DNA ANALYSIS: चीन के खिलाफ हांगकांग की 'मीडिया क्रांति'
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DNA ANALYSIS: चीन के खिलाफ हांगकांग की 'मीडिया क्रांति'

चीन के इशारे पर दो दिन पहले हांगकांग के एक बड़े अखबार के पब्लिशर और उद्योगपति Jimmy Lai को नए सुरक्षा कानून के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया. ये हांगकांग के नए सुरक्षा कानून के तहत की गई पहली हाई प्रोफाइल यानी बड़ी गिरफ़्तारी थी. 

DNA ANALYSIS: चीन के खिलाफ हांगकांग की 'मीडिया क्रांति'

नई दिल्ली: भारत दुनिया के सबसे सहनशील देशों में से एक है और तमाम संकट के बावजूद भारत ने अपनी इस सहनशीलता को कायम रखा है. फिर भी कुछ लोग इस पर सवाल उठाते हैं और खुद असहनशीलता का उदाहरण पेश करके वो सब करते हैं जो बैंगलुरू में हुआ. लेकिन अब हम आपको उस देश के बारे में बताना चाहते हैं जो शुरुआत से असहनशील है और जहां सरकार के विरोध में कहा गया एक भी शब्द बर्दाश्त नहीं किया जाता. इस देश का नाम है चीन. 

चीन के इशारे पर दो दिन पहले हांगकांग के एक बड़े अखबार के पब्लिशर और उद्योगपति Jimmy Lai को नए सुरक्षा कानून के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया. ये हांगकांग के नए सुरक्षा कानून के तहत की गई पहली हाई प्रोफाइल यानी बड़ी गिरफ़्तारी थी. नए कानून के तहत Jimmy Lai के बेटे, उनकी कंपनी के कुछ बड़े अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ता Agnes Chow को भी गिरफ़्तार कर लिया गया था. Jimmy Lai, हांगकांग के एक लोकप्रिय Tabloid अख़बार के मालिक हैं. इस अख़बार का नाम है Apple Daily. हालांकि लोगों के विरोध के बाद Jimmy Lai समेत 10 लोगों को कल रात ज़मानत पर रिहा कर दिया गया. लेकिन इस बीच जो कुछ हुआ वो आपको ज़रूर जानना चाहिए. क्योंकि असली कहानी Jimmy Lai की गिरफ़्तारी और उनकी रिहाई के बीच हुए घटनाक्रमों में ही छिपी है.

चीन की कार्रवाई का ज़बरदस्त विरोध 
Jimmy Lai 71 साल के हैं उनकी गिरफ़्तारी ये आरोप लगाकर की गई थी कि वो विदेशी ताकतों के साथ मिले हुए हैं और इसी आरोप को आधार बनाकर चीन ने उन्हें अपना दुश्मन नंबर एक मान लिया है और चीन की सरकारी मीडिया भी उन्हें देशद्रोही कहकर बुला रही है. Jimmy Lai हांगकांग के उन प्रमुख लोगों में से हैं जो मुखर तरीके से हांगकांग में लोकतंत्र की आवाज उठाते रहे हैं. उनका अख़बार Apple Daily नियमित तरीके से चीन की सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाता है और उनसे सवाल पूछता है. चीन Jimmy Lai से इतना परेशान है कि कुछ समय पहले एक Parcel में मरे हुए जानवरों की आंतड़िया भरवाकर उनके घर भिजवाई गई थीं. चीन मानता है कि हांगकांग में पिछले साल जो विरोध प्रदर्शन हुए थे उनके पीछे Jimmy Lai का ही हाथ था और इसी वजह से चीन की सरकार ने सोमवार को Jimmy Lai और उनके सहयोगियों को नए सुरक्षा कानून के तहत गिरफ़्तार कर लिया. लेकिन अच्छी बात ये है कि हांगकांग के लोग इस गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ उठ खड़े हुए और पूरी दुनिया में चीन की इस कार्रवाई का ज़बरदस्त विरोध शुरू हो गया और फिर वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.

 कंपनी के शेयर 1400 प्रतिशत तक बढ़ गए
Jimmy Lai रातों रात हांगकांग के लोगों के लिए पहले से भी बड़े स्टार बन गए और उनका मीडिया हाउस देखते ही देखते हांगकांग का सबसे बड़ा मीडिया हाउस बन गया. क्योंकि गिरफ़्तारी के दो दिनों में ही उनकी कंपनी के शेयर 1400 प्रतिशत तक बढ़ गए थे. इससे पहले उनकी कंपनी के शेयर गिर रहे थे लेकिन उनकी गिरफ्तारी के बाद जब शेयर ऊपर गए तो Jimmy Lai की कंपनी की मार्केट वैल्यू सवा दो सौ करोड़ रुपये से 21 हज़ार करोड़ रुपये हो गई. Jimmy Lai की गिरफ़्तारी के बावजूद उनके अख़बार Apple Daily ने हार नहीं मानी और पहले से भी ज़्यादा मज़बूती के साथ चीन की सरकार का विरोध शुरू कर दिया.

कल उनके अख़बार की 70 हज़ार प्रतियों की बजाय 5 लाख प्रतियां यानी कॉपीज छापी गईं और लोग ये अख़बार लेने के लिए लंबी लंबी लाइनों में खड़े हो गए. उनके अख़बार ने हथकड़ियां पहने अपने मालिक की तस्वीर को पहले पन्ने पर छापा और हेडलाइन में लिखा कि हम लड़ते रहेंगे.

इसका असर ये हुआ कि चीन को आख़िरकार झुकना पड़ा और Jimmy Lai को बेल पर रिहा कर दिया गया. यानी चीन की चाल उलटी पड़ गई और Jimmy Lai पूरी दुनिया के लिए चीन के विरोध का सबसे बड़ा चेहरा बन गए और अब चीन के इसी अत्याचार के ख़िलाफ़ एक बार से हांगकांग में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं.

आजादी की लड़ाई का चेहरा
अब आपको संक्षेप में Jimmy Lai के सफ़र के बारे में भी जान लेना चाहिए. Jimmy Lai का जन्म चीन में हुआ था और उनका परिवार बहुत ग़रीब था. 12 वर्ष की उम्र में भागकर हांगकांग आ गए और इसके बाद उन्होंने दुकानों में छोटे-मोटे काम किए और खुद अपने दम पर अंग्रेज़ी सीखी और आज वो ना सिर्फ़ दुनिया की मशहूर Clothing Brand, Giordano के मालिक हैं बल्कि अब वो हांगकांग के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक हैं. अब हांगकांग के लोग उन्हें आजादी की लड़ाई का चेहरा मानने लगे हैं. हांगकांग के लोग अब तक चीन से सिर्फ़ Autonomy यानी स्वायत्ता मांग रहे थे लेकिन अब वो आज़ादी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं और ये चीन के नज़रिए से शुभ संकेत नहीं हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि Jimmy Lai को जो ज़मानत मिली है. चीन उसकी समीक्षा करेगा और अगर चीन को Jimmy Lai की रिहाई से ख़तरा महसूस हुआ तो उन्हें दोबारा जेल में डाला जा सकता है. अब चीन दुविधा में फंस गया है. क्योंकि अगर Jimmy Lai जेल से बाहर रहते हैं तो वो चीन के खिलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व कर सकते हैं और अगर चीन उन्हें जेल में डालता है तो हांगकांग में एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं.

लेकिन इस पूरी कहानी से जो महत्वपूर्ण सबक हासिल होते हैं उनके बारे में भी आपको जान लेना चाहिए. इस घटना से ये पता चलता है कि चीन विरोध प्रदर्शनों से बहुत डरता है और इनका चीन की सरकार पर गहरा मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है.चाहे प्रदर्शन लोकतंत्र की मांग को लेकर किए जाएं या फिर TIANANMEN SQUARE जैसी घटनाएं हो. चीन को लोकतंत्र की आहट बिल्कुल पसंद नहीं है.

दमनकारी नीतियों का विरोध
जैसे ही हांगकांग के लोग Jimmy Lai की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ एकजुट होकर खड़े हुए. वैसे ही चीन को उन्हें रिहा करना पड़ा यानी चीन को एकजुटता से बहुत डर लगता है और चीन को सबक सिखाने का यही तरीका है कि चीन के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाई जाए, उसके अत्याचारी कानूनों का विरोध किया जाए, उसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघनों पर सफ़ाई देने के लिए मजबूर किया जाए और पूरी दुनिया एक साथ हांगकांग के लोगों का समर्थन करे.

हम लगातार कहते रहे हैं कि चीन की दमनकारी नीतियों का विरोध होना चाहिए और हम इसके ख़िलाफ़ आवाज़ भी उठाते रहे हैं. आज हम एक बार फिर ये बात दोहराना चाहते हैं कि किसी को भी चीन के दबाव में आने की कोई ज़रूरत नहीं है और हमारे देश की मीडिया को भी चाहिए कि वो चीन पर शांत बने रहने की बजाय उसका खुलकर विरोध करे और देश के लोगों को भी चाहिए कि चीन के खिलाफ इस मुहिम का हिस्सा बनें और चीन को उसी की भाषा में जवाब दें. अगर आप ऐसा करेंगे तो ये ना सिर्फ चीन की हार होगी बल्कि हांगकांग के लोगों को भी इससे बहुत बल मिलेगा और चीन हांगकांग में हथियार डालने पर मजबूर हो जाएगा.

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