नई दिल्ली: भारत की सेना के जांबाज जवानों के अदम्य साहस और बलिदान को देश के राष्ट्रपति ने सम्मानित किया. राष्ट्रपति भवन में हुए एक भव्य आयोजन में जिन सैनिकों को सम्मानित किया गया उनमें भारतीय वायुसेना (Air Force) के ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान (GC Abhinandan Varthman) का नाम भी शामिल था जिन्हें वीर चक्र दिया गया. अभिनंदन ने 27 फरवरी 2019 को भारत पर हमला करने के इरादे से देश की सीमा में दाखिल होने वाले पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों को खदेड़ दिया था.


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उन्होंने दशकों पुराने मिग 21 ( Mig 21 Bison) विमान से पाकिस्तानी फौज के F-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया था. ऐसे में आपको भी अभिनंदन वर्धमान की वीरता की कहानी को एक बार फिर से याद करना चाहिए.


अदम्य साहस की कई कहानियां 


अदम्य साहस की एक कहानी राष्ट्रीय राइफल्स की पहली बटालियन के शहीद सैनिक सैपर प्रकाश जाधव की भी है. जिन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है ये शांतिकाल का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है.


27 नवंबर 2018 को कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ भारतीय सेना का एनकाउंटर हुआ था, जिसका नेतृत्व खुद प्रकाश जाधव कर रहे थे. घर के अंदर मौजूद आतंकवादियों ने सैनिकों को सीढ़ियों पर चढ़ते देखा तो अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. इससे प्रकाश जाधव के साथियों की जान खतरे में आ गई. 


इसके बाद सैपर प्रकाश जाधव ने अपने साथियों को पीछे धकेला और खुद सामने से आंतकवादियों से भिड़ गए और एक आतंकवादी को मार गिराया. इस बीच एक आतंकवादी ने पेट्रोल बम का इस्तेमाल किया जिससे उस घर में आ लग गई.


तब प्रकाश जाधव ने अपने साथियों को घर से बाहर निकलने के निर्देश दिए और खुद आतंकवादियों का सामना करते रहे और एक दूसरे आतंकवादी को भी मार गिराया. तब तक आग फैल चुकी थी और प्रकाश जाधव उसी आग में फंस गए और शहीद हो गए. शहीद प्रकाश जाधव की पत्नी और उनकी मां ने जब ये सम्मान स्वीकार किया तो पूरा राष्ट्रपति भवन तालियों से गूंज उठा. 


सूबेदार सोमबीर को मरणोपरांत शौर्य चक्र


इसी तरह जाट रेजिमेंट के नायब सूबेदार सोमबीर को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. उन्होंने जम्मू कश्मीर में हुए एनकाउंटर में एक खतरनाक आतंकवादी को मार गिराया था और अपने साथियों की जान बचाते हुए खुद शहीद हो गए थे. शहीद नायब सूबेदार सोमबीर को मिला ये सम्मान उनकी पत्नी और उनकी मां ने ग्रहण किया.


आपको 14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में हुआ आतंकवादी हमला तो याद होगा? जिसमें CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद भारत की सेना ने इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के खिलाफ कश्मीर में अलग अलग अभियान चलाए और ऐसे ही एक अभियान का नेतृत्व कर रहे थे 55 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर विभूति शंकर ढौंढियाल. मेजर विभूति ढौंढियाल ने इस ऑपरेशन के दौरान ना सिर्फ 5 आंकवादियों को मार गिराया और इस दौरान वो खुद शहीद हो गए.


परिवार भी देता है कुर्बानी


शहीद होने से सिर्फ 10 महीने पहले मेजर ढौंढियाल की शादी नितिका कौल से हुई थी, जो अब खुद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट हैं. अपने पति के शहीद होने के बाद वो बुरी तरह से बिखर चुकी थीं. जब शहीद मेजर विभूति ढौंढियाल का पार्थिव शरीर देहरादून में उनके घर पहुंचा था. तब उनकी पत्नी ने ना सिर्फ उन्हें सलामी दी थी बल्कि रोते हए कहा था कि मुझे इस बात पर गर्व है कि तुमने मुझ से ज्यादा प्यार  देश को किया. 


पति की शहादत के एक साल बाद नितिका ने खुद को संभाला और वो फरवरी 2020 में चेन्नई में Officers Training Academy में भर्ती हो गईं और करीब एक साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद वो खुद लेफ्टिनेंट के तौर पर भारतीय सेना का हिस्सा बन गईं. आज जब उनके पति को उनकी शहादत के लिए सम्मानित किया गया, तब नितिका सेना की वर्दी में मेजर ढौंढियाल की मां के साथ मौजूद थीं. भारत के सैनिक तो देश के लिए कुर्बानी देते ही हैं लेकिन उनका परिवार भी कुर्बानी देता है. जिसे इस देश को कभी नहीं भुलाना चाहिए.