DNA ANALYSIS: हिजबुल के आतंकी सलाहुद्दीन की 'जानी दुश्मन' क्यों बनी ISI?
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DNA ANALYSIS: हिजबुल के आतंकी सलाहुद्दीन की 'जानी दुश्मन' क्यों बनी ISI?

पाकिस्तान में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, आपके मन में ये सवाल भी जरूर आया होगा कि क्या भारतीय सेना, हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे मोस्ट वांटेड आतंकवादियों को पाकिस्तान में घुसकर नहीं मार सकती.

DNA ANALYSIS: हिजबुल के आतंकी सलाहुद्दीन की 'जानी दुश्मन' क्यों बनी ISI?

नई दिल्ली: पाकिस्तान में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, आपके मन में ये सवाल भी जरूर आया होगा कि क्या भारतीय सेना, हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे मोस्ट वांटेड आतंकवादियों को पाकिस्तान में घुसकर नहीं मार सकती. आपको जानकर खुशी होगी कि भारतीय सेना का ये काम अब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने अपने हाथों में ले लिया है. 

खबर है कि आतंकवादियों के स्वर्ग कहे जाने वाले पाकिस्तान में, आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ और भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी, सैयद सलाहुद्दीन पर हमला हुआ है, इसमें उसके घायल होने की खबर है, लेकिन सलाहुद्दीन पर हुए इस हमले का शक ISI पर जताया जा रहा है. 

अब सवाल ये उठता है कि ISI ने आखिर अपने प्रिय आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन पर हमला क्यों करवाया. इसकी वजह के बारे में हम आगे विस्तार से आपको बताएंगे. पहले आतंकवादी सलाहुद्दीन पर हमले की डिटेल्स आपको बता देते हैं. 

सलाहुद्दीन पर ये हमला, 25 मई की रात में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुआ. जिसमें सलाहुद्दीन बुरी तरह घायल हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, अज्ञात हमलावरों ने सलाहुद्दीन की कार को बम से उड़ा दिया. बम धमाका इतना तेज था कि उसकी आवाज करीब पांच किलोमीटर दूर तक सुनी गई. बताया जा रहा है कि हमले के वक्त सलाहुद्दीन, ISI अधिकारियों के साथ मीटिंग के लिए जा रहा था. 

हमले के बाद पाकिस्तान के Geo News पर इसकी ब्रेकिंग न्यूज भी चली. लेकिन थोड़ी ही देर बाद, Geo News ने खबर हटा दी. ऐसा क्यों हुआ, इसे समझना मुश्किल नहीं है, क्योंकि सब जानते हैं कि पाकिस्तान का मीडिया भी पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के इशारों पर ही चलता है.

सलाहुद्दीन पर हमले की ये खबर न तो पाकिस्तान के किसी न्यूज चैनल पर चली और ना ही किसी बड़े अखबार में प्रकाशित हुई. लेकिन Zee News ने अपने सूत्रों के जरिए ये खबर पता कर ली. हालांकि, हमले के बाद से, न तो सलाहुद्दीन की लोकेशन के बारे में कोई जानकारी है और न ही ये पता है कि वो जिंदा है या मारा गया. लेकिन कहा जा रहा है कि ISI ने ही घायल सलाहुद्दीन को किसी गुप्त जगह पर रखा हुआ है और ISI के कहने पर ही पाकिस्तान की मीडिया ने इस खबर को दबा दिया है. 

लेकिन सवाल ये नहीं है कि सलाहुद्दीन मारा गया या नहीं. सवाल तो ये है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि हिजबुल मुजाहिदीन के जिस चीफ को ISI ने पाला-पोसा, वही उसकी जान की दुश्मन क्यों बन गई. आखिर ISI की आंखों का तारा, उसकी ही आंखों में इतना क्यों चुभने लगा.

इसका अंदाजा सलाहुद्दीन के कुछ ही दिन पुराने एक भाषण से लगता है, जिसमें वो, कश्मीर में मारे जाते अपने आतंकवादियों की मौत पर पाकिस्तान की सरकार को कोस रहा है और ये कबूल कर रहा है कि कश्मीर में भारतीय सेना, आतंकवादियों पर भारी पड़ रही है. पहले आप सलाहुद्दीन की बातें सुन लीजिए, फिर उसपर हुए हमले में ISI की भूमिका की जांच-पड़ताल करेंगे. 

सलाहुद्दीन का ये वीडियो 9 मई का बताया जा रहा है.  इस वीडियो में वो कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर रियाज नायकू की मौत का मातम मना रहा है. वीडियो में वो कह रहा है कि कश्मीर में इस वक्त भारतीय सेना का पलड़ा भारी है. यही बात ISI को अच्छी नहीं लगी. Zee News के सूत्रों ने इसकी पुष्टि भी की है. हमें मिली जानकारी के मुताबिक पिछले कई दिनों से ISI, सलाहुद्दीन से नाराज थी. इसी वजह से हिजबुल मुजाहिदीन को ISI का समर्थन भी नहीं मिल रहा था. यहां तक कि ISI ने हिजबुल के आतंकवादियों को ट्रेनिंग और हथियार उपलब्ध करवाना भी बंद कर दिया था. 

6 मई को जब कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकवादी कमांडर रियाज नायकू मारा गया, तो इससे दुखी सलाहुद्दीन ISI से बहुत नाराज हो गया. बताया जा रहा है कि अभी हाल में सलाहुद्दीन ने PoK में अपने आतंकवादियों से बातचीत करते हुए ISI की खुलकर आलोचना की थी. ISI और हिजबुल के रिश्तों में दरार इसलिए भी आ गई, कि इस वर्ष जनवरी से अब तक कश्मीर में भारतीय सेना ने हिजबुल के 80 आतंकवादियों को मार गिराया है. 

ISI को लग रहा है कि अब कोई नया संगठन खड़ा करना होगा. इसलिए वो कश्मीर में हिजबुल को रिप्लेस करने के लिए The Resistance Front यानी TRF जैसे नए आतंकी संगठनों को मजबूत कर रही है. इन्हीं बातों का सलाहुद्दीन विरोध कर रहा था. 

बताया ये भी जा रहा है कि ISI का मकसद सलाहुद्दीन को जान से मारना नहीं था बल्कि सिर्फ सबक सिखाना था और उससे जुड़े आतंकियों को ये मैसेज देना था कि या तो वो कश्मीर में आतंकवादी हमलें तेज करें, निर्दोष नागरिकों को मारें, या फिर खुद मरने के लिए तैयार रहें.

सलाहुद्दीन पर ISI द्वारा प्रायोजित हमले का सार ये निकलता है कि पाकिस्तान में आतंकवादी तभी तक पाले-पोसे जाते हैं, जबतक कि वो उसके काम के होते हैं और उसके बाद उन्हें रास्ते से हटा दिया जाता है. फिर चाहें वो हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठन का चीफ ही क्यों ना हो. हम उम्मीद करते हैं कि हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे मोस्ट वांटेड आतंकवादियों से भी ISI का ऐसे ही मोहभंग हो जाएगा और उनका हाल भी वही होगा, जो उनके दोस्त सलाहुद्दीन का हुआ है. वैसे आज भले ही सलाहुद्दीन, ISI की आंखों की किरकिरी बन गया हो, लेकिन वो लंबे वक्त तक उसकी आंखों का तारा रहा है. 

सलाहुद्दीन का असली नाम मोहम्मद युसुफ शाह है. जिसका जन्म वर्ष 1946 में कश्मीर घाटी के बड़गाम में हुआ था. वर्ष 1987 में सलाहुद्दीन ने श्रीनगर में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था. हालांकि वो चुनाव हार गया था. इसके बाद सलाहुद्दीन को हिंसक विरोध प्रदर्शन करने की वजह से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था. वर्ष 1989 में जेल से रिहा होने के बाद वो हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया. तब हिजबुल का संस्थापक और चीफ, अहसान डार उर्फ मास्टर था. जो बाद में हिजबुल से अलग हो गया और हिजबुल की कमान सलाहुद्दीन के हाथों में आ गई.   

वर्ष 2012 में अपने एक इंटरव्यू के दौरान सलाहुद्दीन ने घोषणा की थी कि अगर पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर के जेहादियों का समर्थन करना बंद कर देता है तो वो पाकिस्तान पर हमला कर देगा. उसका दावा था कि जेहादी, कश्मीर में पाकिस्तान की लड़ाई लड़ रहे हैं. सलाहुद्दीन की ये बात पाकिस्तान को इतनी अच्छी लगी थी कि ISI ने उसके रहने का इंतजाम इस्लामाबाद में करवा दिया था. 

जिसके बाद से ही सलाहुद्दीन भारत में हुए कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है. जनवरी 2016 में पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में भी उसके ही आतंकवादी संगठन का हाथ था. हाफिज सईद और मसूद अजहर की तरह ही सलाहुद्दीन भी भारत में मोस्ट वांटेड आतंकवादी है. जून 2017 में अमेरिका ने भी उसे Global Terrorist घोषित कर दिया था. 

इसके बावजूद सलाहुद्दीन, पाकिस्तान में चैन की जिंदगी बिता रहा था. लेकिन अब उसकी नींद जरूर उड़ गई होगी और उसे इस कहावत का मतलब समझ में आ रहा होगा कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से होय. 

वैसे हमें इंतजार रहेगा कि जैसे सलाहुद्दीन पर हमले की खबर आई है, वैसे ही जल्द हाफिज सईद और मसूद अजहर की मौत की खबर भी आए. 

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