DNA ANALYSIS: इन देशों में Lockdown में दी जा रही रियायत, चीन में फिर लौटा कोरोना
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DNA ANALYSIS: इन देशों में Lockdown में दी जा रही रियायत, चीन में फिर लौटा कोरोना

2020 की सच्चाइयों को तो नहीं बदला जा सकता लेकिन हम अपना जीवन जीने का तरीका जरूर बदल सकते हैं. इसलिए कई लोग कह रहे हैं कि ये वर्ष पैसे बचाने और कमाने का नहीं बल्कि अपने परिवार और जीवन को बचाने का साल है. 

 

DNA ANALYSIS: इन देशों में Lockdown में दी जा रही रियायत, चीन में फिर लौटा कोरोना

नई दिल्ली: वर्ष 2020 की शुरुआत के साथ ही दुनियाभर के लोगों ने तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं. बहुत सारे लोग तो मजाक में यहां तक कह रहे हैं कि क्या 2020 को अनइंस्टाल करके करके फिर से रीइंस्टाल किया जा सकता है? क्योंकि इस वर्ष जीवन सिर्फ गलतियों का नाम बनकर रह गया है. 

2020 की सच्चाइयों को तो नहीं बदला जा सकता लेकिन हम अपना जीवन जीने का तरीका जरूर बदल सकते हैं. इसलिए कई लोग कह रहे हैं कि ये वर्ष पैसे बचाने और कमाने का नहीं बल्कि अपने परिवार और जीवन को बचाने का साल है. 

दुनिया के कई देशों के साथ साथ भारत भी अब लॉकडाउन एग्जिट क्लब में शामिल हो गया है. लेकिन बड़ी जनसंख्या की वजह से भारत के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी. इसे आप दुनिया के अलग अलग देशों के उदाहरण से समझिए. 

ब्रिटेन में लॉकडाउन में काफी रियायतें दे दी गई हैं. लोगों को घर से बाहर निकलकर व्यायाम करने और पार्कों में जाने की इजाजत मिल गई है. 

मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर से जुड़े लोगों को दफ्तर आने के लिए कहा जा रहा है. लेकिन सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है, लोगों को अपनी प्राइवेट गाड़ियों, पैदल या फिर साइकिलों से ऑफिस आना होगा. 

दूसरे फेज में 1 जून से ब्रिटेन में स्कूलों को भी खोलने की योजना बनाई गई है. ये सब तब हो रहा है कि जब कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के मामले में ब्रिटेन अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है.

लेकिन ब्रिटेन के पड़ोसी देश आयरलैंड में स्कूल्स सितंबर तक बंद रहेंगे और शादी विवाह जैसे समारोह की इजाजत भी जुलाई के बाद ही दी जाएगी. 

जर्मनी में एक मशहूर फुटबॉल लीग को शुरू करने की इजाजत दे दी गई है लेकिन ये टूर्नामेंट बिना दर्शकों के खेला जाएगा. 

जर्मनी के 16 राज्यों को धीरे-धीरे लॉकडाउन हटाने के लिए कहा गया है. लेकिन इस शर्त के साथ कि संक्रमण के मामले बढ़ने की स्थिति में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल इन रियायतों पर इमरजेंसी ब्रेक लगा सकती हैं. 

फ्रांस में छोटी दूरी की यात्राओं की इजाजत दे दी गई है. अब फ्रांस में छोटी दूरी की इन यात्राओं के लिए ट्रैवल परमिट की जरूरत नहीं होगी. फ्रांस को भी भारत की तरह अलग अलग जोन्स में बांटा गया है और जो इलाके ग्रीन जोन में शामिल हैं, वहां प्राइमरी स्कूलों को खोलने की इजाजत दे दी गई है. लेकिन इनमें से सिर्फ 11 से 15 साल तक के बच्चे जा सकते हैं. 15 से 18 साल के बच्चों को जून से पहले स्कूल जाने की इजाजत नहीं मिलेगी. स्कूलों के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त ये है कि एक क्लास रूम में 15 से ज्यादा बच्चे नहीं हो सकते. 

बेल्जियम में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की दर पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है. लेकिन वहां भी 18 मई से स्कूलों को खोलने की इजाजत दे दी गई है. शर्त ये है कि एक क्लास रूम में 10 से ज्यादा बच्चे नहीं होंगे. 

बेल्जियम में 8 जून से कैफेस और रेस्टोरेंट खुल जाएंगे और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने वाले 12 साल से ज्यादा उम्र के हर व्यक्ति को अनिवार्य रूप से मास्क पहनना होगा. 

देखें DNA-

संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में स्पेन दूसरे नंबर पर है. लेकिन 10 जून से स्पेन में भी बार और रेस्टोरेंट खुलने लगेंगे. इसके लिए शर्त ये होगी कि इन रेस्टोरेंट में क्षमता से 50 प्रतिशत कम लोग ही आ पाएंगे. 

स्पेन में सितंबर से पहले स्कूल नहीं खोले जाएंगे और 26 मई से सिनेमा हॉल्स में भी सीटों के मुकाबले सिर्फ 30 प्रतिशत लोगों को ही प्रवेश दिया जाएगा. 

इटली इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है. लेकिन अब वहां भी लॉकडाउन में रियायतें दी जा रही हैं. लोगों को घरों से बाहर एक्सरसाइज करने की इजाजत दे दी गई है. इटली में भी सैलून्स और रेस्टोरेंट्स खोले जा रहे हैं और लोगों को कम संख्या में रिश्तेदारों के यहां जाने की इजाजत भी दे दी गई है. 

पूरी दुनिया में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले अमेरिका में सामने आए हैं. लेकिन अब वहां के भी 30 राज्य धीरे धीरे लॉकडाउन में ढील दे रहे हैं. हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा होने पर अमेरिका में 1 जून तक हर रोज 3 हजार लोगों के मरने की आशंका है. 

चीन, हॉन्गकॉन्ग, ताईवान और साउथ कोरिया जैसे देश भी या तो प्रतिबंधों को पूरी तरह हटा चुके हैं या फिर धीरे धीरे ये प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं. 

दुनिया के अधिकतर देशों की यही दुविधा है कि लॉकडाउन से बाहर निकला जाए या नहीं. कई देशों में जहां लॉकडाउन हटाया गया, या फिर कई रियायतें दी गईं, तो वहां पर सेकंड वेव का खतरा दिख रहा है. सेकंड वेव का मतलब होता है कि अचानक से संक्रमण के मामले तब बढ़ने लगें, जब सबको ये लगने लगता है कि संक्रमण कंट्रोल में आ गया है. हम आपको कुछ देशों का उदाहरण बताते हैं. 

चीन के जिस वुहान शहर से कोरोना वायरस फैला था, वहां पर लॉकडाउन हटने के बाद पहला नया केस आया है. वुहान में 76 दिन का लॉकडाउन था, जिसे 8 अप्रैल को हटाया गया था. पांच हफ्ते से वुहान में संक्रमण का कोई नया मामला नहीं आ रहा था, लेकिन अब वुहान के नए केस ने चीन की चिंता बढ़ा दी है.

चीन में संक्रमण के मामले कम होने के बाद घरेलू हवाई सेवा, रेल सेवा शुरू हो गई थी. वहां पर एक महीने से स्कूल, ऑफिस और फैक्टरीज भी धीरे-धीरे खुल रहे थे. लेकिन पिछले 14 दिनों में चीन के 7 राज्यों में संक्रमण के नए मामले आए हैं और नए हॉटस्पॉट्स बन रहे हैं. चीन में उत्तर कोरिया के सीमा से जुड़े शुलन शहर में 14 से ज्यादा नए मामले आने के बाद वहां पर मार्शल लॉ लगाना पड़ा. 

इसी तरह से दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में सभी नाइटक्लब्स, डिस्कोज और बार को फिर से बंद करने का आदेश देना पड़ा. ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि वहां पर 29 वर्ष का एक ऐसा व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव मिला, जो सिओल के तीन नाइटक्लब्स में गया था, इससे बड़े संक्रमण का खतरा बन गया.

जब से दक्षिण कोरिया में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में रियायत दी गई है, तब से अचानक वहां पर मामले बढ़ गए हैं. वहां पिछले कुछ दिनों में औसतन 30 से ज्यादा नए मामले आ रहे हैं. जबकि पिछले करीब एक महीने से औसतन 8 से 10 नए मामले ही आ रहे थे. इसी वजह से दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने भी कहा है कि उनका देश वायरस संक्रमण की इस सेकंड वेव के लिए तैयार रहे. 

हम आपको ईरान के बारे में भी बताते हैं, वहां भी लॉकडाउन के नियमों में धीरे धीरे रियायत दी जा रही है. क्योंकि उनके सामने दोहरी मुसीबत है. एक तरफ उनकी अर्थव्यवस्था ठप पड़ गई है और दूसरी तरफ अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंध हैं. इसलिए लॉकडाउन से बाहर निकलना ईरान की मजबूरी है. लेकिन इसकी वजह से ईरान के कई प्रांतों में कोरोना वायरस के नए मामले आ रहे हैं. ईरान के एक प्रांत में फिर से लॉकडाउन करने का फैसला किया गया. उस प्रांत के गवर्नर का कहना है कि लॉकडाउन हटने के बाद लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं कर रहे, जिससे कोरोना मरीजों की संख्या तीन गुना हो गई है. 

यूरोप में जर्मनी ऐसा बड़ा देश है, जिसने कोरोना संकट का अब तक सबसे बेहतर तरीके से सामना किया है, अब तक जर्मनी ने अपनी हालत इटली, इंग्लैंड, फ्रांस, स्पेन जैसे देशों की तरह नहीं होने दी, लेकिन अब वहां भी सेकंड वेव का खतरा दिख रहा है. जर्मनी में छोटी दुकानें, खेल के मैदान, म्यूजियम और चर्च पहले ही खुल चुके हैं. वहां पर अब बड़ी दुकानें, स्कूल, होटल्स और रेस्टोरेंट्स को खोलने की भी तैयारी है. लेकिन 20 अप्रैल को लॉकडाउन में रियायतें देने के बाद अब कई जगहों पर अचानक संक्रमण के मामले बढ़े हैं और नए हॉटस्पॉट्स बने हैं. इसलिए जर्मनी के कुछ जिलों में फिर से संपूर्ण लॉकडाउन का फैसला किया गया है.

सेकंड वेव का खतरा कितना कम होगा या कितना ज्यादा होगा. ये बात हमारे आपके सामाजिक व्यवहार पर भी निर्भर करता है, कि हम सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं. हमें इस बदली हुई दुनिया की नई सच्चाई के साथ अपनी आदतें भी बदलनी होंगी. क्योंकि कुछ लोगों की लापरवाही से हमारी पूरी मेहनत बेकार हो जाएगी. 

 

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