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DNA: पश्चिम बंगाल में SIR लागू होने से ममता को क्यों लग रहा है डर? क्या वे सड़कों पर लोगों को उतारना चाहती हैं

DNA on Mamata Banerjee Opposing SIR: चुनाव आयोग ने बिहार के बाद पूरे देश में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण करने का ऐलान किया है. इस घोषणा से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भड़की हुई हैं. आखिर उन्हें डर किस बात का है.

 

DNA: पश्चिम बंगाल में SIR लागू होने से ममता को क्यों लग रहा है डर? क्या वे सड़कों पर लोगों को उतारना चाहती हैं

Why Mamata Banerjee Opposing SIR in West Bengal: भारत की संघीय व्यवस्था में लॉ एंड ऑर्डर का ज़िम्मा राज्य सरकार के पास होता है. राज्य में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक रहे, ये सुनिश्चित करने का काम राज्य सरकार का है. लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ख़ुद इशारों ही इशारों में धमकी दे रही हैं. कह रही हैं कि चुनाव आयोग ने अगर बंगाल में SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न की प्रक्रिया शुरू की तो लोग भड़क जाएंगे. बीजेपी के मुताबिक, ममता के इस बयान से दंगा फैल सकता है. ममता ने आखिर ऐसा क्या बयान दिया है. 
 
क्या स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न संविधान से बाहर की प्रक्रिया है जिसका ममता बनर्जी विरोध कर रही हैं. क्या बंगाल में देश का संविधान लागू नहीं होता है. वोटर लिस्ट की समीक्षा से ममता को क्या परेशानी है. आख़िर ममता लोगों की ताक़त का हवाला क्यों दे रही हैं. क्या वो सड़कों पर लोगों को उतारना चाहती हैं.

वोटर लिस्ट की समीक्षा से क्यों डरी हुई हैं ममता?

सवाल ये भी है कि ममता वोटर लिस्ट की समीक्षा से क्यों डरी हुई हैं. वोटर लिस्ट से बिना कारण किसी का नाम कटने की आशंका बहुत कम होती है. अगर किसी वैध मतदाता का नाम कट जाए तो वो अदालत तक पहुंच सकता है. ऐसे में ममता बनर्जी को किसका नाम कटने का डर सता रहा है. क्या उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठियों का नाम कटने का डर है क्योंकि BJP का आरोप है कि राज्य में 1 करोड़ घुसपैठियों का नाम वोटर लिस्ट में है.

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जिस राज्य की मुख्यमंत्री अशांति की धमकी दे, उस राज्य में क़ानून-व्यवस्था का भगवान ही मालिक है. BJP का तो ये भी आरोप है कि वो दंगे की धमकी दे रही हैं. बंगाल की राजनीति का रक्तरंजित चरित्र रहा है. ममता ने ख़ुद कई बार हिंसा का सामना किया है. उन पर कई बार हमले हुए. कई बार ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ साज़िश करने के आरोप लगे हैं.

खुद भी झेल चुकी हैं हिंसा

1990 में ममता बनर्जी पर लाठी-डंडों से हमला किया गया था, उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी. कई दिनों तक वो अस्पताल में भर्ती रहीं. 1993 में भी वोटर आईडी कार्ड की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया. जिसके बाद वो कई हफ़्तों तक अस्पताल में भर्ती रहीं.

यहां तक कि 2021 में भी नंदीग्राम में नामांकन दाखिल करने के बाद उनके पैर में चोट लगी थी तो साज़िश के आरोप लगाए गए थे. तब उन्होंने व्हील चेयर पर बैठकर ही चुना प्रचार किया था और जीत हासिल की थी. अगर ये कहें कि हिंसा सह कर, पीड़ित बनकर ममता बनर्जी ने राजनीति की सीढ़ियां चढ़ी हैं तो ग़लत नहीं होगा. लेकिन अब वही ममता बनर्जी इशारों में हिंसा भड़काने की बात कर रही हैं.

बीजेपी नेताओं पर हमला तो मौन क्यों?

शायद ममता की इसी तरह की शह का नतीजा है कि 4 दिन पहले जलपाईगुड़ी में BJP के सांसद खगेन मुर्मू और विधायक शंकर घोष पर जानलेवा हमला किया गया. प्राकृतिक आपदा का बहाना बनाकर उन्हें बुरी तरह से पीटा गया. लेकिन अपनी चोट को बार-बार मुद्दा बनाने वाली ममता ने सांसद खगेन मुर्मू की चोट को साधारण बताकर आरोपों से अपना पीछा छुड़ा लिया.

अब वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन का ज़िक्र भी जरूरी है. बिहार के बाद चुनाव आयोग ने पूरे देश में वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन की बात कही है. समय-समय पर वोटर लिस्ट की समीक्षा चुनाव आयोग का काम है और इसे किया जाता रहा है. ये काम सिर्फ़ बंगाल में नहीं होगा बल्कि पूरे देश में होगा.

बिहार में कट गए फर्जी 47 लाख नाम

बिहार में भी वोटर लिस्ट की समीक्षा का विरोध किया गया था लेकिन इसके बावजूद चुनाव आयोग ने इसे पूरा किया और अब उसी वोटर लिस्ट के आधार पर बिहार में चुनाव होने जा रहे हैं. वहां लगभग 47 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए हैं. आप सोचिए, अगर 47 लाख लोगों का नाम ग़लत तरीक़े से वोटर लिस्ट में था तो क्या उसे हटाना नहीं चाहिए था.

बंगाल में तो वोटर लिस्ट में और भी ज़्यादा संख्या में ग़लत मतदाताओं के नाम होने के आरोप लगते रहे हैं क्योंकि बंगाल के कई ज़िले बांग्लादेश के बॉर्डर से सटे हैं. इसी वजह से 23 साल बाद बंगाल में SIR की प्रक्रिया को लागू करने की तैयारी चल रही है, लेकिन ममता बनर्जी को ये पसंद नहीं है. ममता बनर्जी SIR को पिछले दरवाज़े से NRC लागू करने का आरोप लगाकर लोगों को न सिर्फ़ डरा रही हैं, बल्कि उन्हें हिंसा के लिए भी उकसा रही हैं.

लोगों को फिर उकसाने की हो रही कोशिश

अभी तक केंद्र सरकार के बनाए क़ानून को लेकर लोगों में डर फैलाकर दंगे कराए जाते थे. जैसे 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर मुसलमानों में ये डर फैलाया गया कि उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी. इस नाम पर देश के कई राज्यों में हिंसा हुई. जबकि नागरिकता छीनने की बात केवल झूठ थी.

अभी हाल के महीनों में वक़्फ़ क़ानून को लेकर इसी तरह का डर फैलाया गया कि मुसलमानों की मस्जिद छिन जाएगी. इस डर के नाम पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में दंगे हुए जहां हिंदुओं के घरों और दुकानों को जलाया गया. 2 लोगों की हत्या की गई.

और अब ममता बनर्जी ख़ुद SIR के नाम पर भड़काने वाली बात कर रही हैं. ऐसे में ये डर होना स्वाभाविक है कि राज्य में कहीं एक और दंगा तो नहीं होगा.

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Devinder Kumar

अमर उजाला, नवभारत टाइम्स और जी न्यूज चैनल में काम कर चुके हैं. अब जी न्यूज नेशनल हिंदी वेबसाइट में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और जियो पॉलिटिकल मामलों पर गहरी पकड़ हैं....और पढ़ें

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