DNA: आम आदमी की बल्ले-बल्ले, देश में बदलने वाली है हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर की सूरत
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DNA: आम आदमी की बल्ले-बल्ले, देश में बदलने वाली है हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर की सूरत

DNA: आने वाले समय में अब आपको हर अस्पताल में Cashless Medical सेवाएं ही मिलेंगी. जल्दी ही Re-Imbursement Claim वाला पूरा सिस्टम ही खत्म होने वाला है. IRDAI और General Insurance Council ने इस मुद्दे पर कई राउंड की बैठक की.

फाइल फोटो

DNA Analysis: मौजूदा समय में Insurance यानी बीमा, हर व्यक्ति के लिए जरूरी है. चाहे जीवन बीमा हो या फिर Health Insurance यानी स्वास्थ्य बीमा. कोरोना महामारी के बाद से लोगों में स्वास्थ्य बीमा को लेकर जागरुकता आई है. नई-नई बीमारियां और उनके इलाज का खर्च, अच्छे खासे परिवारों की भी जेब ढील कर देता है. इसीलिए अब केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें भी जनता के लिए अलग-अलग स्तर पर स्वास्थ्य बीमा देती हैं.

24 जीवन बीमा कंपनियां और 34 सामान्य बीमा कंपनियां

बीमा देश के लोगों के भविष्य को सुरक्षित बनाता हैं, इसीलिए भारत में 24 जीवन बीमा कंपनियां और 34 सामान्य बीमा कंपनियां चल रही हैं जो अलग-अलग तरह की सेवाएं दे रही हैं. जीवन बीमा जिन्होंने लिया है, वो जानते हैं कि जिस कंपनी से उनकी बीमा पॉलिसी चल रही है, उससे उनके परिवार को Claim यानी बीमा की रकम मिलती है. जीवन बीमा के बारे में आप ये भी जानते होंगे कि जिस व्यक्ति का जीवन बीमा है, उसके मृत्यु के बाद उसके परिवार को Claim मिलता है लेकिन स्वास्थ्य बीमा के साथ ऐसा नहीं है जिस व्यक्ति या परिवार का स्वास्थ्य बीमा होता है. उसके बीमार पड़ने पर इलाज में होने वाला खर्च, स्वास्थ्य बीमा देने वाली कंपनी उठाती है.

स्वास्थ्य बीमा के मामले में दो तरह से इलाज का खर्च कंपनियां उठाती हैं. पहला- CASHLESS और दूसरा Re-Imbursement Claim.

अस्पताल का खर्च कौन उठाएगा?

CASHLESS Plan का मतलब ये है कि जब स्वास्थ्य बीमा लेने वाला व्यक्ति बीमार पड़ता है और वो अस्पताल में भर्ती होता है, तब बीमा कंपनी से मिले कार्ड के जरिए, वो अस्पताल का खर्च उठाता है. उसे अपनी जेब से कुछ नहीं देना होता है. Re-imbursement Claim के मामले में ऐसा नहीं होता. इसमें अस्पताल में होने वाला पूरा खर्च, व्यक्ति खुद अपनी जेब से उठाता है. उसके बाद अस्पताल का Original Bill, Insurance Company को देता है. जिसके बाद Insurance Company खर्च हुआ पैसा बीमा लेने वाले व्यक्ति को वापस देती है.

इलाज का खर्च देती है कंपनी

इन्हीं दो तरीकों से अभी तक Insurance कंपनियां अपने ग्राहकों के इलाज का खर्च देती आई हैं. आपने ध्यान दिया होगा कि Cashless वाला Plan, Re-imbursement Claim वाले Plan से ज्यादा आसान है. इसमें स्वास्थ्य बीमा लेने वाले व्यक्ति को परेशान नहीं होना पड़ता. उसे पैसे का जुगाड़ नहीं करना पड़ता.

कार्ड देते ही इलाज शुरू

मान लीजिए कि आप बीमार पड़ गए. बीमार पड़ते ही आपने अस्पताल का रुख किया. वहां पहुंचते ही आपने अस्पताल को बताया कि आपके पास Health Insurance है. आपने Health insurance वाला कार्ड निकालकर अस्पताल को दे दिया. ये कार्ड देते ही आपका इलाज शुरू हो गया. इसे कहते हैं Cashless वाला Plan, अभी तक CASHLESS SETTLEMENT की सुविधा तभी मिलती है जब आपकी HEALTH INSURANCE कंपनी उस अस्पताल के पैनल में हो.

बीमार पड़े और अस्पताल पहुंच गए

दूसरी स्थिति ये है कि आप बीमार पड़े और अस्पताल पहुंच गए. वहां आपने बताया कि आपके पास Health Insurance है, लेकिन आपके पास Cashless वाला Plan नहीं है, क्योंकि आप जिस अस्पताल में गए, वो अस्पताल आपकी Health Insurance कंपनी के पैनल में नहीं है. ऐसे स्थिति में आपको अपने इलाज का खर्च अपनी जेब से देना होगा. उसके बाद आप अस्पताल से इलाज में हुए खर्च का बिल लेंगे. फिर इसके बाद आप Insurance Company को Bill देंगे. Insurance कंपनी इस बिल का Audit करेगी, फिर इसके बाद, आपकी जेब से हुआ खर्च आपको वापस करेगी.

अब ये भी जान लीजिए

आपमें से कई लोगों को दूसरी परिस्थिति का सामना जरूर करना पड़ा होगा. जिसमें आपने पहले अपनी जेब से इलाज का खर्च उठाया होगा, फिर इस खर्च का Re-Imbursement Claim, बीमा कंपनी से वापस लिया होगा. इस पूरे Process में बीमार व्यक्ति और उसके परिवार को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. यकीनन आप भी इस परेशानी में नहीं पड़ना चाहते होंगे. देश में Health Insurance कंपनियां इस वक्त 75 हजार से ज्यादा अस्पतालों में सेवाएं दे रही हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हर कंपनी, हर अस्पताल में सेवाएं नहीं देती है. सबसे बड़ी Insurance कंपनी भी मात्र 13 हजार अस्पतालों में ही registered है. यानी हर हाल में कभी ना कभी इस स्थिति में फंसना ही पड़ता है.

खत्म होने वाला है ये सिस्टम

आने वाले समय में अब आपको हर अस्पताल में Cashless Medical सेवाएं ही मिलेंगी. जल्दी ही Re-Imbursement Claim वाला पूरा सिस्टम ही खत्म होने वाला है. देश में किसी भी तरह के Insurance पर नजर रखने वाली सरकारी संस्था का नाम है IRDAI यानी Insurance Regulatory and Development Authority of India.

कई राउंड की बैठक के बाद हुआ फैसला

IRDAI और General Insurance Council ने इस मुद्दे पर कई राउंड की बैठक की. बैठकों के बाद अब ये फैसला किया है कि अगले वर्ष की शुरुआत से भारत में Unified Hospital Network नाम की योजना शुरू की जाएगी. इसके तहत अगर व्यक्ति के पास किसी भी कंपनी का Health Insurance है तो वो व्यक्ति NABH से प्रमाणित किसी भी अस्पताल में Cashless Plan से इलाज करवा सकता है. यानी आपके पास चाहे किसी भी कंपनी का Health Insurance हो, आप इसके जरिए पैनल वाले या बिना पैनल वाले किसी भी अस्पताल में Cashless इलाज का लाभ ले सकते हैं. अगले कुछ दिनों में IRDAI और GIC मिलकर इससे जुड़ा एक आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी करने वाले हैं.

खर्च मांगा तो उनसे कई सवाल-जवाब

किसी बीमार व्यक्ति या उसके परिवार के लिए Cashless Claim क्यों जरूरी है, इसका सबसे सही जवाब, दिल्ली में रहने वाली रेणु सांकला ही दे सकती हैं. एक हादसे में रेणु सांकला के पति की हाथ की उंगली कट गई थी. जिस अस्पताल वो गई थीं, वो अस्पताल, उनके पति के हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के पैनल में नहीं था. रेणु सांकला ने जैसे तैसे पैसे के जुगाड़ करके, अपने घायल पति को अस्पताल में भर्ती करवाया. इसके जब उन्होंने Insurance Company से इलाज का खर्च मांगा तो उनसे कई सवाल जवाब किए गए, Email पर ईमेल हुए. कई हफ्तों तक मानसिक रूप से प्रताड़ित होने के बाद, जैसे तैसे उन्हें इलाज के खर्च का केवल 80 प्रतिशत पैसे मिल पाया. अगर रेणु के पति का इलाज CASHLESS PLAN के तहत होता, तो शायद रेणु को पूरा CLAIM भी मिलता और मानसिक परेशानी भी नहीं झेलनी पड़ती. IRDA और GIC, हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर जिस बदलाव की पहल करने जा रहे हैं, वो रेणु जैसे करोड़ों लोगों को फायदा होगा.

CASHLESS CLAIM की सुविधा

बदली हुई व्यवस्था में अगर आपकी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी अस्पताल के पैनल में नहीं है, तो भी आपको CASHLESS CLAIM की सुविधा मिलेगी और ये आपको उस हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के रेट पर मिलेगा जो पहले से ही अस्पताल के पैनल में होगी फिर चाहे वो कोई भी कंपनी हो. ये पूरी व्यवस्था दो तरीके से काम करेगी. 

क्या है पहला तरीका?

इमरजेंसी केस में अगर आप भर्ती होते हैं, तो आपके परिवार को HEALTH INSURANCE कंपनी को इलाज की जानकारी देनी होगी. इलाज का Final Bill Payment Cashless हो जाएगा. रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर अस्पताल आपसे कुछ पैसे जमा करवा सकता है.

क्या है दूसरा तरीका?

ये है कि अगर इमरजेंसी केस नहीं है और आप किसी बीमारी करवाने अस्पताल पहुंचे हैं, तो भर्ती होने के 48 घंटे पहले आपको HEALTH INSURANCE कंपनी को अस्पताल से जुड़ी जानकारी देनी होगी. अस्पताल में आपके भर्ती होने से जुड़ी जानकारी वेरिफाई होने के बाद, आपकी HEALTH INSURANCE कंपनी, अस्पताल के पैनल में शामिल HEALTH INSURANCE कंपनी से बातचीत करके, आपको Cashless सुविधा दिलवाएगी. ग्राहक अपनी insurance company को ईमेल या वेबसाइट लागिन के जरिए जानकारी दे सकते हैं.

खर्च के Claim की दरें समान

इस बदलाव के अगले Phase में Unified charges पर भी काम चल रहा है. इसके तहत सभी इंश्योरेंस कंपनी के Plan में पैनल में ना शामिल होने वाली अस्पतालों में खर्च के Claim की दरें समान होंगी. यही नहीं आप किसी ऐसे अस्पताल में गए हैं जो आपकी HEALTH INSURANCE कंपनी के पैनल में है, और वहां इलाज महंगा है, तो आप ऐसे अस्पताल में भी जा सकते हैं, जहां इलाज सस्ता हो, भले ही वो आपके HEALTH INSURANCE कंपनी के पैनल ना हो. इससे HEALTH INSURANCE CLAIM में मिलने वाले पैसे को बचा सकते है.

Cashless व्यवस्था को जल्दी से जल्दी

Insurance कंपनियां भी Cashless व्यवस्था को जल्दी से जल्दी,अपनी ग्राहकों तक पहुंचाना चाहती हैं. क्योंकि इससे ना सिर्फ लोगों को फायदा होगा, बल्कि इससे insurance कंपनियों को लाभ होगा. Reimbersment Claim plan के जरिए, कई लोग, Insurance कंपनियों से Fraud भी करते थे, जिसकी वजह से कंपनियां, असली ग्राहकों के bill पर सख्त Audit करती थीं. जिससे आम लोगों को परेशानी होती थी, नई व्यवस्था के आने से ये परेशानी भी खत्म हो जाएगी. INSURANCE DEKHO के COO शरद बजाज ने बताया कि Unified Hospital Network जैसी योजना अगर सच में धरातल पर उतरी तो ये Health Insurance लेने वाले लोगों के लिए वरदान साबित होगी. ये भारत की HEALTH FOR ALL, INSURANCE FOR ALL की मुहिम के लिए अहम पड़ाव साबित होगी.

इलाज पर FOCUS करने वाला क्लेम

Health Insurance लेने वाले लोगों के लिए Cashless Claim एक ऐसी सुविधा है, जो लोगों को इलाज पर FOCUS करने के लिए कहती है, ना कि खर्च पर. हालांकि, अब हम Insurance Sector से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां देना चाहते हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है.

1. जैसे वर्ष 2022 में देश में 52 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास Health Insurance था.

2. भारत में Health Insurance का मार्केट 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का था.

3. एक अनुमान है कि वर्ष 2030 तक Health Insurance का मार्केट 11.55 फीसदी की दर से बढ़ेगा यानी वर्ष 2030 ये ढाई लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो जाएगा.

4. भारत में Health Insurance का औसतन Claim Settlement Ratio 85 से 90 प्रतिशत है. यानी लोगों को उनके इलाज के खर्च का केवल 80 से 90 प्रतिशत पैसा ही मिल पाता है. ये आंकड़ा Reimbursement Claim का है.

5. Unified Hospital Network और Cashless Settlement से ये Ratio 95 फीसदी से भी ज्यादा का होने की उम्मीद है.

सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना

पूरे विश्व में भारत एक ऐसा देश है, जहां सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना चल रही है. इस बीमा योजना का नाम है प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना. इस योजना के तहत हर गरीब परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलता है. इस योजना से करीब 12 करोड़ गरीब परिवार और करीब 55 करोड़ लोगों को लाभ मिलता है. देशभर में इस योजना से करीब 28 हजार अस्पताल जुड़े हुए हैं, जिसमें 13 हजार के करीब प्राइवेट अस्पताल भी हैं. देखा जाए तो इस सरकारी Insurance योजना के पैनल में देश के सबसे ज्यादा अस्पताल जुड़े हुए हैं. इस योजना के तहत अस्पताल में 5 करोड़ 70 लाख से ज्यादा मरीज इलाज करवा चुके हैं. इस योजना की मदद से गरीब परिवारों ने करीब 1 लाख करोड़ रुपये का इलाज खर्च बचाया है.

जरूर लेने जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा

आजकल के समय में दो तरह के बीमा तो सभी को लेने चाहिए, पहला है जीवन बीमा और दूसरा है स्वास्थ्य बीमा. तो अगर आपने अभी भी ये नहीं लिए हैं, तो आपको अपने परिवार के भविष्य के लिए बीमा जरूर लेना चाहिए. इससे आपका और आपके परिवार के हर सदस्य का फायदा है.

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