नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया में तस्मानिया के एक आईलैंड पर 300 से ज्यादा व्हेल मछलियों की मौत हो गई है. ये समुद्र में फंस गई थीं. ऑस्ट्रेलिया के इस आईलैंड पर मछलियों के फंसे होने की सूचना सबसे पहले 20 सितंबर को लगी थी. तब से इन्हें वहां से निकालने का काम चल रहा है. लेकिन इन तक पहुंचने का काम केवल बोट्स के जरिए हो सकता है. जिससे इसमें देरी हो रही है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मछलियां समंदर में फंस कैसे गईं?
आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि ये मछलियां समंदर में फंस कैसे गईं. ये व्हेल पायलट व्हेल्स हैं. पायलट व्हेल्स 20 से 23 फीट लंबी होती हैं और इनका वजन 3 टन तक हो सकता है. दरअसल, व्हेल एक परिवार की तरह रहती हैं. पायलट व्हेल्स के समूह में एक लीडर व्हेल होती है, जिसे बाकी सब फॉलो करती हैं. लेकिन इनके फंसने का ये सिर्फ एक ही कारण है. बड़ी वजह है इनका आपस में जुड़ाव. कोई व्हेल अगर भटक जाए तो भी उसके समूह की बाकी मछलियां उसका साथ नहीं छोड़तीं. उनका सफर साथ ही चलता रहता है. अगर इनके समूह में कोई मछली घायल हो जाए तो उसके आस पास कई व्हेल जमा हो जाती हैं. ये एक तरह का पारिवारिक रिश्ता है जो इनमें देखा जाता है.


ऐसा कहा जाता है कि व्हेल अपने किसी साथी की मौत का या उससे अलग होने का दुख इंसानों की तरह ही मनाती हैं. वो इंसानों की तरह ही दुखी होती हैं और उसके साथ काफी देर तक रहती है. लेकिन इन तस्वीरों को देखकर लगता है कि ये साथ और ये बंधन इंसानी रिश्तों से भी ऊपर है. इंसान जैसे जैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है वो अपनों से दूर होता जाता है. इंसान की प्रजाति में मुश्किल में अपनों का साथ देने की भावना भी घटती जा रही है. लेकिन मछलियों की प्रजाति ने ये गुण नहीं छोड़ा है.


कई बार लो टाइड की वजह से भी मछलियां समंदर के तट पर फंस जाती हैं. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के इस द्वीप पर ये घटना समंदर के बीचोंबीच हुई है. इसलिए बहुत मुमकिन है कि ये एक दूसरे का साथ न छोड़ने की वजह से हुआ हो.


470 व्हेल्स की जिंदगी बचाने की कोशिश
ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया के Macquarie Harbour में 20 सितंबर से चल रहा बचाव अभियान अपने आप में अनोखा है. 470 व्हेल्स की जिंदगी बचाने की कोशिश पिछले 5 दिन से लगातार जारी है. हालांकि अब तक 50 व्हेल्स को ही वापस समंदर में सही सलामत छोड़ा जा सका है.


ये बचाव अभियान अभी भी चल रहा है. 300 से ज्यादा व्हेल मर चुकी हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे एक्सपर्ट्स को लगता है कि वो 100 से भी कम व्हेल्स को ही बचा पाएंगे.


समंदर के रेतीले हिस्से में फंसी इन व्हेलस को यहां से निकालने के लिए बोट्स के साथ स्लिंग यानी रस्सियां लगाई गई हैं. इन्हें खींचकर संमंदर के गहरे हिस्से में लाया जा रहा है. Pilot Whales Ocean Dolphins की एक प्रजाति होती हैं. इनके इस तरह फंसने की घटनाएं क्यों होती हैं. इसकी कई वजहें बताई जाती हैं. 


-समूह में चलने वाली व्हेल्स अपने लीडर के पीछे तैरते तैरते भटक जाती हैं.


-दुश्मन पनडुब्बियों को ढूंढने के लिए कई बार समंदर में सोनार सिस्टम लगाए जाते हैं. इनकी ध्वनि 230 डेसीबल तक हो सकती है. ये आवाज समुद्री जीवों को भटका देती है.



-एक आशंका ये भी जताई जाती है कि पायलट व्हेल्स अपनी इच्छा से ही ऐसे रेतीले इलाके में आकर एक साथ जान दे देती हैं.


-इससे पहले 2017 में न्यूजीलैंड में 600 के करीब व्हेल मछलियां समंदर के तट पर रेत में फंस गई थीं. इनमें से ज्यादातर की मौत हो गई थी.


-आस्ट्रेलिया के तस्मानिया के इसी आइलैंड में इससे पहले 2009 में भी 200 पायलट व्हेल्स फंस गई थीं उसके बाद इतनी बड़ी संख्या में व्हेल्स के घटने की ये घटना दूसरी बार हुई है. जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं, व्हेल्स को बचाने की संभावनाएं कम होती जा रही हैं.


पशु-पक्षियों में भावनाएं
माना जाता है कि पशु-पक्षियों में इमोशंस नहीं होते, संवेदनाएं नहीं होतीं. लेकिन क्या सच में ऐसा है इसे समझने के लिए कई रिसर्च हुई हैं. ऐसी ही एक रिसर्च 2016 में जर्नल ऑफ मैमोलॉजी में प्रकाशित हुई थी.


इस रिसर्च में पाया गया कि व्हेल्स की 7 ऐसी प्रजातियां हैं जो अपने साथी की मौत के बाद कई दिनों तक उसके शव के साथ रहती हैं. ऐसा माना गया कि वो शोक में ऐसा करती हैं. दुख में ऐसा करती हैं.


वैज्ञानिकों के मुताबिक जिराफ, चिंपैंजी और हाथियों में भी ये प्रवृत्ति देखी गई है. किसी हाथी की मृत्यु होने के बाद झुंड के बाकी साथी उसके शव के पास बार बार लौट कर आते हैं.


हम अक्सर देखते हैं कि लोग अपने माता पिता को बुढ़ापे में अकेला छोड़ देते हैं. इंसान सफल होता जाता है तो अपने परिवार से दूर होता जाता है. किसी की मौत पर शोक जताने की रस्म अदायगी अब RIP यानी Rest In Peace का मैसेज टाइप करके पूरी कर दी जाती है. दुख हो या खुशी, सब इमोजी में सिमट गए हैं वर्चुअल हो गए हैं.


ये भी देखें-