आज हम आपको पानी की कहानी के बारे में बताना चाहते हैं. कल 22 मार्च को World Water Day मनाया गया.
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नई दिल्ली: आज हम आपको पानी की कहानी के बारे में बताना चाहते हैं. कल 22 मार्च को World Water Day मनाया गया. इस दिन पूरी दुनिया में पानी बचाने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों और सेमिनार का आयोजन किया गया, लेकिन आज जो बात हम आपको बताएंगे, वो बातें आपको ऐसे कार्यक्रमों और सेमिनार में सुनने और देखने को नहीं मिलेंगी.
आज हम आपको सिर्फ पानी की बर्बादी के आंकड़े नहीं बताएंगे. हम आपको पानी की कहानी के बारे में बताएंगे, जिसे दुनिया भूल चुकी है और इस विश्लेषण की शुरुआत हम अमेरिका से आए एक वीडियो से करना चाहते हैं.
इस वीडियो में आप एक गिलहरी को पानी के लिए परेशान होते हुए देखेंगे. असल में ये गिलहरी काफ़ी प्यासी थी और जब वहां से गुज़र रहे एक व्यक्ति की इस पर नज़र पड़ी तो उसने इसकी मदद की. उसने बोतल बन्द पानी से इस गिलहरी की प्यास बुझाने की कोशिश की और जब उसने गिलहरी के मुंह पर पानी की बोतल लगाई तो वो बिना रुके पानी पीने लगी. इससे वहां मौजूद लोग हैरान रह गए क्योंकि, ये गिलहरी काफ़ी प्यासी थी.
इस गिलहरी की तो इस व्यक्ति ने प्यास बुझा दी लेकिन, सोचिए जिस तरह दुनियाभर में पानी का भयानक संकट जन्म ले रहा है. ऐसी परिस्थितियों में इंसानों की प्यास बुझाने के लिए कौन मदद करेगा. एक बार कल्पना करके देखिए कि अगर आज से 10 वर्षों के बाद कोई इंसान इस गिलहरी की जगह होगा तो उसकी प्यास कौन बुझाएगा ?
आज हम इसी सवाल का DNA टेस्ट करेंगे क्योंकि, जिस तरह इंसान पानी का असीमित दोहन कर रहे हैं और इसकी बर्बादी को सिर्फ चर्चा का एक विषय समझते हैं. उनके लिए ये समझना जरूरी है कि अगर कल वो इस गिलहरी की जगह हुए तो फिर क्या होगा? तब कौन इंसानों की प्यास बुझाएगा.
आज आप खुद से ये सवाल भी पूछिए कि अगर आपके पास एक ही गिलास पानी बचेगा तो आप वो पानी किसे पिलाएंगे. अपनी पत्नी और बच्चों को वो पानी दे देंगे. अपने माता पिता की प्यास बुझाएंगे या इस पानी से आप अपनी जान बचाएंगे. हम चाहते हैं कि एक बार ये सवाल खुद से जरूर पूछें.
कल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया गया. पिछले 28 सालों से पूरी दुनिया आज के दिन जल दिवस मनाती आ रही है, लेकिन जल के संरक्षण को लेकर हम कितने गंभीर है. आज हम इसका विश्लेषण करेंगे.
हम सब जानते हैं कि पृथ्वी पर 71 प्रतिशत पानी है, लेकिन उसमें से मात्र 3 प्रतिशत ही पीने योग्य है. आप इसको इस तरह समझ सकते हैं कि अगर पृथ्वी के पानी को 4 लीटर माना जाए तो पीने योग्य पानी होगा केवल 1 चम्मच। यानी 1 चम्मच पानी से पूरी दुनिया को अपनी प्यास बुझानी है.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने पानी के इसी महत्व समझाने के लिए ही पहली बार 22 मार्च, 1993 को जल दिवस मनाया था और तभी से ये परंपरा जारी है. इस बार जल दिवस की थीम है- Valuing Water यानी पानी का महत्व.
एक परिवार की खपत 750 लीटर
अगर हम एक सामान्य परिवार की पानी की खपत देखें तो वो दिन में लगभग 750 लीटर पानी बर्बाद कर देता है. ये उस पानी की मात्रा है जिसका इस्तेमाल पीने या खाना बनाने में नहीं किया जाता है. सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक हम दिनभर में कितना पानी इस्तेमाल कर लेते हैं. सबसे पहले आपको इसके बारे में बताते हैं.
पानी के एक साधारण से नल से 1 मिनट में 9 लीटर पानी बहता है, तो अगर एक व्यक्ति नल खोलकर टूथ ब्रश करने का आदी है तो और इस काम में वो 3 मिनट लगाता है और ऐसे 27 लीटर पानी यूं ही बर्बाद हो जाता है.
ठीक इसी तरह टॉयलेट फ्लश से एक बार में लगभग 20 लीटर पानी फ्लश हो जाता है. यानी अगर एक व्यक्ति दिन में 5 बार भी फ्लश का इस्तेमाल करता है, तो वो 100 लीटर पानी बर्बाद कर देता है.
4 लोगों के एक साधारण परिवार में अगर एक 1 वॉशिंग मशीन है, तो एक बार में इसमें 30 लीटर पानी इस्तेमाल होता है. अगर कपड़े धोने के लिए मशीन का इस्तेमाल 3 बार भी हो गया तो 90 लीटर पानी बर्बाद हो गया.
ठीक इसी तरह अगर किसी परिवार के पास एक कार है और उसको रोज पाइप से धोया जाता है, तो एक बार में 500 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है.
ये तो हमने सामान्य परिवारों में पानी के उस इस्तेमाल का लेखा-जोखा बताया है, जिसका इस्तेमाल पीने या खाना बनाने में नहीं किया जाता है. अगर पीने योग्य पानी की बात करें, तो सामान्य घरों में लगाए गए ROसे 1 लीटर पानी के लिए 4 लीटर पानी की बर्बादी होती है. मतलब ये कि दिन में अगर एक परिवार को 10 लीटर पीने योग्य पानी चाहिए है तो RO इस 10 लीटर पानी के लिए 40 लीटर पानी वेस्ट कर देता है. कुल मिलाकर एक सामान्य परिवार दिन में रोजमर्रा के काम में 750 लीटर से ज्यादा पानी को बर्बाद कर देता है. कितनी हैरत की बात है कि हमारा पूरा जीवन पानी पर टिका है, लेकिन हम इस नजरिए से इसके बारे में नहीं सोचते हैं.
-हमारे पूरे सोलर सिस्टम में पृथ्वी ही है, जहां पर अभी तक बड़ी मात्रा में जल है. इसीलिए इसे Blue Planet भी कहा जाता है. पानी का महत्व आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि जब अंतरिक्ष वैज्ञानिक किसी ग्रह पर जीवन की तलाश करते हैं तो सबसे पहले उस ग्रह पर पानी की संभावनाएं तलाशी जाती हैं, तो अगर पृथ्वी पर पानी को बचाना है हमें अपनी आदतें बदलती होंगी. जैसे अगर आप नल खोलकर टूथ ब्रश करते हैं, तो ये बंद कर दीजिए. अगर आप ऐसा करेंगे तो आप 4 मिनट में कम से कम 36 लीटर पानी बचा लेंगे.
-अपने वॉशरूम में इस्तेमाल होने वाली टॉयलेट सीट में बदलाव करके वॉटर सेविंग फ्लश लगवा सकते हैं. ये तकनीक जापान में इस्तेमाल की जाती है जिससे एक दिन में लगभग 18 से 20 लीटर पानी बचाया जा सकता है.
-अगर वॉशिंग मशीन इस्तेमाल करते हैं, तो ज्यादा से ज्यादा कपड़ों को एक बार में धुलने की कोशिश करें. इससे भी पानी की खपत 50 प्रतिशत तक कम हो सकती है.
-इसके अलावा अगर अपनी कार को पाइप के बजाए बाल्टी में पानी लेकर धोएं, तो एक बार में आप 350 लीटर पानी को बर्बाद होने से बचा सकते हैं.
-खराब हो चुके नलों को ठीक करवाकर भी आप पानी की बर्बादी रोक सकते हैं क्योंकि, अगर आपके घर के किसी नल से 1 सेकंड में 1 बूंद पानी टपकता है, तो महीने भर में लगभग एक हजार लीटर पानी की बर्बादी केवल टपकते हुए नल से हो जाती है.
-पीने के पानी के लिए अगर आपके घर में पानी की TDS यानी Total Dissolved Solids की मात्रा 250 से कम है तो RO न लगवाएं और अगर ये ज्यादा है तो RO से बह रहे बेकार पानी का इस्तेमाल पौधों में डालने या धुलने में कर सकते हैं.
आप इसकी प्रेरणा मशहूर कार्टूनिस्ट आबिद सुर्ती से भी ले सकते हैं, जो मुम्बई में लोगों के घरों के टपकते हुए नलों को मुफ्त में ठीक करवाते हैं और ऐसा करके वो अब तक अकेले ही 2 करोड़ लीटर से ज्यादा पानी बर्बाद होने से बचा चुके हैं. आबिद सुर्ती की उम्र 85 वर्ष है, पिछले 12 साल से इनकी जिंदगी का एक ही मकसद रहा है और वो है, पानी की एक एक बूंद को बर्बाद होने से बचाना. पिछले 12 सालों में अभी तक वो 2 करोड़ लीटर से ज्यादा पानी बर्बाद होने से बचा चुके हैं.
कार्टूनिस्ट आबिद सुर्ती लोगों के घरों में जाकर पानी बचाने की सीख भी देते हैं. इसके लिए उन्होंने ड्रॉप डेड फाउंडेशन नाम की संस्था भी बनाई है. वो मुंबई के अलग-अलग इलाकों में एक प्लंबर के साथ घूमते हैं और लीक हो रहे नलों को मुफ्त में ठीक करवाते हैं. इन नलों में लगे रबर गैस्केट रिंग को बदलते हैं ताकि पानी बर्बाद न हो.
पानी बचाने की इस मुहिम को चलाने के पीछे आबिद सुर्ती के बचपन का एक बड़ा रोल है. दरअसल, उन्होंने एक-एक बाल्टी पानी के लिए संघर्ष देखा था और तभी उनमें पानी की बचत को लेकर जागरूकता आई. जल की जरूरत न सिर्फ हमें है, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी है. इसीलिए जल के संरक्षण को लेकर आबिद सुर्ती से सीख लेने की जरूरत है.
जल में आध्यात्मिक शक्तियां
-मान्यता है कि जल में आध्यात्मिक शक्तियां होती हैं. हिंदू धर्म में किसी शुभ कार्य की शुरुआत और विसर्जन जल से होती है.
-अंतिम संस्कार के बाद चिता की राख को भी जलधारा में बहाया जाता है. मान्यता है कि इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
-भारत इकलौता देश है जहां नदियों को हम देवी का दर्जा देते हैं क्योंकि, उनसे हमें जल मिलता है.
-उपनिषदों में भी जल का महत्व बताया गया है. उपनिषद शतपथ ब्राह्मण में जल को अमृत माना गया है.
-महानारायण उपनिषद में कहा गया है कि सभी प्राणी जीवन के लिए जल पर आश्रित हैं. ये सभी देवताओं की आश्रयस्थली भी है.
-हिंदू धर्म में जल को देव का दर्जा देकर वरुण देव कहा गया है.
-हालांकि सभी धर्मों में जल से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं. इस्लाम में आबे ज़म ज़म है. सिख धर्म में पवित्र सरोवरों से जुड़ी मान्यताएं हैं और ईसाई धर्म में Baptism भी जल से किया जाता है. लेकिन इसके बावजूद दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत में भी पानी की कहानी दुखद ही है और हम पानी के महत्व को समझते नहीं हैं.