DNA with Sudhir Chaudhary: आपको हार्ट अटैक होगा या नहीं? इन 6 तरीकों से कर सकते हैं सटीक जांच
DNA on Heart Attack: खराब लाइफस्टाइल, मानसिक तनाव और हाई ब्लड प्रेशर की वजह से इन दिनों कम उम्र में ही हार्ट अटैक के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में आप चाहें तो कुछ टेस्ट के जरिए खुद की जांच कर जान सकते हैं कि आपको हार्ट अटैक आएगा या नहीं.
DNA on Heart Attack: प्रख्यात गायक KK ना सिर्फ 53 साल के थे बल्कि वो काफी फिट भी थे. उनके मैनेजर का कहना है कि वो सिगरेट और शराब भी नहीं पीते थे. इसके बावजूद उनके दिल ने उन्हें धोखा दे दिया. ऐसा सिर्फ उनके साथ नहीं हुआ है.
भारत में हार्ट अटैक का शिकार होने वाले लोगों में से 50 प्रतिशत को Heart Attack, 50 वर्ष की उम्र से पहले आ जाता है. जबकि 25 प्रतिशत लोगों को 40 साल का होने से पहले ही Heart Attack आ चुका होता हैं. ये खतरा हमारे और आपके इतना करीब है. फिर भी हम सोचते हैं कि हृदय की बीमारियों के बारे में 60 वर्ष के बाद ही सोचेंगे क्योंकि इसे बुढ़ापे की बीमारी माना जाता है.
जवानी में ही बढ़ रहे हृदय रोग के मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत के शहरों में रहने वाले 12 प्रतिशत और गांवों में रहने वाले 8 प्रतिशत लोगों को हृदय की कोई ना कोई बीमारी है. भारत में होने वाली कुल मौतों में से 28 प्रतिशत की वजह भी हृदय रोग हैं. हर साल भारत में 20 लाख से ज्यादा लोग Heart Attack से मर जाते हैं. सोचिए, पिछले दो साल में कोविड से सवा पांच लाख मौतें हुई हैं. जबकि Heart Attack से 20 लाख लोग मर गए. इसके बावजूद हमारे देश में कोविड को तो गम्भीरता से लिया जाता है लेकिन Heart Attack की बात नहीं होती.
ये स्थिति तब है, जब पिछले 20 वर्षों में भारत में हृदय रोगों के मामले 30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है High Blood Pressure. स्मोकिंग, शराब पीना और ज्यादा जंक फूड खाना. इसके अलावा अब Stress यानी तनाव भी दिल की बीमारियों की बड़ी वजह बन रहा है.
तनाव की वजह से बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले
भारत में वर्ष 2019 में 7 महानगरों में हुए एक सर्वे में पाया गया था कि 30 से 40 साल के 57 प्रतिशत युवाओं में तनाव यानी Stress की वजह से दिल की बीमारियां हो रही हैं. यह भी रिसर्च में आया है कि 30 से 40 वर्ष के 55 प्रतिशत युवा 7 घंटे से भी कम की नींद ले रहे हैं और ये भी इसकी एक बड़ी वजह है. सच्चाई ये है कि आज के जमाने में लोग इसे स्वीकार नहीं करते. आपको ऐसे लोग तो हर जगह मिल जाएंगे जो हाल चाल पूछने पर ये कहते हैं कि वो पूरी तरह ठीक हैं. लेकिन आपको ऐसे लोग नहीं मिलेंगे जो ये कहने की हिम्मत कर सकें कि वो परेशान हैं.
इसी साल फरवरी में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि कोविड के बाद से लोगों को Heart Failure का खतरा 72 प्रतिशत तक बढ़ गया है. इसके अलावा जो लोग कोविड से संक्रमित हुए हैं, उन्हें Heart Stroke होने का खतरा अब 52 प्रतिशत ज्यादा है.
आपको याद होगा, पिछले साल कन्नड़ फिल्मों के सुपर स्टार पुनीत राजकुमार की Heart Attack की वजह से मृत्यु हो गई थी और वो सिर्फ 46 साल के थे. इसके अलावा मशहूर Television Star सिद्धार्थ शुक्ला की भी सिर्फ 40 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी. यानी आप देखेंगे तो अब Heart Attack की वजह से कम उम्र के लोगों की ज्यादा मौतें हो रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है, दिल की बीमारियों को गम्भीरता से नहीं लेना. ये सोचना कि Heart Attack केवल 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को होता है.
नॉन-स्मोकर्स को हो रही दिल की बीमारी
सबसे बड़ी बात, जो लोग ऐसा सोचते हैं कि Heart Attack का खतरा केवल उन्हीं लोगों को होता है, जो सिगरेट और शराब पीते हैं तो ये धारणा भी गलत है. दिल्ली के एक बड़े सरकारी अस्पताल में हुई स्टडी कहती है कि अब 18 से 45 साल के युवाओं को दिल की बीमारियां ज्यादा हो रही हैं. ये वो लोग हैं, जो सिगरेट और शराब को छूते भी नहीं हैं बल्कि इन लोगों में इस बीमारी के लिए तनाव को बड़ी वजह माना गया है.
हालांकि KK के मामले में डॉक्टर ये भी कह रहे हैं कि Concert के दौरान उनकी जो Confition थी, अगर उसी समय उन्हें अस्पताल लाया जाता तो शायद उनकी जान बच जाती. इसलिए आज हम आपको अपनी इस रिपोर्ट के जरिए ये बताना चाहते हैं कि आप Heart Attack के Signals को कैसे पहचान सकते हैं. दिल्ली में डॉक्टरों ने इसके लिए एक नया मॉडल तैयार किया है, जिससे ये पता लगाया जा सकेगा कि हार्ट अटैक के मरीज की जान जाने का खतरा कितना होता है और उनकी जान कैसे बचाई जा सकती है.
अब हम आपको बताते हैं कि आप हार्ट अटैक के वॉर्निंग साइन को कैसे पहचान सकते हैं. साथ ही ये भी बताते हैं कि हार्ट अटैक आ भी गया तो वो कौन से लोग हैं, जिनमें हार्ट अटैक के शुरुआती 30 दिनों के अंदर जान जाने का खतरा है.
हार्ट अटैक के 1 महीने में ही मर जाते हैं 8 प्रतिशत लोग
भारत में हर साल सबसे ज्यादा मौतें हार्ट अटैक की वजह से होती है. हर साल तकरीबन 20 लाख लोगों की मौत दिल की बीमारी से हो जाती है. भारत में हर साल प्रति एक लाख में से 272 लोग दिल की बीमारी के शिकार होकर मारे जाते हैं. जबकि विश्व का औसत 1 लाख पर 235 है. हर वर्ष तकरीबन 13 से 14 लाख लोग दिल के मरीज हो जाते हैं. इनमें से 8 प्रतिशत लोगों की मौत हार्ट अटैक आने के 30 दिन के अंदर ही हो जाती है –यानी तकरीबन सवा लाख लोग पहले हार्ट अटैक के 30 दिन के अंदर ही जान गंवा बैठते हैं.
डॉक्टरों के सामने बड़ा सवाल ये है कि 14 लाख दिल के मरीजों में से वो सवा लाख लोग कौन से हैं जो हार्ट अटैक आने के 30 दिन में ही मारे जाएंगे. इसके लिए दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल के डॉक्टरों ने इंजीनियरस के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया है. 3 हजार 191 दिल के मरीजों पर दो वर्ष की स्टडी के बाद इस मॉडल को तैयार किया गया है. ये पहला ऐसा मॉडल है जो पूरी तरह भारतीय मरीजों के आधार पर बना है. इसमें 31 अलग अलग पैरामीटर्स के आधार पर ये तय किया जाता है कि हार्ट अटैक के मरीज को जान जाने का खतरा कितना है और कितनी संभावना है कि वो लंबे समय तक जी सकता है. हालांकि ये मॉडल डॉक्टरों के लिए है लेकिन इससे आप भी समझ पाएंगे कि कैसे हार्ट अटैक से जान जाने के खतरे को समझा जा सकता है
हार्ट अटैक की जांच के लिए बनाया ये मॉडल
- उम्र कितनी है
- हार्ट अटैक के वक्त सीने में दर्द हुआ या नहीं
- कितनी देर में मरीज अस्पताल पहुंचा
- हीमोग्लोबिन का लेवल क्या है – 13 से उपर के लेवल को हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है.
- हार्ट की पंपिग का स्तर क्या है (इसे मेडिकल भाषा में Ejection-Fraction कहा जाता है. अगर इसका रिजल्ट 25 से कम है तो खतरा बड़ा है). ऐसे कुछ और मानकों को टेस्ट के जरिए चेक करके अब डॉक्टर भारतीय मरीजों के दिल का सही हाल बता सकते हैं.
- डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- एक्सरसाइज का स्तर क्या है
- परिवार में किसी को दिल की बीमारी है या नहीं
इस मॉडल से मिलने वाले रिजल्ट 85% तक सही पाए गए हैं. जैसे जैसे इस मॉडल को ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा, इसमें सुधार होते रहेंगे. डॉक्टरों की कोशिश है कि वो लगभग 100% सही आंकलन कर पाए कि हार्ट अटैक के किस मरीज को जान जाने का कितना खतरा होगा.
अगर अभी तक आपको दिल की कोई बीमारी नहीं है फिर भी आप जानना चाहते हैं कि आपको भविष्य में हार्ट अटैक का कितना खतरा है तो उसका भी कुछ हद तक पता लगाया जा सकता है. इसके लिए 6 मानकों को अपनाइए.
इन 6 तरीकों से मापिए हार्ट अटैक का खतरा
- आपकी उम्र कितनी है. 50 वर्ष के लोगों को बाकियों के मुकाबले दोगुना खतरा माना जाता है.
- आपका Systolic blood pressure यानी ऊपर का ब्लड प्रेशर कितना है. अगर औसतन आपका ब्लड प्रेशर 135-140 या इससे ज्यादा रहता है तो खतरा है.
- क्या आप स्मोकर हैं
- क्या आपको डायबिटीज है
- आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना है. इसमें LDL कोलेस्ट्रॉल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर जितना ज्यादा है खतरा उतना ही बड़ा है.
इन पांच मानकों को तो नापा जा सकता है लेकिन छठा मानक कि आप तनाव कितना लेते हैं. इसे सही सही मापने के लिए अभी कोई ब्लड टेस्ट नहीं बना है. वैसे तनाव के स्तर को जितना कम रखेंगे, उतना आपके लिए अच्छा रहेगा.
अंतिम वक्त में देहांत से पहले सिंगर केके की तस्वीरें भी कई वॉर्निंग साइन दे रही थीं. इनमें जरूरत से ज्यादा पसीना, घुटन का माहौल, दम घोंटने वाली भीड़, ये ऐसे लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है जो भले ही फिट दिखते हों लेकिन शारीरिक और मानसिक तौर पर असल में फिट ना हों. सिंगर केके की हालत स्टेज शो के दौरान ही बिगड़ गई थी लेकिन वो वहां से निकलकर अगर होटल की जगह सीधे हॉस्पिटल जाते तो शायद ऐसा ना हुआ होता.
हार्ट अटैक का शुरुआती 1 घंटा अहम
आप हार्ट अटैक होने का सही पता तो नहीं लगा सकते लेकिन वॉर्निंग साइन्स को पहचान सकते हैं. सबसे पहली बात हर हार्ट अटैक के मरीज को सीने में दर्द नहीं होता. लेकिन अगर पसीना आ रहा है. सांस घुट रही है और जकड़न जैसी महसूस हो रही है तो देर ना करें. हार्ट अटैक का पहला घंटा ही ये तय करता है कि आपकी जिंदगी कितनी लंबी होगी. इस एक घंटे को doctors golden hour कहते हैं इसलिए आप जितनी जल्दी अस्पताल पहुंचेंगे, जान बचने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी.