कर्नाटक के पूर्व मुख्य मंत्री HD कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी की थी, जो खुद एक फिल्म अभिनेता हैं . HD कुमार स्वामी के पिता और निखिल के दादा एचडी देवेगौड़ा भी इस समारोह में शामिल हुए. एचडी देवेगौड़ा भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. यानी ये सब लोग VIP हैं .इन्हें देश के बड़े लोगों में शुमार किया जाता है और ये सब अच्छे तरीके से जानते थे कि महामारी के इस दौर में सैकड़ों मेहमानों के बीच शादी करना ना तो कानूनी रूप से ठीक है और ना ही नैतिक रूप से इसे सही ठहराया जा सकता है. लेकिन इनमें से किसी ने भी इसकी परवाह नहीं की. 

कुमार स्वामी परिवार की तरफ से दावा ये किया जा रहा है कि इस समारोह में सिर्फ 50 से 60 लोग शामिल थे लेकिन जब हमने इन दावों की पड़ताल की तो शादी में शामिल कुछ लोगों ने ही हमें बताया कि इस समारोह में करीब 200 से 250 लोग मौजूद थे. सवाल ये है कि जब इतने लोग इस शादी में पहुंच रहे थे तब स्थानीय प्रशासन और कर्नाटक की सरकार क्या कर रही थी, जिन लोगों ने नियम तोड़ा वो तो दोषी हैं ही लेकिन जिन्होंने नियमों का पालन नहीं करवाया उनकी भी जवाबदेही तय होनी चाहिए.

तस्वीरों में जो लोग दिखाई दे रहे हैं वो एक दूसरे के आसपास खड़े हैं. ना तो कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा है और ना ही किसी ने फेस मास्क पहना हुआ है. इस विवाह समारोह के दौरान ड्रोन कैमरे से शूट की गई एक तस्वीर का जब हमने विश्लेषण किया तो हमें इसमें करीब 10 कैमरा मैन नज़र आए . ये कैमरा मैन किसी मीडिया संस्थान से नहीं थे बल्कि ये लोग इस शादी की वीडियो ग्राफी करने पहुंचे थे. इतना ही नहीं, सूत्रों के मुताबिक इस समारोह में कुमार स्वामी परिवार के अलावा और भी कई VIPs शामिल थे.

कुमार स्वामी का बचाव करने वाले लोग तर्क दे रहे हैं कि ये शादी बैंगलुरू में आयोजित होनी थी, जिसमें 10 लाख लोगों को बुलाया जाना था . लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से इसमें सिर्फ परिवार के लोग शामिल हुए और शादी का आयोजन भी बैंगलुरू की जगह रामनगर में कराया गया, क्योंकि रामगर एक ग्रीन ज़ोन है . यानी इस शहर में कोरोना वायरस का कोई भी मामला सामने नहीं आया है . लेकिन ये लोग ये भूल गए कि बैंगलुरु और दूसरे शहरों से इस शादी में पहुंचे इतने सारे लोग ग्रीन जोन में शामिल इस शहर के लिए भी खतरा बन सकते थे .

जिन गाड़ियों की तस्वीरें आप इस समय देख रहे हैं, इन्हीं गाड़ियों में मेहमानों को भरकर विवाह स्थल पर पहुंचाया गया था. आप गौर से देखेंगे तो समझ जाएंगे कि कैसे एक-एक गाड़ी में कई लोग बैठे हुए हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा और बहुत कम लोगों के चेहरे पर मास्क है. बताया जा रहा है कि इसमें करीब 42 गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया था . इसलिए अब सवाल ये है कि जब ये गाड़ियां समारोह स्थल पर जा रही थीं. इन्हें तभी क्यों नहीं रोका गया. 

HD कुमारस्वामी की जगह अगर किसी आम आदमी ने लॉकडाउन के नियमों का इस तरह उल्लंघन किया होता तो उसके खिलाफ FIR हो जाती और शायद उसे जेल भी भेज दिया जाता. गुजरात के नवसारी में ऐसा हुआ भी है. यहां एक विवाह समारोह आयोजित करने की इजाजत तो प्रशासन ने दे दी लेकिन शर्त ये थी कि इसमें 4 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकते लेकिन कार्यक्रम में 14 लोग शामिल हो गए और अब इनके खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है . इसके बाद दूल्हा और दुल्हन को मंडप से सीधे पुलिस स्टेशन जाना पड़ा.

अब इन सभी लोगों पर अब Epidemic Disease act-3, IPC की धारा 269 और 188 के तहत FIR दर्ज की गई है . इन धाराओं के तहत महामारी के दौरान नियम तोड़ने वालों और दूसरों की जान को संकट में डालने वालों को 6 महीने की सज़ा, जुर्माना या फिर दोनों को सकते हैं. विडंबना ये है कि कर्नाटक के रामनगर की तरह गुजरात का नवसारी भी एक ग्रीन जोन है. यानी यहां कोरोना वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है..लेकिन इस बात पर इन लोगों को पुलिस ने कोई रियायत नहीं दी. इसलिए हम कह रहे हैं कि कुमार स्वामी के बेटे की शादी में शामिल हुए तमाम लोगों के खिलाफ भी इन्हीं धाराओं में मामला दर्ज किया जाना चाहिए.

इसके विपरित आपको गुजरात के सूरत में आयोजित एक और विवाह समारोह की तस्वीरें भी देखनी चाहिए. इस विवाह समारोह के दौरान ना सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया बल्कि इसमें बहुत कम संख्या में लोग शामिल हुए और दूल्हा दुल्हन समेत सभी लोगों ने चेहरे पर मास्क लगा रखा था .

ऐसी ही तस्वीरें मध्य प्रदेश के होशंगाबाद से भी आई हैं, इस विवाह कार्यक्रम में भी बहुत कम संख्या में लोग शामिल थे, पूरी तरह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया और सबने चेहरे पर मास्क लगाकर अपनी और दूसरों के स्वास्थ्य की रक्षा भी की. ये देश के आम आदमी का संयम और संकल्प है जो नियमों की परवाह करना भी जानता है और अपने साथ-साथ दूसरे लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना भी. जबकि नियमों का उल्लंघन करने वाले कुमार स्वामी परिवार और उनकी पार्टी के नेताओं की तरह से अजीबो गरीब दलीलें दी जा रही हैं .

कुमार स्वामी के करीबियों का कहना है कि उनके बेटे की शादी आज से 6 महीने पहले ही तय हो गई थी और ये मूहर्त ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति देखकर तय किया गया था, इसलिए इस शादी को टालना सही नहीं था और इस शादी में सिर्फ 60 लोग मौजूद थे . इस मामले पर JDS के प्रवक्ता ने जो तर्क दिया, वो भी आपको सुनना चाहिए .

भारत में आज भी ज्यादातर शादियां दो लोगों की कुंडली और ग्रह-नक्षत्रों को देखकर तय होती है लेकिन कोई देश की स्थिति को नहीं देखना चाहता. शायद इस शादी की तारीख तय करने वाले पंडित भी ये समझने में नाकाम रहे होंगे कि इस दौरान देश पर कितनी बड़ी विपदा आने वाली है. अगर सिर्फ ग्रहों की स्थिति देखकर अच्छे और बुरे समय का पता लगाया जा सकता है तो फिर ये शादी तय करने वाले पंडित को कोरोना वायरस की भविष्यवाणी भी कर देनी चाहिए थी.

कुमार स्वामी ना सिर्फ जेडीएस के अध्यक्ष रह चुके हैं बल्कि वो करीब 8 महीने पहले तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी थे. उनके पिता HD देव गौड़ा 1996 से 1997 तक देश के प्रधानमंत्री थे . यानी ये कोई छोटा मोटा परिवार नहीं है. ये परिवार राज्य और देश दोनों चला चुका हैं . लेकिन जब बात अपने परिवार की आई तो इन नेताओं ने नियम कायदों की धज्जियां उड़ा दी.

इस समय सभी राज्यों की सरकारें अपील कर रही हैं कि लोग जरूरी ना हो तो शादी जैसे कार्यक्रमों को टाल दें, बहुत जरूरी हो तो कम से कम लोगों के बीच ऐसे समारोह आयोजित किए जाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का हर कीमत पर पालन हो लेकिन ये सारे नियम सिर्फ देश के आम आदमी को मानने हैं क्योंकि VIPs पर शायद किसी का बस नहीं चलता.

हमारे देश में वैसे भी लोगों को अपने रौब और हैसियत का दिखावा करने की आदत है और ये लोग अक्सर नियम और कानूनों को ठेंगे पर रखते हैं. जब इन्हें इनकी गलती का एहसास दिलाया जाता है तो ये कहते हैं कि तुम जानते नहीं मै कौन हूं. लेकिन ये लोग शायद ये नहीं जानते कि कोरोना वायरस पर ये रौब काम नहीं करता. कोरोना वायरस को आप ये कहकर नहीं टाल सकते कि आपकी पहचान बड़े-बड़े लोगों से है और आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

आम तौर पर हिंदू रीति रिवाज़ से होने वाली शादी में पति पत्नी सात फेरे लेते हैं और इस दौरान 7 वचन निभाने का वादा भी करते हैं लेकिन अब समय आ गया है जब इसमें एक आठवां वचन भी जोड़ा जाना चाहिए, इस वचन के तहत लोगों को ये प्रण लेना होगा कि वो सोशल डिस्टेंसिंगके नियमों का पालन करेंगे. नियम और कानूनों का उल्लंघन नहीं करेंगे. आगे चलकर जब उनके परिवार में किसी और का विवाह होगा तो उसे भी ऐसा ही करने की सलाह देंगे और शादी-विवाह जैसे समारोह को दिखावे का अवसर बनाने की बजाय कम से कम लोगों के बीच इसे संपन्न कराकर. देश और समाज के हित में काम करेंगे.

आज हमने कोरोना काल में VIP शादी और आम आदमी की शादी का एक तुलानात्मक विश्लेषण किया है. ये विश्लेषण देखकर आप समझ जाएंगे कि कैसे आम आदमी तो वचनों का पालन करना जानता है लेकिन देश के बड़े बड़े लोगों को ये वचन निभाने नहीं आते.

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