DNA ANALYSIS: Unlock में खत्म हो गया कोरोना का खौफ? लापरवाही ले सकती है इतने लाख लोगों की जान
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DNA ANALYSIS: Unlock में खत्म हो गया कोरोना का खौफ? लापरवाही ले सकती है इतने लाख लोगों की जान

भारत ने कोरोनावायरस के मामले में दो रिकॉर्ड बनाए, भारत में 83 हजार 883 नए मामले सामने आए. दुनिया के किसी भी देश में एक दिन में इतने मरीज दर्ज नहीं हुए हैं. दूसरा रिकॉर्ड ये बना कि भारत में कल यानी 2 सितंबर को 11 लाख 72 हजार 179 टेस्ट एक दिन में किए गए. 

DNA ANALYSIS: Unlock में खत्म हो गया कोरोना का खौफ? लापरवाही ले सकती है इतने लाख लोगों की जान

नई दिल्ली: भारत ने कोरोनावायरस के मामले में दो रिकॉर्ड बनाए, भारत में 83 हजार 883 नए मामले सामने आए. दुनिया के किसी भी देश में एक दिन में इतने मरीज दर्ज नहीं हुए हैं. दूसरा रिकॉर्ड ये बना कि भारत में कल यानी 2 सितंबर को 11 लाख 72 हजार 179 टेस्ट एक दिन में किए गए. ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही कोरोना के टेस्ट का लक्ष्य 10 लाख टेस्ट प्रतिदिन का रखा था. लेकिन भारत अब उससे बेहतर स्थिति में है और एक दिन में 11 लाख से अधिक टेस्ट करने की क्षमता हासिल कर चुका है.

नए मामलों और हर दिन मौत की संख्या में भारत पहले स्थान पर
कुल मिलाकर भारत दुनिया में कोरोना वायरस का नया हॉटस्पॉट बनता जा रहा है. जैसे-जैसे अनलॉक की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, कोरोना मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. संक्रमित लोगों की कुल संख्या के हिसाब से भारत भले ही दुनिया में तीसरे नंबर पर है, लेकिन नए मामलों और हर दिन मौत की संख्या में भारत पहले स्थान पर पहुंच चुका है.

- जैसा कि हमने अभी आपको बताया कि देश में कल पिछले 24 घंटे में 83 हजार 883 नए लोगों में संक्रमण का पता चला.

- पिछले 24 घंटे में मरने वालों की संख्या 1045 रही. ये भी दुनिया में सबसे अधिक है.

- कुल मरीजों के मामले में अभी सिर्फ अमेरिका और ब्राजील भारत से आगे हैं.
- ब्राजील में मरीजों की संख्या भारत के मुकाबले सिर्फ डेढ़ लाख अधिक है. यानी 1-2 दिन में भारत दूसरे नंबर पर होगा.

- भारत के जिन पांच राज्यों में सबसे बुरा हाल है, वो हैं- महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली.

- अकेले इन पांच राज्यों में देश के 56 प्रतिशत संक्रमित लोग हैं. यानी आधे से भी ज्यादा.

- देश में इस समय लगभग 9000 मरीज ऐसे हैं जिनकी हालत गंभीर है.

लोग मास्क पहनना भी बंद कर चुके हैं
आज अगर ये स्थिति पैदा हुई है तो इसका बहुत बड़ा कारण है हम भारतीयों की सोच. ऐसा लगता है कि लोग कोरोना वायरस के खतरे को भूल चुके हैं. लोगों ने अनलॉक शब्द का मतलब गलत समझ लिया. जब लॉकडाउन हुआ था तब ज्यादातर लोग पूरी सावधानी बरत रहे थे. लेकिन जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई सबकुछ नॉर्मल मान लिया गया. लोगों ने अनलॉक को अनलिमिटेड समझ लिया, जबकि अनलॉक के दौरान सावधानी की जरूरत ज्यादा है. आज आप जहां कहीं भी नजर डालें पहले की तरह भीड़भाड़ नजर आती है. कई जगह तो लोग मास्क पहनना भी बंद कर चुके हैं. आपने देखा होगा बहुत सारे लोग मास्क को चेहरे पर लटकाकर रखते हैं. उनके मुंह और नाक खुले रहते हैं. ये हालत तब है जब डॉक्टरों ने मास्क को संक्रमण से बचाव का सबसे कारगर तरीका बताया है.

- एक अनुमान के अनुसार भारत में सिर्फ मास्क पहनने से दिसंबर तक 2 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है.

- देश में ज्यादातर राज्य सरकारों ने मास्क न पहनने पर जुर्माना लगा रखा है.
- गुजरात में ये सबसे अधिक 1000 रुपये, दिल्ली में 500 रुपये और महाराष्ट्र में 500 रुपये है.

- अकेले दिल्ली में लगभग 2 लाख लोगों को बिना मास्क के पकड़ा गया, जिनसे लगभग 10 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना वसूला गया.

- मास्क के अलावा बाजारों और बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना बेहद मुश्किल हो रहा है.

कोरोना वायरस संक्रमण में अचानक आई तेजी
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण में अचानक तेजी आई है. इसका सबसे बड़ा कारण है, अनलॉक के नाम पर लोगों की लापरवाही. लेकिन इसका एक दूसरा कारण भी है. दरअसल, देश में कोरोना मरीजों की टेस्टिंग की संख्या बढ़ा दी गई है. जितने ज्यादा टेस्ट होते हैं उतने ही ज्यादा संक्रमित लोगों के सामने आने की उम्मीद रहती है. बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं होते. लेकिन वो संक्रमण फैलाते रहते हैं. कोविड के टेस्ट से उनकी भी पहचान हो जाती है, जिससे संक्रमण को आगे फैलने से रोका जाता है. इसलिए ज्यादा टेस्ट के साथ सावधानी भी जरूरी है. सावधानी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि दिल्ली और दूसरे शहरों में अब मेट्रो सेवा शुरू होने जा रही है. दिल्ली में बार भी 9 सितंबर से खोलने की अनुमति दे दी गई है.

भारत से कोरोना वायरस का प्रकोप तो नहीं गया लेकिन कोरोना का खौफ जरूर जा चुका है. ऐसा लगता है कि लोग अब कोरोना से लड़ नहीं रहे, रोज इस जानलेवा बीमारी को चुनौती देने घरों से निकल रहे हैं. कभी शॉपिंग के नाम पर, कभी बाहर का खाना खाने के लालच में, तो कभी सिर्फ बाहर की हवा खाने के लिए ये मान चुके हैं कि कोरोना इनको नहीं होगा.

इम्युनिटी देने वाली एंटीबॉडी दो महीने तक काम करेंगी या एक साल?
भारत में कोरोना वायरस की हैसियत उस मेहमान जैसी हो चुकी है जो घर में जरूरत से ज्यादा टिक गया हो लेकिन इससे पहले कि आप ये सोचकर बेफिक्र हो चुके हों कि अगर कोरोना ने आपका अब तक कुछ नहीं बिगाड़ा तो अब नहीं बिगाड़ पाएगा या इससे पहले कि आपने ये सोच लिया हो कि अगर एक बार कोरोना संक्रमण हो चुका है तो जीवन भर के लिए आप कोरोना से मुक्त हो चुके हैं, कोरोना पर रिसर्च कर रही देश की सबसे बड़ी संस्था के मुखिया को सुन लीजिए. इनका कहना है कि एक बार कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के बाद आपको इम्युनिटी देने वाली एंटीबॉडी दो महीने तक काम करेंगी या एक साल, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.

दिल्ली में पिछले 3 हफ्ते में मृत्यु दर में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी
दिल्ली का उदाहरण हम सबके सामने है. दिल्ली में पिछले तीन हफ्ते में मृत्यु दर में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है. ये मत भूलिए कि ये वही दिल्ली है जहां सीरो सर्वे में 28 प्रतिशत दिल्ली वालों के शरीर में इम्युनिटी पाई गई है यानी कोरोना किसी को भी कहीं भी और कैसे भी हो सकता है.

मास्क चेहरे पर लगाना है अटकाना नहीं, दो गज की दूरी हर जगह बनाकर रखनी है लेकिन लोगों को देखकर लगता नहीं कि ये कोरोना काल वाला भारत है. इसका असर भी कोरोना के बढ़ते मरीजों के तौर पर नजर आने लगा है. मास्क न लगाने, बार बार हाथ न धोने और सामाजिक दूरी न बरतने का नतीजा है कि अस्पतालों के अंदर और बाहर भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही.

कोरोना कभी नहीं होगा, ऐसी गारंटी देने वाली वैक्सीन तो अभी तैयार नहीं हो सकी है लेकिन मास्क लगाने हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से ये खतरा 40 प्रतिशत तक कम हो सकता है. अब ये आपको सोचना है कि जिंदगी बड़ी है या मौज-मस्ती.

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