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रेड बेल्ट में था दबदबा


तेलतुंबडे ने मध्य प्रदेश, छत्तसीगढ़ और महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाको को गुरिल्ला जोन ( Guerrilla Zone) के तौर पर स्थापित किया था, जिसका मुखिया भी ये खुद था. इसके अलावा ये Urban Naxal गैंग का भी हेड था. इसने Urban Naxals की एक विंग बनाई थी, जो शहरी इलाक़ों में नक्सलवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करती थी और शहरों में पिछड़े समाज के युवाओं को गुमराह करके नक्सलियों के गुट में भर्ती कराती थी. ये काम मिलिंद तेलतुंबडे पिछले 30 वर्षों से कर रहा था.


'CPI माओवादी हत्यारा मारा गया'


इसके अलावा ये खूंखार नक्सलवादी CPI माओवादी की सेंट्रल कमिटी का सदस्य था, जिसे वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था. 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में भी पुलिस ने इसे आरोपी बनाया था. और बाद में इसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था इसी हिंसा में उसके भाई आनंद तेलतुंबडे को भी गिरफ़्तार किया गया है और उसकी पत्नी पर भी धमाकों के गम्भीर मामले कोर्ट में चल रहे हैं.


सामने आया था ये सच


आपको याद होगा 2018 की भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद हमारे ही देश के कुछ पत्रकारों और विपक्षी नेताओं ने इन Urban Naxals का समर्थन किया था. और देश के सुरक्षा बल पर सवाल उठाए थे. तब ये कहा गया था कि Urban Naxals जैसा इस देश में कुछ नहीं है और केन्द्र सरकार इसके नाम पर बेकसूर सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ दबाई जा रही है. लेकिन कड़वी सच्चाई ये है कि ये नक्सलवादी जंगल से अब शहरी इलाक़ों में पहुंच रहे हैं और देश को अस्थिर करना चाहते हैं.


इस खबर से जुड़ा एक लेटेस्ट अपडेट (Latest Update) ये है कि महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस के विशेष दल C-60 को 51 लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया है. आपको बताते चलें कि इस दल के चार जवान एनकाउंटर में घायल हुए थे.