DNA Analysis: कृषि मंत्री बोले- किसानों ने बुलाया तो सिंघु बॉर्डर जाकर उनसे बातचीत करेंगे
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DNA Analysis: कृषि मंत्री बोले- किसानों ने बुलाया तो सिंघु बॉर्डर जाकर उनसे बातचीत करेंगे

ZEE NEWS के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) के साथ खास बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों (Farm Laws) में जरूरी बदलाव के लिए तैयार है लेकिन किसान नेताओं की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है.

DNA Analysis: कृषि मंत्री बोले- किसानों ने बुलाया तो सिंघु बॉर्डर जाकर उनसे बातचीत करेंगे

नई दिल्ली: किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जारी है. सरकार के अब तक के तमाम प्रयास असफल रहे हैं. पांच दौर की कृषि मंत्री के साथ और एक बार गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के साथ हुई किसानों की वार्ता बेनतीजा रही है. हालांकि सरकार की तरफ से अभी भी बातचीत का प्रयास जारी है. किसान आंदोलन पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि किसान नेताओं ने अब तक प्रस्तावों का जवाब नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि अगर किसान चाहें तो हम सिंघु बॉर्डर पर जाकर उनके साथ बातचीत करने को तैयार हैं. 

ZEE NEWS के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) के साथ खास बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों (Farm Laws) में जरूरी बदलाव के लिए तैयार है लेकिन किसान नेताओं की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. मैं ZEE NEWS के माध्यम से किसानों से अपील करना चाहता हूं कि आंदोलन खत्म करें और हमसे बातचीत करें, सरकार अभी भी बातचीत के लिए तैयार है. जैसे ही प्रस्ताव आएगा हम उस पर विचार करेंगे. पढ़ें बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल- MSP को लेकर, मंडियों की स्थिति के साथ किसानों के बहुत सारे सवाल थे. जो किसान यहां आने के बजाए घर से आंदोलन की हलचल देख रहें हैं उनकी संतुष्टि के लिए भी आप क्या कहेंगे?

जवाब- कृषि मंत्री ने कहा, 'मैं किसानों से कहना चाहता हूं कि 6 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)  के नेतृत्व में कृषि को समृद्ध बनाने के लिए अभूतपूर्व उपाय किए गए हैं. चाहे वो MSP को 50 प्रतिशत लागत पर मुनाफा जोड़ कर घोषित करने का मामला हो. चाहे खरीद की सीमा बढ़ाने का मामला हो या फिर गेहूं और धान की खरीद के साथ तिलहन की खरीद को भी शुरू करने का मामला हो. 10 हजार एफपीओ बनाने का मामला हो, या फिर एक लाख करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्टर का मामला हो. खरीद की सीमा को बढ़ानी हो यानी इन सब चीजों का फायदा किसानों को मिले इसके लिए हम नए कानून लाए हैं. अभी तक किसान पुराने कानूनों की बंदिश में जकड़े थे हमने उन्हें इन कानूनों के माध्यम से स्वतंत्रता देने की कोशिश की है. इसलिए मैं आपके माध्यम से जोर देकर कहना चाहता हूं कि हमने जो कानून बनाए हैं वो किसानों के जीवन में बड़ी तब्दीली लाने वाले होंगे.'

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किसानों को समृद्ध बनाएंगे नए कानून, जारी रहेगी MSP
कृषि मंत्री ने कहा कि ये कानून किसानों को समृद्ध बनाने वाले हैं. बकौल कृषि मंत्री, ' नए कानून देश की जीडीपी में आगे और बड़ा योगदान करने वाले हैं. लेकिन इस बीच कई गलत फहमियां पैदा हो गईं, कि APMC यानी Agricultural Produce Market Committee) बंद हो जाएगी इस पर हमने कहा कि मंडिया राज्य के अधीन हैं. ऐसे में ये जो हमारा एक्ट है वो राज्य के हक में अतिक्रमण नहीं करता. इसलिए APMC को कोई खतरा नहीं है. जहां तक MSP का सवाल है तो बता दूं कि जब एक्ट पर चर्चा हो रही थी तब भी मैने लोकसभा और राज्यसभा में संबोधन के जरिए देश का जनता और किसानों को संबोधित किया था कि MSP चल रही है. और आगे भी चलती रहेगी कि इसमें कोई खतरा नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी देश को आश्वस्त किया कि MSP जारी रहेगी.'

राज्य के अधिकारों में दखल नहीं 
कृषि मंत्री ने ये भी कहा, ' नए कानूनों को इस दृष्टिकोणके साथ बनाया गया था कि खेती के क्षेत्र में निजी निवेश गांव तक पहुंचे, जिससे किसान अगर अपनी उपज वहीं रोकना चाहता है तो उसके लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्टर मौजूद हो. किसान खेत, घर अथवा वेयर हाउस जहां से भी चाहे मनचाही कीमत पर अपना उत्पादन बेचने को स्वतंत्र हो. आज एक चश्मा बनाने वाला कारोबारी भी खुद तय करता है कि कैसे बनाएगा, किस मूल्य पर बेचेगा सारी प्लानिंग सिर्फ उसी की होती है. ऐसे में किसान जो देश का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है उसे आज तक ये अधिकार क्यों नहीं मिला कि वो अपना उत्पादन कहां बेचे और किस दाम पर बेचे. इसलिए हमने इस कानून के माध्यम से किसानों को स्वतंत्रता देने का प्रयास किया है. हमने उन्हें बताया कि राज्य सरकार प्राइवेट मंडियों को रजिस्टर्ड कर सकेगी. राज्य सरकार उस पर APMC की तरह सैस और टैक्स भी लगा सकेगीं. ऐसे में जब लेवल प्लेइंग फील्ड हो जाएगा तो APMC में  कोई दिक्कत नहीं होगी.'

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Trade Area का तकनीकि पहलू
कृषि मंत्री ने कहा कि APMC के बाहर जो एरिया है उसे ट्रेड एरिया कहेंगे, किसानों को लगता है कि APMC के बाहर बिना टैक्स के खरीदी होगी तो वहां कोई नहीं जाएगा और बाहर बिना टैक्स के ही लोग खरीद फरोख्त करेंगे तो आप सब जानते हैं कि अगर कृषि उपज के ऊपर टैक्स नहीं होगा तो इसका फायदा किसान को ही मिलेगा यानी उसको दाम बढ़कर ही मिलेगा. इस पर हमने किसान यूनियन को साफ किया कि हम ये शंका भी दूर करने को तैयार हैं.

SDM को अधिकार देने से खतरा नहीं
कृषि मंत्री ने आगे ये भी कहा, 'हमारे कानून के माध्यम से व्यापारियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. इसका फायदा भी किसान को मिलेगा. एक और मुद्दा किसानों ने ये कहा कि SDM छोटा अधिकारी है विवाद की स्थिति में वो फैसला नहीं दे पाएगा इसलिए इसमें कोर्ट जाने की अनुमति होनी चाहिए तो हमने कहा कि हमने सकारात्मक रुख दिखाते हुए कहा कि हम इस रास्ते पर भी चल सकते हैं. दरअसल हमने ये सोंचा था कि कोर्ट में इंसाफ की प्रकिया लंबी होती है. इस स्थिति में SDM जो किसान के सबसे करीब का अधिकारी है वो उन पर जल्दी ध्यान देगा. हमने तय किया SDM को तीस दिन में विवाद का निराकरण करना होगा. वहीं वो किसान की भूमि के विरुद्ध किसी भी प्रकार की वसूली का निर्णय नहीं दे सकेगा.'

बड़े काम का है Contract Farming Agreement
कृषि मंत्री ने कहा, 'कांट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट (Contract Farming Agreement) की बात करें तो भी किसान को बहुत फायदा होने वाला है. उन्होंने ये भी कहा, 'अगर छोटे किसान को बुआई के पहले ही निश्चित कमाई की गारंटी मिल जाए तो ऐसे में उसकी रिस्क लेने की क्षमता बढ़ेगी वो महंगी फसलों की ओर जाने का फैसला ले सकता है. ऐसे में किसान आधुनिक तकनीक का उपयोग कर सकता है. वैश्विक मानकों के हिसाब से खेती कर सकता है, क्योंकि उसके पास मूल्य की गारंटी है. नए कानून से उसके पास मार्केट की उपलब्धता होगी, यानी निश्चित हैं कि अगर वो महंगी फसलों की ओर जाएगा तो उसे और ज्यादा दाम मिलेंगे, किसान अच्छी खेती कर सकेगा तो अच्छा मुनाफा कमा सकेगा. इस विषय पर किसानों को लगता था कि जब फार्मिंग का एग्रीमेंट होगा तो उसका रजिस्ट्रेशन होना चाहिए, तो हमने ये सुनिश्चित किया कि राज्य सरकार खुद रजिस्ट्रेशन कर सकेगी.'

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सवाल - क्या आपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पूरे प्रकरण के बारे में ब्रीफ किया है क्योंकि आप कई राउंड की बातचीत कर चुके हैं, इस पर प्रधानमंत्री का क्या रुख है?

जबाव- जी बिल्कुल ब्रीफ किया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों के बीच संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए, किसानों को कानून की भावना से अवगत कराना चाहिए और चर्चा के माध्यम से रास्ता निकालना चाहिए और उन्हीं के निर्देश पर बातचीत चल रही है. 

सवाल- आखिर इतने प्रयासों के बावजूद किसान क्यों नहीं मान रहे हैं? 

जवाब- 'मैं आशावान हूं कभी-कभी ज्यादा वक्त लगता है जो विषय चर्चा के लिए दिए गए थे उन सभी शंकाओं का निवारण किया है. पर्यावरण एक्ट में भी हमने समाधान की बात कही है, बिजली एक्ट में समाधान की बात हमने कही है. हमें सभी यूनियन के साथ बातचीत में ये अहसास होता है कि कई किसान हमारे तर्क से सहमत है, लेकिन हमें लगता है कि आंदोलन में शामिल कुछ लोग अपने एजेंडे के तहत समाधान नहीं निकलने देना चाहते, फिर भी हमें उम्मीद है कि वो, सरकार की बात को समझेंगे. क्योंकि ये किसानों के लिए काम करने वाली सरकार है. हमने पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से 75 हजार करोड़ रुपए हर साल किसान के खाते में पहुंचाने का काम किया है.'

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बुजुर्ग किसानों को पेंशन
कृषि मंत्री ने कहा, '60 साल के ऊपर के किसान को हर महीने तीन हजार पेंशन मिलेगी. कई लाख किसान इसमें रजिस्टर्ड हो चुके हैं. ये सारी योजनाएं किसानों और खेती के क्षेत्र में नया इतिहास लिखने में कारगर होगीं. फूड प्रोसेसिंग के माध्यम से लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इन कानूनों से क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है. हमें उम्मीद है कि ये सब अच्छी बातें हम किसानों को समझाने में सफल होंगे.'

सवाल- करोड़ों किसान देख रहे हैं. कई लोगों ने सवाल पूछा है कि कृषि मंत्री से पूछिए कि इस कानून को वापस लेने की कितनी संभावना है?

जवाब- 'मैं देश के किसानों को खुले मन से कहना चाहता हूं कि कोई भी कानून अगर बना है तो उसमें हर चीज खराब नहीं होती. कानून को पढ़ना चाहिए उसके प्रावधान पर विचार करना चाहिए. सरकार इसके लिए तैयार भी है लेकिन दुखद है कि जब कानून लोकसभा और राज्यसभा में कानून आएं तो प्रतिपक्ष के लोगों ने किसी भी प्रावधान पर बात चीत नहीं की. किसी प्रावधान को गलत नहीं ठहराया, दुनिया भर की बातचीत होती रही लेकिन अब भी मैं सभी से कहना चाहता हूं कि आप प्रावधान पर बात करिए. प्रावधान में आवश्यकता पड़ेगी तो बदलने के लिए भारत सरकार तैयार है. सरकार वो हर काम करेगी जो किसान के हित में हो.'

 

सवाल- वापसी नहीं लेकिन संशोधन के लिए आप तैयार हैं....

जवाब- 'वापस लेने की बात तब उठती है जब सरकार चर्चा और संशोधन के लिए न तैयार हो, इसलिए ऐसी तो कोई स्थिति ही नहीं बनती.'

सवाल- आपको लगता है कि आंदोलन का स्वरूप बदल गया है...

जवाब- 'हां मेरी नजर पवित्र है तो उम्मीद करता हूं कि सामने वाले भी उसी अच्छी भावना से बात करेंगे, लेकिन देख रहा हूं आंदोलन में तमाम सारे दिल्ली के दंगो के भीमा कोरेगांव के दंगों के जो दोषी हैं, जो जेल में हैं जिन्होंने देशद्रोही काम किया है, उन्हें रिहा कराने के लिए पोस्टर बाजी हो रही है. नारेबाजी हो रही है, तमाम वामपंथी भीड़ इसमें शामिल हो गई है. वो किसान आंदोलन की दिशा बदलने की कोशिश कर रहे हैं, वो चाहते हैं कि वहां हिंसा हो जाए ये सब बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है.'

किसान नेताओं की तारीफ और आभार
इन सभी स्थितियों के बावजूद मैं आपके माध्यम से किसान नेताओं को किसान यूनियन को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने अच्छे तरीके से आंदोलन को अनुशाषित बनाए रखा है. 

सवाल- आप खुद किसान हैं आप राजनीति में न होते तो क्या करते, दूसरा सवाल ये कि सिर्फ एक या दो राज्यों के किसान आंदोलन में दिखे बाकी नहीं ऐसा क्यों?

जवाब- मैं अगर खेती करता तो भी मैं इन आंदोलन का समर्थन करता क्योंकि ये किसान छोटे किसानों के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होंगे.

सवाल- सिर्फ एक प्रदेश के किसान परेशान हैं....

जवाब- आप कई प्रदेश देख लीजिए सामान्य तौर पर राजनीतिक दल अगर बंद का समर्थन करेंगे तो दिखेगा, लेकिन 8 तारीख के बंद में भी राजनीतिक कार्यकर्ता ही ज्यादा दिखे लेकिन किसान उसका हिस्सा नहीं थे. बंद का असर तो पूरी तरह से पंजाब और हरियाणा में भी नहीं पड़ा, वहीं बाकी देश में कहीं भी कोई किसान बंद के समर्थन में बाहर नहीं निकला.

सवाल- इस बार आप विज्ञान भवन के बजाए सिंघु बॉर्डर पर बात कर सकते हैं.... क्या कहेंगे?

जवाब - 'इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है, मैने आज भी उन्हें कहा है कि प्रस्ताव पर चर्चा करके बातचीत के लिए माहौल बनाइये. अगर वो मुझसे बात करने के लिए तैयार हैं तो मैं कहीं भी जाकर बात करने के लिए तैयार हूं.'

Zee News के सवालों का बेबाकी से जवाब देने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश के किसानों के हितों से जुड़ी विस्तृत बातचीत करने के लिए धन्यवाद भी दिया. 

 

 

 

 

 

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